संघट्ट: Difference between revisions
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संघट्ट विभिन्न परिदृश्यों में हो सकते हैं, जैसे कि जब दो बिलियर्ड गेंदें टकराती हैं, दो कारें दुर्घटनाग्रस्त होती हैं, या तब भी जब उच्च-ऊर्जा भौतिकी प्रयोगों में कण टकराते हैं। | संघट्ट विभिन्न परिदृश्यों में हो सकते हैं, जैसे कि जब दो बिलियर्ड गेंदें टकराती हैं, दो कारें दुर्घटनाग्रस्त होती हैं, या तब भी जब उच्च-ऊर्जा भौतिकी प्रयोगों में कण टकराते हैं। | ||
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जब दो वस्तुएँ प्रत्यास्थ रूप से टकराती हैं, तो वे बिना किसी गतिज ऊर्जा को खोए एक-दूसरे से टकराती हैं। वस्तुएं दिशा या गति बदल सकती हैं, लेकिन उनकी गतिज ऊर्जाओं का योग समान रहता है। | जब दो वस्तुएँ प्रत्यास्थ रूप से टकराती हैं, तो वे बिना किसी गतिज ऊर्जा को खोए एक-दूसरे से टकराती हैं। वस्तुएं दिशा या गति बदल सकती हैं, लेकिन उनकी गतिज ऊर्जाओं का योग समान रहता है। इस ही प्रकार के संघट्ट को तन्य संघट्ट के रूप में भी संदर्भित कीया जाता है। | ||
चालू शब्दों में दो या उस से अधिक पिंडों में तन्य संघट्ट, एक संघट्ट है जहां गतिज ऊर्जा और संवेग संरक्षित होते हैं। इसका तात्पर्य यह है कि संघट्ट से पहले की कुल गतिज ऊर्जा और कुल संवेग, कुल गतिज ऊर्जा और संघट्ट के बाद के कुल संवेग के समतुल्य होते हैं। | |||
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अप्रत्यास्थ संघट्ट: ऐसे संघट्ट में, गतिज ऊर्जा संरक्षित नहीं होती है। कुछ गतिज ऊर्जा खो जाती है या ऊर्जा के अन्य रूपों में परिवर्तित हो जाती है, जैसे गर्मी, ध्वनि या | अप्रत्यास्थ संघट्ट: ऐसे संघट्ट में, गतिज ऊर्जा संरक्षित नहीं होती है। कुछ गतिज ऊर्जा खो जाती है या ऊर्जा के अन्य रूपों में परिवर्तित हो जाती है, जैसे गर्मी, ध्वनि या सम्मलित वस्तुओं की विकृति। | ||
एक अप्रत्यास्थ संघट्ट में, वस्तुएं आपस में चिपक सकती हैं या प्रभाव पर विकृत हो सकती हैं। संघट्ट से पहले व संघट्ट के उपरांत की तुलना में एक अलग कुल गतिज ऊर्जा के साथ, एक वस्तु के रूप में चलते हैं। | एक अप्रत्यास्थ संघट्ट में, वस्तुएं आपस में चिपक सकती हैं या प्रभाव पर विकृत हो सकती हैं। संघट्ट से पहले व संघट्ट के उपरांत की तुलना में एक अलग कुल गतिज ऊर्जा के साथ, एक वस्तु के रूप में चलते हैं। | ||
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यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि प्रत्यास्थ और अप्रत्यास्थ दोनों ही प्रकार की टक्करों में, संवेग | यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि प्रत्यास्थ और अप्रत्यास्थ दोनों ही प्रकार की टक्करों में, संवेग सर्वथा संरक्षित रहता है। संवेग, एक ऐसा गुण है, जो किसी वस्तु के द्रव्यमान और वेग पर निर्भर करता है, और यह संघट्ट से पहले और बाद में संरक्षित रहता है। | ||
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वस्तुओं पर लगाए गए बल उनके वेगों, दिशाओं या आकृतियों में परिवर्तन कर सकते हैं। ये परिवर्तन वस्तुओं के बीच द्रव्यमान, गति और | वस्तुओं पर लगाए गए बल उनके वेगों, दिशाओं या आकृतियों में परिवर्तन कर सकते हैं। ये परिवर्तन वस्तुओं के बीच द्रव्यमान, गति और संघट्ट के कोण जैसे कारकों पर निर्भर करते हैं। | ||
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Latest revision as of 11:53, 19 February 2024
Collision
भौतिकी में, संघट्ट (टकराव) एक ऐसी घटना को संदर्भित करता है, जिसमें दो या दो से अधिक वस्तुएं,एक-दूसरे के संपर्क में आती हैं और परस्पर क्रिया करती हैं। संघट्ट की अवधि में, वस्तुओं के बीच बलों का आदान-प्रदान होता है, जिससे उनकी गति या गुणों में परिवर्तन होता है।
संघट्ट विभिन्न परिदृश्यों में हो सकते हैं, जैसे कि जब दो बिलियर्ड गेंदें टकराती हैं, दो कारें दुर्घटनाग्रस्त होती हैं, या तब भी जब उच्च-ऊर्जा भौतिकी प्रयोगों में कण टकराते हैं।
सरल शब्दों में
मुख्यतः,संघट्ट के दो प्रकार होते हैं :
प्रत्यास्थ रूप
जब दो वस्तुएँ प्रत्यास्थ रूप से टकराती हैं, तो वे बिना किसी गतिज ऊर्जा को खोए एक-दूसरे से टकराती हैं। वस्तुएं दिशा या गति बदल सकती हैं, लेकिन उनकी गतिज ऊर्जाओं का योग समान रहता है। इस ही प्रकार के संघट्ट को तन्य संघट्ट के रूप में भी संदर्भित कीया जाता है।
चालू शब्दों में दो या उस से अधिक पिंडों में तन्य संघट्ट, एक संघट्ट है जहां गतिज ऊर्जा और संवेग संरक्षित होते हैं। इसका तात्पर्य यह है कि संघट्ट से पहले की कुल गतिज ऊर्जा और कुल संवेग, कुल गतिज ऊर्जा और संघट्ट के बाद के कुल संवेग के समतुल्य होते हैं।
अप्रत्यास्थ रूप
अप्रत्यास्थ संघट्ट: ऐसे संघट्ट में, गतिज ऊर्जा संरक्षित नहीं होती है। कुछ गतिज ऊर्जा खो जाती है या ऊर्जा के अन्य रूपों में परिवर्तित हो जाती है, जैसे गर्मी, ध्वनि या सम्मलित वस्तुओं की विकृति।
एक अप्रत्यास्थ संघट्ट में, वस्तुएं आपस में चिपक सकती हैं या प्रभाव पर विकृत हो सकती हैं। संघट्ट से पहले व संघट्ट के उपरांत की तुलना में एक अलग कुल गतिज ऊर्जा के साथ, एक वस्तु के रूप में चलते हैं।
ध्यान रहे
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि प्रत्यास्थ और अप्रत्यास्थ दोनों ही प्रकार की टक्करों में, संवेग सर्वथा संरक्षित रहता है। संवेग, एक ऐसा गुण है, जो किसी वस्तु के द्रव्यमान और वेग पर निर्भर करता है, और यह संघट्ट से पहले और बाद में संरक्षित रहता है।
संघट्ट की अवधि में
वस्तुओं पर लगाए गए बल उनके वेगों, दिशाओं या आकृतियों में परिवर्तन कर सकते हैं। ये परिवर्तन वस्तुओं के बीच द्रव्यमान, गति और संघट्ट के कोण जैसे कारकों पर निर्भर करते हैं।