अर्धपारगम्य झिल्ली: Difference between revisions

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'''''अर्धपारगम्य झिल्ली''''' एक प्रकार की जैविक या सिंथेटिक, झिल्ली है जो परासरण द्वारा कुछ अणुओं या आयनों को इसके माध्यम से गुजरने की अनुमति देती है। पारित होने की दर दोनों तरफ अणुओं या विलेय के दबाव , सांद्रता और तापमान पर निर्भर करती है, साथ ही प्रत्येक विलेय के लिए झिल्ली की पारगम्यता पर भी निर्भर करती है। अर्धपारगम्य झिल्ली एक प्रकार की जैविक झिल्ली है जो कुछ अणुओं या ऑयनों को पार होने की अनुमति देती है जबकि अन्य को नहीं। यह कृत्रिम झिल्ली भी होती है जिसे जल शुद्धिकरण हेतु प्रयोग किया जाता है।
'''''अर्धपारगम्य झिल्ली''''' एक प्रकार की जैविक या सिंथेटिक, झिल्ली है जो [[परासरण]] द्वारा कुछ अणुओं या आयनों को इसके माध्यम से गुजरने की अनुमति देती है। पारित होने की दर दोनों तरफ अणुओं या विलेय के दबाव, सांद्रता और तापमान पर निर्भर करती है, साथ ही प्रत्येक विलेय के लिए झिल्ली की पारगम्यता पर भी निर्भर करती है। अर्धपारगम्य झिल्ली एक प्रकार की जैविक झिल्ली है जो कुछ अणुओं या ऑयनों को पार होने की अनुमति देती है जबकि अन्य को नहीं। यह कृत्रिम झिल्ली भी होती है जिसे जल शुद्धिकरण हेतु प्रयोग किया जाता है।


किसी विलयन को विलायक से अर्द्धपारगम्य झिल्ली द्वारा अलग रखने पर होने वाले परासरण को रोकने के लिए विलयन पर कम-से-कम जितना  बाहरी दाब लगाना पड़ता है, वह विलयन का परासरण दाब कहलाता है। '''''परासरण दाब''''' को π से प्रदर्शित करते है। यह एक संपार्श्विक गुण है, विलेय की प्रकृति पर निर्भर है।
किसी विलयन को विलायक से अर्द्धपारगम्य झिल्ली द्वारा अलग रखने पर होने वाले परासरण को रोकने के लिए विलयन पर कम-से-कम जितना  बाहरी दाब लगाना पड़ता है, वह विलयन का परासरण दाब कहलाता है। '''''[[परासरण दाब]]''''' को π से प्रदर्शित करते है। यह एक संपार्श्विक गुण है, विलेय की प्रकृति पर निर्भर है।


एक अर्धपारगम्य झिल्ली द्वारा दो भागों में विभाजित एक कंटेनर की कल्पना करें। यह झिल्ली विलायक अणुओं को निकलने की अनुमति देती है लेकिन विलेय अणुओं को नहीं। यदि एक डिब्बे में दूसरे की तुलना में विलेय की सांद्रता अधिक है, तो विलायक अणु कम विलेय सांद्रता वाली तरफ से उच्च विलेय सांद्रता वाली तरफ चले जाएंगे। विलायक अणुओं की यह गति दबाव बनाती है और इस दबाव को परासरण दाब कहा जाता है। परासरण को यदि रोकना चाहें तो उसे रोकने के लिए उसके विपरीत एक वाह्य दाब लगाना पड़ेगा। परासरण को रोकने के लिये आवश्यक वाह्य दाब की मात्रा को परासरण दाब कहते हैं। किसी भी विलयन का परासरण दाब विलायक में उपस्थित विलेय के अणुओं की सांद्रता के सीधे समानुपाती होता है।<blockquote><math>\Pi V= n R T</math>
एक अर्धपारगम्य झिल्ली द्वारा दो भागों में विभाजित एक कंटेनर की कल्पना करें। यह झिल्ली विलायक अणुओं को निकलने की अनुमति देती है लेकिन विलेय अणुओं को नहीं। यदि एक डिब्बे में दूसरे की तुलना में विलेय की सांद्रता अधिक है, तो विलायक अणु कम विलेय सांद्रता वाली तरफ से उच्च विलेय सांद्रता वाली तरफ चले जाएंगे। विलायक अणुओं की यह गति दबाव बनाती है और इस दबाव को परासरण दाब कहा जाता है। परासरण को यदि रोकना चाहें तो उसे रोकने के लिए उसके विपरीत एक वाह्य दाब लगाना पड़ेगा। परासरण को रोकने के लिये आवश्यक वाह्य दाब की मात्रा को परासरण दाब कहते हैं। किसी भी विलयन का परासरण दाब विलायक में उपस्थित विलेय के अणुओं की सांद्रता के सीधे समानुपाती होता है।<blockquote><math>\Pi V= n R T</math>

Latest revision as of 13:21, 30 May 2024

अर्धपारगम्य झिल्ली एक प्रकार की जैविक या सिंथेटिक, झिल्ली है जो परासरण द्वारा कुछ अणुओं या आयनों को इसके माध्यम से गुजरने की अनुमति देती है। पारित होने की दर दोनों तरफ अणुओं या विलेय के दबाव, सांद्रता और तापमान पर निर्भर करती है, साथ ही प्रत्येक विलेय के लिए झिल्ली की पारगम्यता पर भी निर्भर करती है। अर्धपारगम्य झिल्ली एक प्रकार की जैविक झिल्ली है जो कुछ अणुओं या ऑयनों को पार होने की अनुमति देती है जबकि अन्य को नहीं। यह कृत्रिम झिल्ली भी होती है जिसे जल शुद्धिकरण हेतु प्रयोग किया जाता है।

किसी विलयन को विलायक से अर्द्धपारगम्य झिल्ली द्वारा अलग रखने पर होने वाले परासरण को रोकने के लिए विलयन पर कम-से-कम जितना  बाहरी दाब लगाना पड़ता है, वह विलयन का परासरण दाब कहलाता है। परासरण दाब को π से प्रदर्शित करते है। यह एक संपार्श्विक गुण है, विलेय की प्रकृति पर निर्भर है।

एक अर्धपारगम्य झिल्ली द्वारा दो भागों में विभाजित एक कंटेनर की कल्पना करें। यह झिल्ली विलायक अणुओं को निकलने की अनुमति देती है लेकिन विलेय अणुओं को नहीं। यदि एक डिब्बे में दूसरे की तुलना में विलेय की सांद्रता अधिक है, तो विलायक अणु कम विलेय सांद्रता वाली तरफ से उच्च विलेय सांद्रता वाली तरफ चले जाएंगे। विलायक अणुओं की यह गति दबाव बनाती है और इस दबाव को परासरण दाब कहा जाता है। परासरण को यदि रोकना चाहें तो उसे रोकने के लिए उसके विपरीत एक वाह्य दाब लगाना पड़ेगा। परासरण को रोकने के लिये आवश्यक वाह्य दाब की मात्रा को परासरण दाब कहते हैं। किसी भी विलयन का परासरण दाब विलायक में उपस्थित विलेय के अणुओं की सांद्रता के सीधे समानुपाती होता है।

जहाँ

- परासरण दाब

n - मोलो की संख्या

R - गैस स्थिरांक

T - ताप

w - विलेय का भार

m - विलेय का अणुभार

किसी भी विलयन का परासरण दाब विलायक में उपस्थित विलेय के अणुओं की सांद्रता के समानुपाती होता है। विलयन में विलेय के अणुओं की संख्या जितनी अधिक होती है, विलयन का परासरण दाब उतना ही अधिक होता है।

उदाहरण

किसी बर्तन में रखा विलयन तब तक परासरण दाब प्रदर्शित नहीं करता है जब तक एक अर्द्ध-पारगम्य झिल्ली इसे विलायक से पृथक नहीं करती है, अर्थात अर्द्ध-पारगम्य झिल्ली के दोनों ओर के विलायक में अंतर के कारण परासरण दाब उत्पन्न होता है।

परासरण

परासरण वह प्रक्रिया है जिसमें विलायक के कण कम सान्द्रता से अधिक सान्द्रता की तरफ आर्द्ध पारगम्य झिल्ली से होकर स्वतः गति करते हैं। परासरण दाब उस बाहरी दाब को कहते हैं जिसकी स्थिति में झिल्ली में को विसरण नहीं होगा। परासरण दाब अणुसंख्य गुणधर्म है अर्थात् परासरिता दाब विलय की मोलर सांद्रता पर निर्भर करता है लेकिन इसकी प्रकृति पर नहीं।

उदाहरण

किशमिश पानी में रखने पर फूल जाती है।

अंगूर को शर्करा के विलयन में रखने पर यह पचक जाते हैं।

अभ्यास प्रश्न

  • अर्धपारगम्य झिल्ली से आप क्या समझते हैं? उदाहरण भी दीजिये।
  • परासरण दाब ज्ञात करने में अर्धपारगम्य झिल्ली की क्या भूमिका है ?
  • परासरण दाब से आप क्या समझते हैं ?