मेंडलीव का आवर्त नियम: Difference between revisions
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मेंडलीफ ने तत्वों को उनके रासायनिक गुणों के आधार पर आवर्त सारणी में व्यवस्थित किया, जिसमें 3 वर्ग तथा 12 आवर्त थे। पहले 7 वर्गों को दो-दो उपवर्गों में बांटा गया। आठवें वर्ग के तीन उपवर्ग थे, जिसमें 9 तत्व रखे गए। इस वर्गीकरण में उसने तत्वों के गुणों की समानता पर अधिक बल दिया। | |||
मेंडलीफ की आवर्त सारणी में धातु और अधातुओं को अलग-अलग स्थान नहीं दिया गया है। समान गुणों वाले तत्वों को एक ही स्थान पर तथा असमान गुणों वाले तत्वों को अलग-अलग स्थानों पर रखा गया। इस सारणी में समस्थानिकों को कोई स्थान नहीं दिया गया। आवर्त सारणी में कहीं-कहीं पर तत्वों के परमाणु भारो का क्रम ठीक नहीं है।1869 में रूस के रसायनशास्त्री मेंडलीफ ने तत्वों के वर्गीकरण करने का प्रयास किया और एक आवर्त सारणी तैयार की। इस सारणी को मेंडलीफ की आवर्त सारणी कहा जाता है। मेंडेलीव के समय तक केवल 63 तत्वों की खोज की गई थी। इसलिए उन 63 तत्वों को इस आवर्त सारणी में स्थान दिया गया। मेंडलीफ की आवर्त सारणी में कई स्थान रिक्त छोड़े गए थे। ये रिक्त स्थान भविष्य में खोजे जाने वाले तत्वों के लिए आरक्षित रखे गए थे। रासायनिक तत्वों के अध्ययन को सरल और व्यवस्थित करने के लिए ने आवर्त सारणी बनाई गई। तत्वों को उनके समान गुण धर्म के आधार पर व्यवस्थित करने के कई प्रयास किये गए। समान गुणों वाले तत्वों को एक समूह में रखा गया है और असमान गुणों को अलग समूह में रखा गया है। | |||
== मेंडलीफ की आवर्त सारणी की विशेषताएं == | |||
* मेंडलीव की आवर्त सारणी के वर्तमान स्वरूप में 9 वर्ग है तथा नवा वर्ग “शून्य वर्ग” या जीरो ग्रुप कहलाता है। | |||
* आवर्त सारणी में उपस्थित क्षैतिज पंक्तियों को आवर्त कहा गया। | |||
* आवर्त सारणी में उपस्थित ऊर्ध्वाधर पंक्तियों को वर्ग कहा गया। | |||
* पहले आवर्त में केवल दो तत्व (H, He) रखें गए इसे “अतिलघु आवर्त” कहते हैं। | |||
* दूसरे तथा तीसरे आवर्त में आठ-आठ तत्व है इसे “लघु आवर्त” कहते है। | |||
* चौथे तथा पांचवे आवर्त में बत्तीस तत्व है इसे “दीर्घ आवर्त” कहते हैं। | |||
* छठे आवर्त में 32 तत्व हैं इसे “अतिदीर्घ आवर्त” कहते है। | |||
* मेंडलीफ की मूल आवर्त सारणी में आठ वर्ग हैं, और नवां वर्ग में उत्कृष्ट गैसे आती हैं। | |||
== मेंडलीफ आवर्त सारणी के दोष == | |||
* लैंथेनाइड व एक एक्टिनाइड को आवर्त सारणी में कोई उपयुक्त स्थान नहीं मिल पाया। | |||
* मेंडलीफ ने हाइड्रोजन के गुणों के आधार पर हाइड्रोजन को क्षार धातु और हैलोजन को दोनों उप वर्गों में स्थान दिया। | |||
* समस्थानिक के परमाणु भार भिन्न भिन्न होने पर भी उन्हें एक ही स्थान पर रखा गया। | |||
* मेंडलीफ की आवर्त सारणी में संक्रमण तत्वों को अन्य तत्वों के साथ साथ रखा गया है। | |||
== अभ्यास प्रश्न == | |||
* मेंडलीफ की आवर्त सारणी का आधार क्या था ? | |||
* मेंडलीफ की आवर्त सारणी की विशेषताएं बताइये। | |||
* मेंडलीफ आवर्त सारणी के दोष क्या क्या हैं ? | |||
* मेंडलीफ आवर्त सारणी और आधुनिक आवर्त सारणी में अंतर बताइये। |
Revision as of 12:19, 5 July 2023
मेंडलीफ ने तत्वों को उनके रासायनिक गुणों के आधार पर आवर्त सारणी में व्यवस्थित किया, जिसमें 3 वर्ग तथा 12 आवर्त थे। पहले 7 वर्गों को दो-दो उपवर्गों में बांटा गया। आठवें वर्ग के तीन उपवर्ग थे, जिसमें 9 तत्व रखे गए। इस वर्गीकरण में उसने तत्वों के गुणों की समानता पर अधिक बल दिया।
मेंडलीफ की आवर्त सारणी में धातु और अधातुओं को अलग-अलग स्थान नहीं दिया गया है। समान गुणों वाले तत्वों को एक ही स्थान पर तथा असमान गुणों वाले तत्वों को अलग-अलग स्थानों पर रखा गया। इस सारणी में समस्थानिकों को कोई स्थान नहीं दिया गया। आवर्त सारणी में कहीं-कहीं पर तत्वों के परमाणु भारो का क्रम ठीक नहीं है।1869 में रूस के रसायनशास्त्री मेंडलीफ ने तत्वों के वर्गीकरण करने का प्रयास किया और एक आवर्त सारणी तैयार की। इस सारणी को मेंडलीफ की आवर्त सारणी कहा जाता है। मेंडेलीव के समय तक केवल 63 तत्वों की खोज की गई थी। इसलिए उन 63 तत्वों को इस आवर्त सारणी में स्थान दिया गया। मेंडलीफ की आवर्त सारणी में कई स्थान रिक्त छोड़े गए थे। ये रिक्त स्थान भविष्य में खोजे जाने वाले तत्वों के लिए आरक्षित रखे गए थे। रासायनिक तत्वों के अध्ययन को सरल और व्यवस्थित करने के लिए ने आवर्त सारणी बनाई गई। तत्वों को उनके समान गुण धर्म के आधार पर व्यवस्थित करने के कई प्रयास किये गए। समान गुणों वाले तत्वों को एक समूह में रखा गया है और असमान गुणों को अलग समूह में रखा गया है।
मेंडलीफ की आवर्त सारणी की विशेषताएं
- मेंडलीव की आवर्त सारणी के वर्तमान स्वरूप में 9 वर्ग है तथा नवा वर्ग “शून्य वर्ग” या जीरो ग्रुप कहलाता है।
- आवर्त सारणी में उपस्थित क्षैतिज पंक्तियों को आवर्त कहा गया।
- आवर्त सारणी में उपस्थित ऊर्ध्वाधर पंक्तियों को वर्ग कहा गया।
- पहले आवर्त में केवल दो तत्व (H, He) रखें गए इसे “अतिलघु आवर्त” कहते हैं।
- दूसरे तथा तीसरे आवर्त में आठ-आठ तत्व है इसे “लघु आवर्त” कहते है।
- चौथे तथा पांचवे आवर्त में बत्तीस तत्व है इसे “दीर्घ आवर्त” कहते हैं।
- छठे आवर्त में 32 तत्व हैं इसे “अतिदीर्घ आवर्त” कहते है।
- मेंडलीफ की मूल आवर्त सारणी में आठ वर्ग हैं, और नवां वर्ग में उत्कृष्ट गैसे आती हैं।
मेंडलीफ आवर्त सारणी के दोष
- लैंथेनाइड व एक एक्टिनाइड को आवर्त सारणी में कोई उपयुक्त स्थान नहीं मिल पाया।
- मेंडलीफ ने हाइड्रोजन के गुणों के आधार पर हाइड्रोजन को क्षार धातु और हैलोजन को दोनों उप वर्गों में स्थान दिया।
- समस्थानिक के परमाणु भार भिन्न भिन्न होने पर भी उन्हें एक ही स्थान पर रखा गया।
- मेंडलीफ की आवर्त सारणी में संक्रमण तत्वों को अन्य तत्वों के साथ साथ रखा गया है।
अभ्यास प्रश्न
- मेंडलीफ की आवर्त सारणी का आधार क्या था ?
- मेंडलीफ की आवर्त सारणी की विशेषताएं बताइये।
- मेंडलीफ आवर्त सारणी के दोष क्या क्या हैं ?
- मेंडलीफ आवर्त सारणी और आधुनिक आवर्त सारणी में अंतर बताइये।