समपरासरी विलयन: Difference between revisions

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सम परासरी [[विलयन]] वे विलयन होते हैं, जब दोनों विलयनों की सांद्रता का मान समान होता है जिससे दोनों विलयन के लिए [[परासरण दाब]] का मान भी बराबर होता है अत: वे विलयन जिनके लिए परासरण दाब का मान समान होता है उन्हें समपरासरी विलयन कहते है। '''''"समान ताप पर जिन विलयनों के परासरण दाब समान होते हैं, उन्हें समपरासरी विलयन कहते हैं। समपरासरी विलयनों में विलयनों की मोलर सान्द्रताएँ समान होती हैं।"'''''
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समान ताप पर जब दो समपरासरी विलयनों को एक-दूसरे से अर्द्ध-पारगम्य झिल्ली द्वारा पृथक् करते हैं तब विलायक का प्रवाह किसी भी दिशा में नहीं होता है। वे विलयन जिनके लिए परासरण दाब का मान समान होता है उन्हें समपरासरी विलयन कहते है। अतः 
 
एक विलयन का परासरण दाब  = दूसरे विलयन का परासरण दाब<blockquote><math>\Pi 1= \Pi 2</math>
 
<math>\Pi V= n R T</math>
 
<math>\Pi= \frac{w}{mV} R T</math>
 
<math>\Pi= \frac{n}{V} R T</math>
 
<chem>n= \frac{w}{m}</chem>
 
<chem>\Pi= \frac{w}{m V} R T</chem>
 
<math> \frac{w_1}{m_1 V_1} R T =  \frac{w_2}{m_2 V_2} R T</math></blockquote>जहाँ
 
<math>\pi</math> - परासरण दाब
 
n - मोलो की संख्या
 
R - गैस स्थिरांक
 
T - ताप
 
w - विलेय का भार
 
m - विलेय का अणुभार
 
=== उदाहरण ===
रूधिर कोशिकाओं के अन्दर स्थित द्रव की [[सान्द्रता पर ताप की निर्भरता|सान्द्रता]] 9% w/V NaCI के बराबर होती है अर्थात् दोनों विलयनों की सान्द्रता समान होने के कारण ये समपरासरी विलयन कहलाते हैं।
 
== परासरण दाब ==
किसी विलयन को विलायक से अर्द्धपारगम्य झिल्ली द्वारा अलग रखने पर होने वाले [[परासरण]] को रोकने के लिए विलयन पर कम-से-कम जितना  बाहरी दाब लगाना पड़ता है, वह विलयन का परासरण दाब कहलाता है। परासरण दाब को π से प्रदर्शित करते है। यह एक संपार्श्विक गुण है, विलेय की प्रकृति पर निर्भर है।
 
एक अर्धपारगम्य झिल्ली द्वारा दो भागों में विभाजित एक कंटेनर की कल्पना करें। यह झिल्ली विलायक अणुओं को निकलने की अनुमति देती है लेकिन विलेय अणुओं को नहीं। यदि एक डिब्बे में दूसरे की तुलना में विलेय की सांद्रता अधिक है, तो विलायक अणु कम विलेय सांद्रता वाली तरफ से उच्च विलेय सांद्रता वाली तरफ चले जाएंगे। विलायक अणुओं की यह गति दबाव बनाती है और इस दबाव को परासरण दाब कहा जाता है। परासरण को यदि रोकना चाहें तो उसे रोकने के लिए उसके विपरीत एक वाह्य दाब लगाना पड़ेगा। परासरण को रोकने के लिये आवश्यक वाह्य दाब की मात्रा को परासरण दाब कहते हैं। किसी भी विलयन का परासरण दाब विलायक में उपस्थित विलेय के अणुओं की सांद्रता के सीधे समानुपाती होता है।<blockquote><math>\Pi V= n R T</math>
 
<math>\Pi= \frac{w}{mV} R T</math>
 
<math>\Pi= \frac{n}{V} R T</math>
 
<chem>n= \frac{w}{m}</chem>
 
<chem>\Pi= C R T</chem>
 
<chem>C = \frac{w}{m V} R T</chem>
 
<chem>\Pi= \frac{w}{m V} R T</chem>
 
<chem>M = \frac{w}{\Pi V} R T</chem></blockquote>जहाँ
 
<math>\pi</math> - परासरण दाब
 
n - मोलो की संख्या
 
R - गैस स्थिरांक
 
T - ताप
 
w - विलेय का भार
 
m - विलेय का अणुभार
 
किसी भी विलयन का परासरण दाब विलायक में उपस्थित विलेय के अणुओं की सांद्रता के समानुपाती होता है। विलयन में विलेय के अणुओं की संख्या जितनी अधिक होती है, विलयन का परासरण दाब उतना ही अधिक होता है।
 
== अभ्यास प्रश्न ==
 
* परासरण दाब एवं समपरासरी विलयन से आप क्या समझते हैं ?
* परासरण दाब का सूत्र लिखिए।
* समपरासरी विलयन का कोई एक उदाहरण दीजिये।

Latest revision as of 12:58, 12 May 2024

सम परासरी विलयन वे विलयन होते हैं, जब दोनों विलयनों की सांद्रता का मान समान होता है जिससे दोनों विलयन के लिए परासरण दाब का मान भी बराबर होता है अत: वे विलयन जिनके लिए परासरण दाब का मान समान होता है उन्हें समपरासरी विलयन कहते है। "समान ताप पर जिन विलयनों के परासरण दाब समान होते हैं, उन्हें समपरासरी विलयन कहते हैं। समपरासरी विलयनों में विलयनों की मोलर सान्द्रताएँ समान होती हैं।"

समान ताप पर जब दो समपरासरी विलयनों को एक-दूसरे से अर्द्ध-पारगम्य झिल्ली द्वारा पृथक् करते हैं तब विलायक का प्रवाह किसी भी दिशा में नहीं होता है। वे विलयन जिनके लिए परासरण दाब का मान समान होता है उन्हें समपरासरी विलयन कहते है। अतः

एक विलयन का परासरण दाब  = दूसरे विलयन का परासरण दाब

जहाँ

- परासरण दाब

n - मोलो की संख्या

R - गैस स्थिरांक

T - ताप

w - विलेय का भार

m - विलेय का अणुभार

उदाहरण

रूधिर कोशिकाओं के अन्दर स्थित द्रव की सान्द्रता 9% w/V NaCI के बराबर होती है अर्थात् दोनों विलयनों की सान्द्रता समान होने के कारण ये समपरासरी विलयन कहलाते हैं।

परासरण दाब

किसी विलयन को विलायक से अर्द्धपारगम्य झिल्ली द्वारा अलग रखने पर होने वाले परासरण को रोकने के लिए विलयन पर कम-से-कम जितना  बाहरी दाब लगाना पड़ता है, वह विलयन का परासरण दाब कहलाता है। परासरण दाब को π से प्रदर्शित करते है। यह एक संपार्श्विक गुण है, विलेय की प्रकृति पर निर्भर है।

एक अर्धपारगम्य झिल्ली द्वारा दो भागों में विभाजित एक कंटेनर की कल्पना करें। यह झिल्ली विलायक अणुओं को निकलने की अनुमति देती है लेकिन विलेय अणुओं को नहीं। यदि एक डिब्बे में दूसरे की तुलना में विलेय की सांद्रता अधिक है, तो विलायक अणु कम विलेय सांद्रता वाली तरफ से उच्च विलेय सांद्रता वाली तरफ चले जाएंगे। विलायक अणुओं की यह गति दबाव बनाती है और इस दबाव को परासरण दाब कहा जाता है। परासरण को यदि रोकना चाहें तो उसे रोकने के लिए उसके विपरीत एक वाह्य दाब लगाना पड़ेगा। परासरण को रोकने के लिये आवश्यक वाह्य दाब की मात्रा को परासरण दाब कहते हैं। किसी भी विलयन का परासरण दाब विलायक में उपस्थित विलेय के अणुओं की सांद्रता के सीधे समानुपाती होता है।

जहाँ

- परासरण दाब

n - मोलो की संख्या

R - गैस स्थिरांक

T - ताप

w - विलेय का भार

m - विलेय का अणुभार

किसी भी विलयन का परासरण दाब विलायक में उपस्थित विलेय के अणुओं की सांद्रता के समानुपाती होता है। विलयन में विलेय के अणुओं की संख्या जितनी अधिक होती है, विलयन का परासरण दाब उतना ही अधिक होता है।

अभ्यास प्रश्न

  • परासरण दाब एवं समपरासरी विलयन से आप क्या समझते हैं ?
  • परासरण दाब का सूत्र लिखिए।
  • समपरासरी विलयन का कोई एक उदाहरण दीजिये।