अस्वापक पीड़ाहारी: Difference between revisions

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वे रसायन जो पीड़ा या दर्द को कम करने के लिए प्रयोग किये  जाते हैं, पीड़ाहारी या दर्द निवारक औषध कहलाते हैं। ये तंत्रिका सक्रिय होते हैं। दर्दनाशी (पीड़ाहारी)-वे औषधियाँ जो शरीर के दर्द या पीड़ा को कम करने में प्रयुक्त होती है, दर्दनाशी या पीड़ाहारी औषधियाँ कहलाती है।
वे रसायन जो पीड़ा या दर्द को कम करने के लिए प्रयोग किये जाते हैं, [[पीड़ाहारी]] या दर्द निवारक औषध कहलाते हैं। ये तंत्रिका सक्रिय होते हैं। दर्दनाशी (पीड़ाहारी)-वे औषधियाँ जो शरीर के दर्द या पीड़ा को कम करने में प्रयुक्त होती है, दर्दनाशी या पीड़ाहारी औषधियाँ कहलाती है।


उदाहरण-(1) नाकोटिक-मार्फीन, कोडीन। (2) नॉन-नाक्कोटिक-ऐस्प्रिन, पैरासिटामॉल, ऐनाल्जिन।
उदाहरण-(1) नाकोटिक-मार्फीन, कोडीन। (2) नॉन-नाक्कोटिक-ऐस्प्रिन, पैरासिटामॉल, ऐनाल्जिन।
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== अस्वापक औषध ==
== अस्वापक औषध ==
ये सामान्य तरह के पीड़ाहारी हैं इनके सेवन से व्यकित को इसकी आदत नहीं होती। इनमे ज्वरनाशी औषधि भी पायी जाती है। इन्हे अनिद्राकारी औषध भी कहते हैं।  
ये सामान्य तरह के पीड़ाहारी हैं इनके सेवन से व्यकित को इसकी आदत नहीं होती। इनमे ज्वरनाशी औषधि भी पायी जाती है। इन्हे अनिद्राकारी [[औषध]] भी कहते हैं।  


=== उदाहरण ===
=== उदाहरण ===
ऐस्प्रिन, पैरासिटामॉल एक अस्वापक पीड़ाहारी हैं।  
ऐस्प्रिन, पैरासिटामॉल एक अस्वापक पीड़ाहारी हैं।  


एस्प्रिन को कभी भी खाली पेट नहीं लेना चाहिए। एस्प्रिन जल अपघटित होकर सैलिसिलिक अम्ल बनाता है, अगर आमाशय खाली होता है तो यह अम्ल आमाशय की दीवारों पर घाव कर देता है।     
एस्प्रिन को कभी भी खाली पेट नहीं लेना चाहिए। एस्प्रिन जल अपघटित होकर सैलिसिलिक अम्ल बनाता है, अगर आमाशय खाली होता है तो यह अम्ल [[आमाशय]] की दीवारों पर घाव कर देता है।     


== स्वापक औषध ==
== स्वापक औषध ==
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=== उदाहरण ===
=== उदाहरण ===
[[File:Morphin - Morphine.svg|thumb|मॉर्फीन]]
मॉर्फीन, कोडीन, हशीश आदि।  
मॉर्फीन, कोडीन, हशीश आदि।  



Latest revision as of 10:33, 31 May 2024

वे रसायन जो पीड़ा या दर्द को कम करने के लिए प्रयोग किये जाते हैं, पीड़ाहारी या दर्द निवारक औषध कहलाते हैं। ये तंत्रिका सक्रिय होते हैं। दर्दनाशी (पीड़ाहारी)-वे औषधियाँ जो शरीर के दर्द या पीड़ा को कम करने में प्रयुक्त होती है, दर्दनाशी या पीड़ाहारी औषधियाँ कहलाती है।

उदाहरण-(1) नाकोटिक-मार्फीन, कोडीन। (2) नॉन-नाक्कोटिक-ऐस्प्रिन, पैरासिटामॉल, ऐनाल्जिन।

पीड़ाहारी औषध के प्रकार

ये दो प्रकार के होते हैं:

अस्वापक औषध

ये सामान्य तरह के पीड़ाहारी हैं इनके सेवन से व्यकित को इसकी आदत नहीं होती। इनमे ज्वरनाशी औषधि भी पायी जाती है। इन्हे अनिद्राकारी औषध भी कहते हैं।

उदाहरण

ऐस्प्रिन, पैरासिटामॉल एक अस्वापक पीड़ाहारी हैं।

एस्प्रिन को कभी भी खाली पेट नहीं लेना चाहिए। एस्प्रिन जल अपघटित होकर सैलिसिलिक अम्ल बनाता है, अगर आमाशय खाली होता है तो यह अम्ल आमाशय की दीवारों पर घाव कर देता है।   

स्वापक औषध

तीव्र दर्द होने पर इस प्रकार की पीड़ाहारी औषधियों का उपयोग किया जाता है ये निद्रा एवं अचेतना उत्पन्न करती हैं। इन्हे स्वापक पीड़ाहारी भी कहते हैं। इनका रेगुलर प्रयोग करने से व्यक्ति इनका आदी हो जाता है।

उदाहरण

मॉर्फीन

मॉर्फीन, कोडीन, हशीश आदि।  

अभ्यास प्रश्न

  • अस्वापक पीड़ाहारी एवं स्वापक पीड़ाहारी में क्या अंतर है ?
  • अस्वापक पीड़ाहारी से आप क्या समझते हैं ?
  • स्वापक पीड़ाहारी के कुछ उदाहरण दीजिये।