विकृति: Difference between revisions
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भौतिकी और इंजीनियरिंग में, विकृति किसी वस्तु पर,अनुप्रयुक्त बोझ (बल) के प्रत्युतर में उत्पन्न किसी प्रकार के विरूपण या आकार में बदलाव का माप है। किसी सामग्री में होने वाले विरूपण की मात्रा को मापते समय, उस सामग्री को एक प्रकार के तनाव (बल प्रति इकाई क्षेत्र) के अधीन किया जाता है। | |||
== गणना के लीये == | |||
प्रायः पदार्थों से बनी सामग्रीयों में आई विकृति को ग्रीक अक्षर <math>\epsilon</math> (एप्सिलॉन) द्वारा दर्शाया जाता है और इसकी गणना किसी वस्तु के आकार या उसके मूल आकार में आए परिवर्तन के अनुपात के रूप में की जाती है। इस प्रकार यह गणना ये इंगित करती है कि जब किसी वस्तु पर बल लगाया जाता है तो वह वस्तु कितनी खिंचती या संकुचित होती है। | |||
== विकृतियों के प्रकार == | |||
किसी बल के आधीन होने पर विभिन्न प्रकार की वस्तुओं में भिन्न-भिन्न प्रकार की विकृतियाँ उत्पन्न हो सकती हैं ,परंतु इन सभी विकृतियों को मुख्यतः दो मुख्य श्रेणीयों में रखा जा सकता है: | |||
====== तनन विकृति (टेन्साइल स्ट्रेन) ====== | |||
[[File:Strain.jpg|thumb|अभियांत्रिकी में किसी वस्तु में सतत तनाव बल के आधीन होने पर पाया जाने वाला विरूपण (इंजीनियरिंग स्ट्रेन), चित्र में एक समांतर षट्फलक में संपीडक विकृति (कंप्रेसिव स्ट्रेन) होते हुए दर्शाई गई है। ]] | |||
किसी वस्तु को उसके लम्बवत अक्ष पर तनाव देने पर उत्पन्न प्रतिबल उस वस्तु में तनन विकृति उत्पन्न कर देता है। उदाहरण के लीये, एक रबर बैंड के दोनों सिरों को पकड़ने और उसे खींचने पर उस रबर बैंड में तनाव, उसकी लंबाई में परिवर्तन ले आएगा। ऐसे में उस रबर बैंड की तनन विकृति,लंबाई में आए बदलाव को मूल लंबाई से विभाजित कर प्राप्त की जाती है । | |||
गणितीय रूप से तनन विकृति (टेन्साइल स्ट्रेन) <math>e </math>, को व्यक्त करने के लीये निम्नलिखत सूत्र का प्रयोग कीया जाता है : | |||
<math>e=\frac{\Delta L}{L} = \frac{l -L}{L},</math> | |||
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किसी भी प्रकार के लम्बवत खिंचाव होने पर, | |||
<math>L</math> की वस्तु की मूल लंबाई है। | |||
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<math>l </math> वस्तु की बदली हुए (संभवतः) पूर्ण लंबाई है। | |||
====== संपीडक विकृति (कंप्रेसिव स्ट्रेन) ====== | |||
संपीडक विकृति तब होता है जब कोई वस्तु संकुचित या निचोड़ी जाती है। एक फोम अथवा रबर बॉल को अपने हाथों के बीच निचोड़ते हुए देखें। फोम बॉल में तनाव इसकी मात्रा में परिवर्तन है जो इसकी मूल मात्रा से विभाजित है। | |||
भौतिकी विश्लेषण में तनाव व पदार्थ विज्ञान के दृष्टिकोण से विकृति, समानतर रूप से परिभाषित हैं। | |||
== मापन इकाई == | |||
विकृति एक आयामहीन मात्रा है, जिसका अर्थ है कि इसकी कोई इकाई नहीं है। इसे दशमलव या अंश के रूप में व्यक्त किया जाता है। उदाहरण के लिए, यदि एक रबर बैंड अपनी मूल लंबाई के 10% तक खिंचता है, तो तनाव 0.1 या 1/10 होगा। विकृति एक महत्वपूर्ण अवधारणा है क्योंकि यह ये समझने में सुविधा करता है कि पददार्थों से बनी सामग्री, बाहरी बलों के अधीन होने पर किस प्रकार आचरण करती है। चूँकि विभिन्न सामग्रियों की तनाव झेलने की क्षमता अलग-अलग होती है,तनाव के अधीन हो जाने पर उनमें आए भौतिक विरूपण की मात्रा भीविलग होगी। कुछ सामग्रियां स्थायी विकृति (जैसे रबर) के बिना अधिक मात्र के तनाव का सामना कर सकती हैं, जबकि कुछ अन्य वस्तुओं की प्रकृति,लघु मात्रा के तनाव (जैसे सिरेमिक) के अधीन हो जाने पर ही विरूपित हो जाने की है। यहाँ तक की इस बल की आरोपण से संरचनात्मक विरूपण तक संभव हो आता है। | |||
== संक्षेप में == | |||
इंजीनियर और वैज्ञानिक सामग्री के यांत्रिक गुणों को निर्धारित करने के लिए तनाव माप का उपयोग करते हैं, जैसे कि उनकी कठोरता या लोच। कोई सामग्री, किसी तनाव पर कैसे प्रतिक्रीयया देती है, इसका अध्ययन करके, वे ऐसी सामग्रियों को अभिकल्पित और चुन सकते हैं जो विभिन्न अनुप्रयोगों के लिए उपयुक्त हों, जैसे भवन निर्माण या निर्माण उत्पाद। | |||
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Latest revision as of 09:02, 21 May 2024
Strain
भौतिकी और इंजीनियरिंग में, विकृति किसी वस्तु पर,अनुप्रयुक्त बोझ (बल) के प्रत्युतर में उत्पन्न किसी प्रकार के विरूपण या आकार में बदलाव का माप है। किसी सामग्री में होने वाले विरूपण की मात्रा को मापते समय, उस सामग्री को एक प्रकार के तनाव (बल प्रति इकाई क्षेत्र) के अधीन किया जाता है।
गणना के लीये
प्रायः पदार्थों से बनी सामग्रीयों में आई विकृति को ग्रीक अक्षर (एप्सिलॉन) द्वारा दर्शाया जाता है और इसकी गणना किसी वस्तु के आकार या उसके मूल आकार में आए परिवर्तन के अनुपात के रूप में की जाती है। इस प्रकार यह गणना ये इंगित करती है कि जब किसी वस्तु पर बल लगाया जाता है तो वह वस्तु कितनी खिंचती या संकुचित होती है।
विकृतियों के प्रकार
किसी बल के आधीन होने पर विभिन्न प्रकार की वस्तुओं में भिन्न-भिन्न प्रकार की विकृतियाँ उत्पन्न हो सकती हैं ,परंतु इन सभी विकृतियों को मुख्यतः दो मुख्य श्रेणीयों में रखा जा सकता है:
तनन विकृति (टेन्साइल स्ट्रेन)
किसी वस्तु को उसके लम्बवत अक्ष पर तनाव देने पर उत्पन्न प्रतिबल उस वस्तु में तनन विकृति उत्पन्न कर देता है। उदाहरण के लीये, एक रबर बैंड के दोनों सिरों को पकड़ने और उसे खींचने पर उस रबर बैंड में तनाव, उसकी लंबाई में परिवर्तन ले आएगा। ऐसे में उस रबर बैंड की तनन विकृति,लंबाई में आए बदलाव को मूल लंबाई से विभाजित कर प्राप्त की जाती है ।
गणितीय रूप से तनन विकृति (टेन्साइल स्ट्रेन) , को व्यक्त करने के लीये निम्नलिखत सूत्र का प्रयोग कीया जाता है :
जहां ,
किसी भी प्रकार के लम्बवत खिंचाव होने पर,
की वस्तु की मूल लंबाई है।
और
वस्तु की बदली हुए (संभवतः) पूर्ण लंबाई है।
संपीडक विकृति (कंप्रेसिव स्ट्रेन)
संपीडक विकृति तब होता है जब कोई वस्तु संकुचित या निचोड़ी जाती है। एक फोम अथवा रबर बॉल को अपने हाथों के बीच निचोड़ते हुए देखें। फोम बॉल में तनाव इसकी मात्रा में परिवर्तन है जो इसकी मूल मात्रा से विभाजित है।
भौतिकी विश्लेषण में तनाव व पदार्थ विज्ञान के दृष्टिकोण से विकृति, समानतर रूप से परिभाषित हैं।
मापन इकाई
विकृति एक आयामहीन मात्रा है, जिसका अर्थ है कि इसकी कोई इकाई नहीं है। इसे दशमलव या अंश के रूप में व्यक्त किया जाता है। उदाहरण के लिए, यदि एक रबर बैंड अपनी मूल लंबाई के 10% तक खिंचता है, तो तनाव 0.1 या 1/10 होगा। विकृति एक महत्वपूर्ण अवधारणा है क्योंकि यह ये समझने में सुविधा करता है कि पददार्थों से बनी सामग्री, बाहरी बलों के अधीन होने पर किस प्रकार आचरण करती है। चूँकि विभिन्न सामग्रियों की तनाव झेलने की क्षमता अलग-अलग होती है,तनाव के अधीन हो जाने पर उनमें आए भौतिक विरूपण की मात्रा भीविलग होगी। कुछ सामग्रियां स्थायी विकृति (जैसे रबर) के बिना अधिक मात्र के तनाव का सामना कर सकती हैं, जबकि कुछ अन्य वस्तुओं की प्रकृति,लघु मात्रा के तनाव (जैसे सिरेमिक) के अधीन हो जाने पर ही विरूपित हो जाने की है। यहाँ तक की इस बल की आरोपण से संरचनात्मक विरूपण तक संभव हो आता है।
संक्षेप में
इंजीनियर और वैज्ञानिक सामग्री के यांत्रिक गुणों को निर्धारित करने के लिए तनाव माप का उपयोग करते हैं, जैसे कि उनकी कठोरता या लोच। कोई सामग्री, किसी तनाव पर कैसे प्रतिक्रीयया देती है, इसका अध्ययन करके, वे ऐसी सामग्रियों को अभिकल्पित और चुन सकते हैं जो विभिन्न अनुप्रयोगों के लिए उपयुक्त हों, जैसे भवन निर्माण या निर्माण उत्पाद।