जलीय प्रतिबल: Difference between revisions
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जलीय प्रतिबल (हाइड्रॉलिक स्ट्रेस) का तात्पर्य किसी वस्तु पर तरल पदार्थ द्वारा लगाए गए दबाव या बल से है, | जलीय प्रतिबल (हाइड्रॉलिक स्ट्रेस) का तात्पर्य किसी वस्तु पर तरल पदार्थ द्वारा लगाए गए दबाव या बल से है। तरलों के संदर्भ में प्रायः,जकीय प्रतिबल के उत्पत्ति किसी संकुचित व सीमित व्यवस्था में पाई जाती है,जिसे संवृत प्रणाली के नाम सी जाना जाता है। इस प्रकार की परिघटना पास्कल के नियम पर आधारित है, जिसमें यह उद्धृत कीया जाता है की जब किसी परिरुद्ध द्रव के किसी बिंदु पर दाब में वृद्धि होती है, तो दाब सभी दिशाओं में समान रूप से संचरित हो जाता है | ||
इसी तरह से किसी ठोस पिंड की सतह के प्रत्येक बिंदु पर लंबवत बल लगाने पर उसके ज्यामितीय आकार में कोई बदलाव किए बिना आयतन में परिवर्तन होता है, तो उस ठोस पिंड में प्रति इकाई क्षेत्र पर लगने वाले पुनर्स्थापन बल को जलीय प्रतिबल (हाइड्रोलिक स्ट्रेस) कहा जाता है। प्रायः,एक ठोस गोलाकार पिंड को उच्च दबाव वाले तरल पदार्थ में रख कर जलीय प्रतिबल के अस्तित्व को उजागर कीया जाता है। | |||
== समझने के लिए :एक साधारण उदाहरण == | == समझने के लिए :एक साधारण उदाहरण == | ||
जल से भरे ,एक बंद, धारक/पात्र की कल्पना करने पर उस धारक पात्र के सतही क्षेत्र पर मुक्त वातावरण से प्रसारित बल, निचली सतहों पर कुछ वैसे ही स्थानांतरित होता है जैसे कि पिस्टन द्वारा धक्का देकर या भार लगने पर, किसी तरल द्वारा पिस्टन से आवेषित बल ,उस तरल में सभी दिशाओं में संचरित हो जाता है। | |||
बल का यह संचरण इसलिए होता है क्योंकि तरल पदार्थ वस्तुतः असंपीड्य होते हैं। जब किसी द्रव के एक भाग पर बल लगाया जाता है, तो द्रव के कण उस बल को आसन्न कणों तक संचारित करते हैं, जिससे दबाव में वृद्धि होती है। | बल का यह संचरण इसलिए होता है क्योंकि तरल पदार्थ वस्तुतः असंपीड्य होते हैं। जब किसी द्रव के एक भाग पर बल लगाया जाता है, तो द्रव के कण उस बल को आसन्न कणों तक संचारित करते हैं, जिससे आंतरिक दबाव में वृद्धि होती है। अंततोगत्वा, इस प्रकार का दबाव सम्पूर्ण तरल में समान रूप से वितरित हो जाता है व ऐसा माना जा सकता है की इसके संपर्क में आने वाली सभी सतहों पर बल आरोपित हो रहा है। | ||
== गणना == | == गणना == | ||
जलीय | जलीय की गणना उस सतह क्षेत्र द्वारा लगाए गए बल को विभाजित करके की जा सकती है जिस पर बल कार्य कर रहा है। जलीय तनाव का सूत्र है: | ||
<math>Hydraulic Stress = \frac {Force}{Area}</math> | |||
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एक सामान्य उदाहरण मशीनरी में प्रयुक्त जलीय प्रणाली है, जैसे जलीय लिफ्ट और ब्रेकिंग प्रणाली । एक जलीय लिफ्ट में, उदाहरण के लिए, एक छोटे सतह क्षेत्र (जैसे लीवर को धक्का देने) पर | एक सामान्य उदाहरण मशीनरी में प्रयुक्त जलीय प्रणाली है, जैसे जलीय लिफ्ट और ब्रेकिंग प्रणाली । एक जलीय लिफ्ट में, उदाहरण के लिए, एक छोटे सतह क्षेत्र (जैसे लीवर को धक्का देने) पर आरोपित लघु श्रेणी के बल द्वारा उत्पन्न शक्ति को एक विस्तारित सतह क्षेत्र (जैसा क्षेत्र किसी भारी वस्तु को उठाने के लीये आवयशक पड़ता है) पर एक वृहद मात्रा में बढ़ाया जा सकता है। | ||
[[File:Diagram of Hydraulic Fracking.jpg|thumb|जलीय दाब का उपयोग कर,पृथ्वी की सतह पर पाए जाने वाले वातावरणीय दबाव से उत्पन्न के ऊर्जा का कुछ प्रतिशत,पृथ्वी की सतह के अंदर पाई जाने वाली गैसों व अन्य तरलों के सुचारू निष्पादन के लीये प्रयुक्त प्रणाली का चित्रण । यहाँ जलीय दबाव, पृथ्वी से निकले जाने वाली तरल संपदा ,जो वस्ताव में मानव निर्मित अथवा धरा के अंदर पुरानी पड़ रही नलिकाओं में आई बाधाओं के निस्तार में वातावरणीय दबाव से उत्पन्न ऊर्जा,का उपयोग करने में सहूलीयत प्रदान करता है।]] | |||
जलीय प्रणाली को अभिकल्पित (डिजाइन) और विश्लेषण करने वाले इंजीनियरों और वैज्ञानिकों के लिए जलीय तनाव को समझना महत्वपूर्ण है। यह उन्हें यह सुनिश्चित करने में | जलीय प्रणाली को अभिकल्पित (डिजाइन) और विश्लेषण करने वाले इंजीनियरों और वैज्ञानिकों के लिए जलीय तनाव को समझना महत्वपूर्ण है। यह उन्हें,यह सुनिश्चित करने में सुविधा करता है कि विभिन्न प्रकार के पदार्थों से बनी सामग्री और उस सामग्री से बनी घटकों की प्रणाली के भीतर तरल पदार्थ द्वारा लगाए गए बल और दबाव का सामना कर सकते हैं। जलीय तनाव पर विचार करके, वे ऐसे प्रणाली अभिकल्पित कर सकते हैं जो कुशल, विश्वसनीय और सुरक्षित हों। इस तरह की एक प्रणाली का उदाहरण जलीय ऊर्जा का उपयोग कर धरा-तल से तेल अथवा गैस निकालने की प्रक्रीया में आई बाधाओं को निस्तारित करने में उपयोग में आने वाली "फ्रेकिंग प्रक्रीया" है,जिसका चित्रण साथ में दीये गए चित्र द्वारा कीया गया है। | ||
== संक्षेप में == | == संक्षेप में == | ||
जलीय तनाव एक तरल पदार्थ द्वारा लगाए गए दबाव या बल को संदर्भित करता है, जब यह एक बंद प्रणाली के भीतर सीमित होता है। यह पास्कल के नियम पर आधारित है, जो बताता है कि एक सीमित द्रव में दबाव सभी दिशाओं में समान रूप से संचरित होता है। जलीय तनाव विभिन्न अनुप्रयोगों में महत्वपूर्ण है, विशेष रूप से जलीय प्रणाली में, जहां यह इंजीनियरों को ऐसे प्रणाली को डिजाइन और विश्लेषण करने में मदद करता है जो तरल पदार्थ के दबावों और बलों को प्रभावी ढंग से नियंत्रित कर सकते हैं। | जलीय तनाव एक तरल पदार्थ द्वारा लगाए गए दबाव या बल को संदर्भित करता है, जब यह एक बंद प्रणाली के भीतर सीमित होता है। यह पास्कल के नियम पर आधारित है, जो बताता है कि एक सीमित द्रव में दबाव सभी दिशाओं में समान रूप से संचरित होता है। जलीय तनाव विभिन्न अनुप्रयोगों में महत्वपूर्ण है, विशेष रूप से जलीय प्रणाली में, जहां यह इंजीनियरों को ऐसे प्रणाली को डिजाइन और विश्लेषण करने में मदद करता है जो तरल पदार्थ के दबावों और बलों को प्रभावी ढंग से नियंत्रित कर सकते हैं। | ||
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Latest revision as of 08:38, 13 May 2024
Hydraulic stress
जलीय प्रतिबल (हाइड्रॉलिक स्ट्रेस) का तात्पर्य किसी वस्तु पर तरल पदार्थ द्वारा लगाए गए दबाव या बल से है। तरलों के संदर्भ में प्रायः,जकीय प्रतिबल के उत्पत्ति किसी संकुचित व सीमित व्यवस्था में पाई जाती है,जिसे संवृत प्रणाली के नाम सी जाना जाता है। इस प्रकार की परिघटना पास्कल के नियम पर आधारित है, जिसमें यह उद्धृत कीया जाता है की जब किसी परिरुद्ध द्रव के किसी बिंदु पर दाब में वृद्धि होती है, तो दाब सभी दिशाओं में समान रूप से संचरित हो जाता है
इसी तरह से किसी ठोस पिंड की सतह के प्रत्येक बिंदु पर लंबवत बल लगाने पर उसके ज्यामितीय आकार में कोई बदलाव किए बिना आयतन में परिवर्तन होता है, तो उस ठोस पिंड में प्रति इकाई क्षेत्र पर लगने वाले पुनर्स्थापन बल को जलीय प्रतिबल (हाइड्रोलिक स्ट्रेस) कहा जाता है। प्रायः,एक ठोस गोलाकार पिंड को उच्च दबाव वाले तरल पदार्थ में रख कर जलीय प्रतिबल के अस्तित्व को उजागर कीया जाता है।
समझने के लिए :एक साधारण उदाहरण
जल से भरे ,एक बंद, धारक/पात्र की कल्पना करने पर उस धारक पात्र के सतही क्षेत्र पर मुक्त वातावरण से प्रसारित बल, निचली सतहों पर कुछ वैसे ही स्थानांतरित होता है जैसे कि पिस्टन द्वारा धक्का देकर या भार लगने पर, किसी तरल द्वारा पिस्टन से आवेषित बल ,उस तरल में सभी दिशाओं में संचरित हो जाता है।
बल का यह संचरण इसलिए होता है क्योंकि तरल पदार्थ वस्तुतः असंपीड्य होते हैं। जब किसी द्रव के एक भाग पर बल लगाया जाता है, तो द्रव के कण उस बल को आसन्न कणों तक संचारित करते हैं, जिससे आंतरिक दबाव में वृद्धि होती है। अंततोगत्वा, इस प्रकार का दबाव सम्पूर्ण तरल में समान रूप से वितरित हो जाता है व ऐसा माना जा सकता है की इसके संपर्क में आने वाली सभी सतहों पर बल आरोपित हो रहा है।
गणना
जलीय की गणना उस सतह क्षेत्र द्वारा लगाए गए बल को विभाजित करके की जा सकती है जिस पर बल कार्य कर रहा है। जलीय तनाव का सूत्र है:
जहाँ:
- जलीय तनाव तरल पदार्थ द्वारा लगाए गए प्रति यूनिट क्षेत्र पर दबाव या बल है,
- बल तरल पर लगाया गया बल है,
- क्षेत्र वह सतह क्षेत्र है जिस पर बल कार्य कर रहा है।
व्यावहारिक अनुप्रयोग
एक सामान्य उदाहरण मशीनरी में प्रयुक्त जलीय प्रणाली है, जैसे जलीय लिफ्ट और ब्रेकिंग प्रणाली । एक जलीय लिफ्ट में, उदाहरण के लिए, एक छोटे सतह क्षेत्र (जैसे लीवर को धक्का देने) पर आरोपित लघु श्रेणी के बल द्वारा उत्पन्न शक्ति को एक विस्तारित सतह क्षेत्र (जैसा क्षेत्र किसी भारी वस्तु को उठाने के लीये आवयशक पड़ता है) पर एक वृहद मात्रा में बढ़ाया जा सकता है।
जलीय प्रणाली को अभिकल्पित (डिजाइन) और विश्लेषण करने वाले इंजीनियरों और वैज्ञानिकों के लिए जलीय तनाव को समझना महत्वपूर्ण है। यह उन्हें,यह सुनिश्चित करने में सुविधा करता है कि विभिन्न प्रकार के पदार्थों से बनी सामग्री और उस सामग्री से बनी घटकों की प्रणाली के भीतर तरल पदार्थ द्वारा लगाए गए बल और दबाव का सामना कर सकते हैं। जलीय तनाव पर विचार करके, वे ऐसे प्रणाली अभिकल्पित कर सकते हैं जो कुशल, विश्वसनीय और सुरक्षित हों। इस तरह की एक प्रणाली का उदाहरण जलीय ऊर्जा का उपयोग कर धरा-तल से तेल अथवा गैस निकालने की प्रक्रीया में आई बाधाओं को निस्तारित करने में उपयोग में आने वाली "फ्रेकिंग प्रक्रीया" है,जिसका चित्रण साथ में दीये गए चित्र द्वारा कीया गया है।
संक्षेप में
जलीय तनाव एक तरल पदार्थ द्वारा लगाए गए दबाव या बल को संदर्भित करता है, जब यह एक बंद प्रणाली के भीतर सीमित होता है। यह पास्कल के नियम पर आधारित है, जो बताता है कि एक सीमित द्रव में दबाव सभी दिशाओं में समान रूप से संचरित होता है। जलीय तनाव विभिन्न अनुप्रयोगों में महत्वपूर्ण है, विशेष रूप से जलीय प्रणाली में, जहां यह इंजीनियरों को ऐसे प्रणाली को डिजाइन और विश्लेषण करने में मदद करता है जो तरल पदार्थ के दबावों और बलों को प्रभावी ढंग से नियंत्रित कर सकते हैं।