आयनिक या वैद्युत संयोजी बंधन: Difference between revisions

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[[Category:रासायनिक आबंधन तथा आण्विक संरचना]]
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वह स्थिरवैद्युत आकर्षण बल जो दो विपरीत आवेशित आयनों के साथ एक बंध बनाता है, आयनिक बंध कहलाता है। एक परमाणु से दूसरे परमाणु में एक या अधिक इलेक्ट्रॉनों के पूर्ण स्थानांतरण से दो परमाणुओं के बीच एक रासायनिक बंध बनता है जिसके परिणामस्वरूप परमाणु अपने निकटतम अक्रिय गैस विन्यास को प्राप्त करते हैं। आयनिक बंधन विरचन की कॉसेल तथा लूइस अवधारणा से यह निष्कर्ष निकलता है कि इस आबंध का विरचन मुख्य रूप से निम्नलिखित तथ्यों पर निर्भर करेगा :
* आयनिक बंध एक क्रिस्टल में उपस्थित धनात्मक और ऋनात्मक आयनों के बीच उपस्थित आकर्षण बल है और आयनिक बंध द्वारा एक साथ बंधे यौगिकों को आयनिक यौगिक कहा जाता है।
* यदि दो परमाणुओं के बीच आयनीकरण क्षमता में अंतर है तो अधिक आयनिक यौगिक बनते हैं।
* जिन यौगिकों में विधुतऋणात्मकता में अंतर होता है वे आयनिक यौगिकों का निर्माण होता है।
=== उदाहरण ===
NaCl

Revision as of 13:20, 1 August 2023

वह स्थिरवैद्युत आकर्षण बल जो दो विपरीत आवेशित आयनों के साथ एक बंध बनाता है, आयनिक बंध कहलाता है। एक परमाणु से दूसरे परमाणु में एक या अधिक इलेक्ट्रॉनों के पूर्ण स्थानांतरण से दो परमाणुओं के बीच एक रासायनिक बंध बनता है जिसके परिणामस्वरूप परमाणु अपने निकटतम अक्रिय गैस विन्यास को प्राप्त करते हैं। आयनिक बंधन विरचन की कॉसेल तथा लूइस अवधारणा से यह निष्कर्ष निकलता है कि इस आबंध का विरचन मुख्य रूप से निम्नलिखित तथ्यों पर निर्भर करेगा :

  • आयनिक बंध एक क्रिस्टल में उपस्थित धनात्मक और ऋनात्मक आयनों के बीच उपस्थित आकर्षण बल है और आयनिक बंध द्वारा एक साथ बंधे यौगिकों को आयनिक यौगिक कहा जाता है।
  • यदि दो परमाणुओं के बीच आयनीकरण क्षमता में अंतर है तो अधिक आयनिक यौगिक बनते हैं।
  • जिन यौगिकों में विधुतऋणात्मकता में अंतर होता है वे आयनिक यौगिकों का निर्माण होता है।

उदाहरण

NaCl