अपमार्जक(जीव विज्ञान ): Difference between revisions

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वे जल में घुलनशील पदार्थ जो अशुद्धियों और गंदगी के साथ मिलकर उन्हें अधिक घुलनशील बनाता है। उदाहरण के लिए डाई ऑक्सेलिक अम्ल। अपमार्जक सामान्यतः लंबी श्रृंखला वाले कार्बोक्सिलिक अम्लों के अमोनियम या सल्फोनेट लवण होते हैं, जो क्लोराइड या ब्रोमाइड आयनों के कैल्शियम एवं मैग्नीशियम आयनों के साथ अघुलनशील पदार्थ नहीं बनाते हैं। इस प्रकार वह कठोर जल में प्रभावी होते हैं। इनका उपयोग शैम्पू एवं कपड़े धोने के साबुन एवं अपमार्जक पाउडर के रूप में किया जाता है। इन यौगिकों के आवेशित सिरे जल में कैल्शियम और मैग्नीशियम आयनों के साथ अघुलनशील [[अवक्षेप]] नहीं बनाते हैं।
वे जल में घुलनशील पदार्थ जो अशुद्धियों और गंदगी के साथ मिलकर उन्हें अधिक घुलनशील बनाता है। उदाहरण के लिए डाई ऑक्सेलिक अम्ल। अपमार्जक सामान्यतः लंबी श्रृंखला वाले कार्बोक्सिलिक अम्लों के अमोनियम या सल्फोनेट लवण होते हैं, जो क्लोराइड या ब्रोमाइड आयनों के कैल्शियम एवं मैग्नीशियम आयनों के साथ अघुलनशील पदार्थ नहीं बनाते हैं। इस प्रकार वह कठोर जल में प्रभावी होते हैं। इनका उपयोग शैम्पू एवं कपड़े धोने के साबुन एवं अपमार्जक पाउडर के रूप में किया जाता है। इन यौगिकों के आवेशित सिरे जल में कैल्शियम और मैग्नीशियम आयनों के साथ अघुलनशील [[अवक्षेप]] नहीं बनाते हैं।


अपमार्जक के अणु ऐसे होते हैं। जिनके दोनों सिरों के गुणधर्म भिन्न भिन्न होते हैं। अपमार्जक का वह सिरा जो जल में विलेय होता है उस सिरे को '''जलरागी''' कहते हैं तथा वह सिरा जो जल में अविलेय होता है उसे '''जलविरागी''' कहते हैं। जब जल अपमार्जक की सतह पर होता है तब उसके अणु अपने को इस प्रकार व्यवस्थित कर लेते हैं की इसका एक सिरा जल के अंदर होता है जबकि [[हाइड्रोकार्बन]] का दूसरा सिरा जल के बाहर होता है। जल के अंदर इन अणुओं की एक विशेष व्यवस्था होती है जिससे इसका हाइड्रोकार्बन सिरा जल के बाहर बना होता है। इसमें अणुओं का एक बड़ा गुच्छा बनता है। जलविरागी भाग आंतरिक हिस्से में होता है जबकि उसका आयनिक सिरा गुच्छे की सतह पर होता है। इस प्रकार जो संरचना प्राप्त होती है उसे मिसेल कहते हैं।
अपमार्जक के अणु ऐसे होते हैं। जिनके दोनों सिरों के गुणधर्म भिन्न भिन्न होते हैं। अपमार्जक का वह सिरा जो जल में विलेय होता है उस सिरे को '''[[जलरागी]]''' कहते हैं तथा वह सिरा जो जल में अविलेय होता है उसे '''[[जलविरागी]]''' कहते हैं। जब जल अपमार्जक की सतह पर होता है तब उसके अणु अपने को इस प्रकार व्यवस्थित कर लेते हैं की इसका एक सिरा जल के अंदर होता है जबकि [[हाइड्रोकार्बन]] का दूसरा सिरा जल के बाहर होता है। जल के अंदर इन अणुओं की एक विशेष व्यवस्था होती है जिससे इसका हाइड्रोकार्बन सिरा जल के बाहर बना होता है। इसमें अणुओं का एक बड़ा गुच्छा बनता है। जलविरागी भाग आंतरिक हिस्से में होता है जबकि उसका आयनिक सिरा गुच्छे की सतह पर होता है। इस प्रकार जो संरचना प्राप्त होती है उसे मिसेल कहते हैं।


डिटर्जेंट को मूल रूप से रासायनिक रूप से अमोनियम या कार्बोक्जिलिक एसिड की एक लंबी श्रृंखला के एल्काइल बेंजीन सल्फोनेट लवण के रूप में परिभाषित किया जाता है। एक सिंथेटिक डिटर्जेंट मूल रूप से एक सिंथेटिक पदार्थ है और एक प्रभावी क्लीन्ज़र है जो कठोर या मृदु जल में सतह-सक्रिय एजेंट के रूप में समान रूप से कार्य करता है।
डिटर्जेंट को मूल रूप से रासायनिक रूप से अमोनियम या कार्बोक्जिलिक एसिड की एक लंबी श्रृंखला के एल्काइल बेंजीन सल्फोनेट लवण के रूप में परिभाषित किया जाता है। एक सिंथेटिक डिटर्जेंट मूल रूप से एक सिंथेटिक पदार्थ है और एक प्रभावी क्लीन्ज़र है जो कठोर या मृदु जल में सतह-सक्रिय एजेंट के रूप में समान रूप से कार्य करता है।
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  '''अपमार्जक का रासायनिक सूत्र - C<sub>18</sub>H<sub>29</sub>NaO<sub>3</sub>S'''
  '''अपमार्जक का रासायनिक सूत्र - C<sub>18</sub>H<sub>29</sub>NaO<sub>3</sub>S'''
==साबुन==
==साबुन==
साबुन लंबी श्रृंखला वाले वसा अम्ल के सिर्फ पोटेशियम या सोडियम लवण होते हैं। [[साबुनीकरण]] के दौरान, एस्टर ,एलकोहॉल और साबुन का उत्पादन करने के लिए वसा अम्ल एक अकार्बनिक [[क्षार]] के साथ अभिक्रिया करता है। साबुनीकरण साबुन बनाने की एक प्रक्रिया है। साबुन लंबी श्रृंखला वाले [[वसा अम्ल]] के सिर्फ पोटेशियम या सोडियम लवण होते हैं। साबुनीकरण के दौरान, एस्टर ,एलकोहॉल और साबुन का उत्पादन करने के लिए वसा अम्ल एक अकार्बनिक क्षार के साथ अभिक्रिया करता है।
साबुन लंबी श्रृंखला वाले वसा अम्ल के सिर्फ पोटेशियम या सोडियम लवण होते हैं। [[साबुनीकरण]] के दौरान, एस्टर ,एलकोहॉल और साबुन का उत्पादन करने के लिए वसा अम्ल एक अकार्बनिक [[क्षार]] के साथ अभिक्रिया करता है। [[साबुनीकरण]] साबुन बनाने की एक प्रक्रिया है। साबुन लंबी श्रृंखला वाले [[वसा अम्ल]] के सिर्फ पोटेशियम या सोडियम लवण होते हैं। साबुनीकरण के दौरान, एस्टर ,एलकोहॉल और साबुन का उत्पादन करने के लिए वसा अम्ल एक अकार्बनिक क्षार के साथ अभिक्रिया करता है।


सामान्यतः, यह तब होता है जब ट्राइग्लिसराइड्स पोटेशियम या सोडियम हाइड्रॉक्साइड के साथ ग्लिसरॉल और वसा अम्ल के लवण का उत्पादन करने के लिए अभिक्रिया करता है, जिसे 'साबुन' कहा जाता है।
सामान्यतः, यह तब होता है जब ट्राइग्लिसराइड्स पोटेशियम या सोडियम हाइड्रॉक्साइड के साथ ग्लिसरॉल और वसा अम्ल के लवण का उत्पादन करने के लिए अभिक्रिया करता है, जिसे 'साबुन' कहा जाता है।

Latest revision as of 11:24, 13 June 2024

वे जल में घुलनशील पदार्थ जो अशुद्धियों और गंदगी के साथ मिलकर उन्हें अधिक घुलनशील बनाता है। उदाहरण के लिए डाई ऑक्सेलिक अम्ल। अपमार्जक सामान्यतः लंबी श्रृंखला वाले कार्बोक्सिलिक अम्लों के अमोनियम या सल्फोनेट लवण होते हैं, जो क्लोराइड या ब्रोमाइड आयनों के कैल्शियम एवं मैग्नीशियम आयनों के साथ अघुलनशील पदार्थ नहीं बनाते हैं। इस प्रकार वह कठोर जल में प्रभावी होते हैं। इनका उपयोग शैम्पू एवं कपड़े धोने के साबुन एवं अपमार्जक पाउडर के रूप में किया जाता है। इन यौगिकों के आवेशित सिरे जल में कैल्शियम और मैग्नीशियम आयनों के साथ अघुलनशील अवक्षेप नहीं बनाते हैं।

अपमार्जक के अणु ऐसे होते हैं। जिनके दोनों सिरों के गुणधर्म भिन्न भिन्न होते हैं। अपमार्जक का वह सिरा जो जल में विलेय होता है उस सिरे को जलरागी कहते हैं तथा वह सिरा जो जल में अविलेय होता है उसे जलविरागी कहते हैं। जब जल अपमार्जक की सतह पर होता है तब उसके अणु अपने को इस प्रकार व्यवस्थित कर लेते हैं की इसका एक सिरा जल के अंदर होता है जबकि हाइड्रोकार्बन का दूसरा सिरा जल के बाहर होता है। जल के अंदर इन अणुओं की एक विशेष व्यवस्था होती है जिससे इसका हाइड्रोकार्बन सिरा जल के बाहर बना होता है। इसमें अणुओं का एक बड़ा गुच्छा बनता है। जलविरागी भाग आंतरिक हिस्से में होता है जबकि उसका आयनिक सिरा गुच्छे की सतह पर होता है। इस प्रकार जो संरचना प्राप्त होती है उसे मिसेल कहते हैं।

डिटर्जेंट को मूल रूप से रासायनिक रूप से अमोनियम या कार्बोक्जिलिक एसिड की एक लंबी श्रृंखला के एल्काइल बेंजीन सल्फोनेट लवण के रूप में परिभाषित किया जाता है। एक सिंथेटिक डिटर्जेंट मूल रूप से एक सिंथेटिक पदार्थ है और एक प्रभावी क्लीन्ज़र है जो कठोर या मृदु जल में सतह-सक्रिय एजेंट के रूप में समान रूप से कार्य करता है।

वे पदार्थ जो कम सांद्रता पर प्रबल वैधुत अपघट्यों के समान व्यवहार करते हैं , लेकिन उच्च सांद्रताओं पर ये कणों का एक पुंज बनाते हैं यह पुंज बनने के कारण ये कोलॉइड के समान व्यवहार करते हैं। इस प्रकार के पुंजित कण मिसेल कहलाते हैं।

अपमार्जक का रासायनिक सूत्र - C18H29NaO3S

साबुन

साबुन लंबी श्रृंखला वाले वसा अम्ल के सिर्फ पोटेशियम या सोडियम लवण होते हैं। साबुनीकरण के दौरान, एस्टर ,एलकोहॉल और साबुन का उत्पादन करने के लिए वसा अम्ल एक अकार्बनिक क्षार के साथ अभिक्रिया करता है। साबुनीकरण साबुन बनाने की एक प्रक्रिया है। साबुन लंबी श्रृंखला वाले वसा अम्ल के सिर्फ पोटेशियम या सोडियम लवण होते हैं। साबुनीकरण के दौरान, एस्टर ,एलकोहॉल और साबुन का उत्पादन करने के लिए वसा अम्ल एक अकार्बनिक क्षार के साथ अभिक्रिया करता है।

सामान्यतः, यह तब होता है जब ट्राइग्लिसराइड्स पोटेशियम या सोडियम हाइड्रॉक्साइड के साथ ग्लिसरॉल और वसा अम्ल के लवण का उत्पादन करने के लिए अभिक्रिया करता है, जिसे 'साबुन' कहा जाता है।

त्वचा की सतह सहित वस्तुओं से गंदगी और तेल को साफ करने के लिए साबुन आवश्यक हैं। नहाने, सफाई करने, कपड़े धोने और अन्य घरेलू कामों में साबुन का व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है। एस्टर की हाइड्रोलिसिस NaOH या KOH की उपस्थित में करने पर वसा अम्ल के सोडियम और पोटेशियम लवण तथा साथ में अल्कोहल तथा अम्ल प्राप्त होते है।


अभ्यास प्रश्न

  • क्या आप अपमार्जक के प्रयोग से बना सकते हैं कि कौन सा जल  कठोर और कौन सा जल मृदु है ?
  • अपमार्जक से आप समझते हैं ?
  • साबुन एवं अपमार्जक में अंतर बताइये ?
  • साबुनीकरण क्या है ? अभिक्रिया दीजिये।
  • वसा अम्ल के सोडियम लवण को क्या कहते हैं ?