पारदर्शी साबुन: Difference between revisions
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पारदर्शी साबुन, जिसे ग्लिसरीन [[साबुनीकरण|साबुन]] भी कहा जाता है, एक प्रकार का साबुन है जो पारदर्शी या पारभासी होता है। इस प्रकार का साबुन न केवल सौंदर्य की दृष्टि से सुखद है, बल्कि कोमल सफाई गुण भी प्रदान करता है। | |||
== सामग्री == | |||
'''क्षारीय तेल और वसा :''' सामान्य तेलों में नारियल तेल, अरंडी का तेल और कभी-कभी टैलो या पाम तेल सम्मिलित हैं। इन्हें एक स्थिर, लंबे समय तक चलने वाला साबुन बनाने की उनकी क्षमता के लिए चुना गया है। | |||
'''ग्लिसरीन:''' पारदर्शी साबुन में एक प्रमुख घटक, ग्लिसरीन साबुनीकरण प्रक्रिया का एक उपोत्पाद है और पारदर्शिता बनाए रखने और मॉइस्चराइजिंग गुण प्रदान करने के लिए इसे साबुन में वापस जोड़ा जाता है। | |||
'''इथेनॉल:''' इथेनॉल (एथिल [[एल्कोहल]]) या आइसोप्रोपिल एल्कोहल का उपयोग साबुन के [[क्षार]] को घोलने के लिए किया जाता है, जिससे स्पष्ट उपस्थिति प्राप्त करने में मदद मिलती है। | |||
'''शर्करा:''' ह्यूमेक्टेंट के रूप में कार्य करता है और साबुन की पारदर्शी गुणवत्ता बनाने में भी मदद करता है। | |||
'''जल:''' सामग्री को घोलने और मिलाने के लिए आवश्यक। | |||
'''अन्य योजक:''' खुशबू और रंग के लिए आवश्यक तेल, सुगंध और रंग मिलाए जा सकते हैं, हालांकि स्पष्टता बनाए रखने के लिए इन्हें आमतौर पर न्यूनतम रखा जाता है। | |||
==साबुन के प्रकार== | |||
*'''प्रसाधन साबुन''' अच्छे प्रकार के वसा एवं तेलों से बनाये जाते हैं तथा इसमें क्षार की मात्रा कम होती है। इन्हे अधिक आकर्षक बनाने के लिए इनमे रंग और अच्छी सुगंध भी डाली जाती है। | |||
*'''पानी में तैरने वाले साबुन''' बनाने के लिए उनके कड़ा होने से पहले वायु के छोटे बुलबुले विस्पंदित किये जाते हैं। | |||
*'''पारदर्शी साबुन''', साबुन को एथेनॉल में घोलकर और विलायक को आधिक्य में मिलाकर वाष्पित करके तैयार किये जाते हैं। | |||
*'''औषध साबुन''' में औषधीय गुण वाले पदार्थ डाले जाते हैं। | |||
==साबुनीकरण== | |||
साबुनीकरण साबुन बनाने की एक प्रक्रिया है। साबुन लंबी श्रृंखला वाले वसा अम्ल के सिर्फ पोटेशियम या सोडियम लवण होते हैं। साबुनीकरण के दौरान, एस्टर ,एलकोहॉल और साबुन का उत्पादन करने के लिए वसा अम्ल एक अकार्बनिक [[क्षार]] के साथ अभिक्रिया करता है। साबुनीकरण साबुन बनाने की एक प्रक्रिया है। साबुन लंबी श्रृंखला वाले वसा अम्ल के सिर्फ पोटेशियम या सोडियम लवण होते हैं। साबुनीकरण के दौरान, एस्टर, एलकोहॉल और साबुन का उत्पादन करने के लिए [[वसा अम्ल]] एक अकार्बनिक क्षार के साथ अभिक्रिया करता है। | |||
सामान्यतः, यह तब होता है जब ट्राइग्लिसराइड्स पोटेशियम या सोडियम हाइड्रॉक्साइड के साथ ग्लिसरॉल और वसा अम्ल के लवण का उत्पादन करने के लिए अभिक्रिया करता है, जिसे 'साबुन' कहा जाता है। | |||
त्वचा की सतह सहित वस्तुओं से गंदगी और तेल को साफ करने के लिए साबुन आवश्यक हैं। नहाने, सफाई करने, कपड़े धोने और अन्य घरेलू कामों में साबुन का व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है। एस्टर की हाइड्रोलिसिस NaOH या KOH की उपस्थित में करने पर वसा अम्ल के सोडियम और पोटेशियम लवण तथा साथ में एल्कोहॉल तथा अम्ल प्राप्त होते है। | |||
<chem>RCOOR' + NaOH -> RCOONa + ROH</chem> | |||
साबुन बनाने की प्रक्रिया को '''साबुनीकरण''' कहते हैं। | |||
ट्राइग्लिसराइड्स सामान्यतः पशु वसा और वनस्पति तेल होते हैं। जब वे सोडियम हाइड्रॉक्साइड या पोटेशियम हाइड्रॉक्साइड के साथ अभिक्रिया करते हैं, तो साबुन प्राप्त होता है। सोडियम से प्राप्त साबुन कठोर होता है। यहीं पर पोटेशियम से प्राप्त साबुन मृदु साबुन होता है। | |||
समीकरण को इस प्रकार लिखा जा सकता है: | |||
'''एस्टर + क्षार —————> ऐल्कोहॉल + साबुन''' | |||
साबुन के [[अणु]] लम्बी श्रंखला वाले कार्बोक्सिलिक अम्लों के सोडियम एवं पोटेशियम लवण होते हैं। साबुन का आयनिक भाग जल से कर्बनिक श्रंखला तेल से पारस्परिक क्रिया करती है। इस प्रकार साबुन के अणु मिसेली संरचना तैयार करते हैं जहाँ अणु का एक सिरा तेल कण की ओर तथा आयनिक सिरा बाहर की ओर होता है इससे जल में इमल्शन बन जाता है। इस प्रकार साबुन का मिसेल मैल को जल से बाहर निकलने में मदद करता है और कपड़े साफ़ हो जाते हैं। साबुन के अणु ऐसे होते हैं। जिनके दोनों सिरों के गुणधर्म भिन्न भिन्न होते हैं। साबुन का वह सिरा जो जल में विलेय होता है उस सिरे को '''[[जलरागी]]''' कहते हैं तथा वह सिरा जो जल में अविलेय होता है उसे '''[[जलविरागी]]''' कहते हैं। जब जल साबुन की सतह पर होता है तब उसके [[अणु]] अपने को इस प्रकार व्यवस्थित कर लेते हैं की इसका एक सिरा जल के अंदर होता है जबकि हाइड्रोकार्बन का दूसरा सिरा जल के बाहर होता है। जल के अंदर इन अणुओं की एक विशेष व्यवस्था होती है जिससे इसका हाइड्रोकार्बन सिरा जल के बाहर बना होता है। इसमें अणुओं का एक बड़ा गुच्छा बनता है। जलविरागी भाग आंतरिक हिस्से में होता है जबकि उसका आयनिक सिरा गुच्छे की सतह पर होता है। इस प्रकार जो संरचना प्राप्त होती है उसे मिसेल कहते हैं। | |||
वे [[पदार्थ]] जो कम सांद्रता पर प्रबल वैधुत अपघट्यों के समान व्यवहार करते हैं , लेकिन उच्च सांद्रताओं पर ये कणों का एक पुंज बनाते हैं यह पुंज बनने के कारण ये [[कोलॉइड]] के समान व्यवहार करते हैं। इस प्रकार के पुंजित कण मिसेल कहलाते हैं। | |||
==अभ्यास प्रश्न== | |||
*साबुन के दोनों सिरों के गुणधर्म भिन्न भिन्न क्यों होते हैं? | |||
*पारदर्शी साबुन किसे कहते हैं? यह किस प्रकार बनते हैं। | |||
*साबुनीकरण क्या है ? अभिक्रिया दीजिये। | |||
*वसा अम्ल के सोडियम लवण को क्या कहते हैं ? |
Latest revision as of 10:59, 31 May 2024
पारदर्शी साबुन, जिसे ग्लिसरीन साबुन भी कहा जाता है, एक प्रकार का साबुन है जो पारदर्शी या पारभासी होता है। इस प्रकार का साबुन न केवल सौंदर्य की दृष्टि से सुखद है, बल्कि कोमल सफाई गुण भी प्रदान करता है।
सामग्री
क्षारीय तेल और वसा : सामान्य तेलों में नारियल तेल, अरंडी का तेल और कभी-कभी टैलो या पाम तेल सम्मिलित हैं। इन्हें एक स्थिर, लंबे समय तक चलने वाला साबुन बनाने की उनकी क्षमता के लिए चुना गया है।
ग्लिसरीन: पारदर्शी साबुन में एक प्रमुख घटक, ग्लिसरीन साबुनीकरण प्रक्रिया का एक उपोत्पाद है और पारदर्शिता बनाए रखने और मॉइस्चराइजिंग गुण प्रदान करने के लिए इसे साबुन में वापस जोड़ा जाता है।
इथेनॉल: इथेनॉल (एथिल एल्कोहल) या आइसोप्रोपिल एल्कोहल का उपयोग साबुन के क्षार को घोलने के लिए किया जाता है, जिससे स्पष्ट उपस्थिति प्राप्त करने में मदद मिलती है।
शर्करा: ह्यूमेक्टेंट के रूप में कार्य करता है और साबुन की पारदर्शी गुणवत्ता बनाने में भी मदद करता है।
जल: सामग्री को घोलने और मिलाने के लिए आवश्यक।
अन्य योजक: खुशबू और रंग के लिए आवश्यक तेल, सुगंध और रंग मिलाए जा सकते हैं, हालांकि स्पष्टता बनाए रखने के लिए इन्हें आमतौर पर न्यूनतम रखा जाता है।
साबुन के प्रकार
- प्रसाधन साबुन अच्छे प्रकार के वसा एवं तेलों से बनाये जाते हैं तथा इसमें क्षार की मात्रा कम होती है। इन्हे अधिक आकर्षक बनाने के लिए इनमे रंग और अच्छी सुगंध भी डाली जाती है।
- पानी में तैरने वाले साबुन बनाने के लिए उनके कड़ा होने से पहले वायु के छोटे बुलबुले विस्पंदित किये जाते हैं।
- पारदर्शी साबुन, साबुन को एथेनॉल में घोलकर और विलायक को आधिक्य में मिलाकर वाष्पित करके तैयार किये जाते हैं।
- औषध साबुन में औषधीय गुण वाले पदार्थ डाले जाते हैं।
साबुनीकरण
साबुनीकरण साबुन बनाने की एक प्रक्रिया है। साबुन लंबी श्रृंखला वाले वसा अम्ल के सिर्फ पोटेशियम या सोडियम लवण होते हैं। साबुनीकरण के दौरान, एस्टर ,एलकोहॉल और साबुन का उत्पादन करने के लिए वसा अम्ल एक अकार्बनिक क्षार के साथ अभिक्रिया करता है। साबुनीकरण साबुन बनाने की एक प्रक्रिया है। साबुन लंबी श्रृंखला वाले वसा अम्ल के सिर्फ पोटेशियम या सोडियम लवण होते हैं। साबुनीकरण के दौरान, एस्टर, एलकोहॉल और साबुन का उत्पादन करने के लिए वसा अम्ल एक अकार्बनिक क्षार के साथ अभिक्रिया करता है।
सामान्यतः, यह तब होता है जब ट्राइग्लिसराइड्स पोटेशियम या सोडियम हाइड्रॉक्साइड के साथ ग्लिसरॉल और वसा अम्ल के लवण का उत्पादन करने के लिए अभिक्रिया करता है, जिसे 'साबुन' कहा जाता है।
त्वचा की सतह सहित वस्तुओं से गंदगी और तेल को साफ करने के लिए साबुन आवश्यक हैं। नहाने, सफाई करने, कपड़े धोने और अन्य घरेलू कामों में साबुन का व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है। एस्टर की हाइड्रोलिसिस NaOH या KOH की उपस्थित में करने पर वसा अम्ल के सोडियम और पोटेशियम लवण तथा साथ में एल्कोहॉल तथा अम्ल प्राप्त होते है।
साबुन बनाने की प्रक्रिया को साबुनीकरण कहते हैं।
ट्राइग्लिसराइड्स सामान्यतः पशु वसा और वनस्पति तेल होते हैं। जब वे सोडियम हाइड्रॉक्साइड या पोटेशियम हाइड्रॉक्साइड के साथ अभिक्रिया करते हैं, तो साबुन प्राप्त होता है। सोडियम से प्राप्त साबुन कठोर होता है। यहीं पर पोटेशियम से प्राप्त साबुन मृदु साबुन होता है।
समीकरण को इस प्रकार लिखा जा सकता है:
एस्टर + क्षार —————> ऐल्कोहॉल + साबुन
साबुन के अणु लम्बी श्रंखला वाले कार्बोक्सिलिक अम्लों के सोडियम एवं पोटेशियम लवण होते हैं। साबुन का आयनिक भाग जल से कर्बनिक श्रंखला तेल से पारस्परिक क्रिया करती है। इस प्रकार साबुन के अणु मिसेली संरचना तैयार करते हैं जहाँ अणु का एक सिरा तेल कण की ओर तथा आयनिक सिरा बाहर की ओर होता है इससे जल में इमल्शन बन जाता है। इस प्रकार साबुन का मिसेल मैल को जल से बाहर निकलने में मदद करता है और कपड़े साफ़ हो जाते हैं। साबुन के अणु ऐसे होते हैं। जिनके दोनों सिरों के गुणधर्म भिन्न भिन्न होते हैं। साबुन का वह सिरा जो जल में विलेय होता है उस सिरे को जलरागी कहते हैं तथा वह सिरा जो जल में अविलेय होता है उसे जलविरागी कहते हैं। जब जल साबुन की सतह पर होता है तब उसके अणु अपने को इस प्रकार व्यवस्थित कर लेते हैं की इसका एक सिरा जल के अंदर होता है जबकि हाइड्रोकार्बन का दूसरा सिरा जल के बाहर होता है। जल के अंदर इन अणुओं की एक विशेष व्यवस्था होती है जिससे इसका हाइड्रोकार्बन सिरा जल के बाहर बना होता है। इसमें अणुओं का एक बड़ा गुच्छा बनता है। जलविरागी भाग आंतरिक हिस्से में होता है जबकि उसका आयनिक सिरा गुच्छे की सतह पर होता है। इस प्रकार जो संरचना प्राप्त होती है उसे मिसेल कहते हैं।
वे पदार्थ जो कम सांद्रता पर प्रबल वैधुत अपघट्यों के समान व्यवहार करते हैं , लेकिन उच्च सांद्रताओं पर ये कणों का एक पुंज बनाते हैं यह पुंज बनने के कारण ये कोलॉइड के समान व्यवहार करते हैं। इस प्रकार के पुंजित कण मिसेल कहलाते हैं।
अभ्यास प्रश्न
- साबुन के दोनों सिरों के गुणधर्म भिन्न भिन्न क्यों होते हैं?
- पारदर्शी साबुन किसे कहते हैं? यह किस प्रकार बनते हैं।
- साबुनीकरण क्या है ? अभिक्रिया दीजिये।
- वसा अम्ल के सोडियम लवण को क्या कहते हैं ?