कृत्रिम बुद्धिमत्ता( Artificial Intelligence): Difference between revisions
Line 8: | Line 8: | ||
== एआई का इतिहास == | == एआई का इतिहास == | ||
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में सबसे पहला पर्याप्त काम 20वीं शताब्दी के मध्य में ब्रिटिश तर्कशास्त्री और कंप्यूटर अग्रणी एलन मैथिसन ट्यूरिंग द्वारा किया गया था। 1935 में ट्यूरिंग ने एक सार कंप्यूटिंग मशीन का वर्णन किया जिसमें एक असीम मेमोरी और एक स्कैनर शामिल है जो मेमोरी के माध्यम से आगे और पीछे चलता है। ट्यूरिंग ने संभवतः सबसे पहले सार्वजनिक व्याख्यान (लंदन, 1947) में कंप्यूटर इंटेलिजेंस का उल्लेख करते हुए कहा, "हम जो चाहते हैं वह एक ऐसी मशीन है जो अनुभव से सीख सकती है," और यह कि इसके लिए"मशीन को अपने स्वयं के निर्देशों को बदलने की संभावना तंत्र प्रदान करती है। | आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में सबसे पहला पर्याप्त काम 20वीं शताब्दी के मध्य में ब्रिटिश तर्कशास्त्री और कंप्यूटर अग्रणी एलन मैथिसन ट्यूरिंग द्वारा किया गया था। 1935 में ट्यूरिंग ने एक सार कंप्यूटिंग मशीन का वर्णन किया जिसमें एक असीम मेमोरी और एक स्कैनर शामिल है जो मेमोरी के माध्यम से आगे और पीछे चलता है। ट्यूरिंग ने संभवतः सबसे पहले सार्वजनिक व्याख्यान (लंदन, 1947) में कंप्यूटर इंटेलिजेंस का उल्लेख करते हुए कहा, "हम जो चाहते हैं वह एक ऐसी मशीन है जो अनुभव से सीख सकती है," और यह कि इसके लिए"मशीन को अपने स्वयं के निर्देशों को बदलने की संभावना तंत्र प्रदान करती है<ref>{{Cite web}}</ref>।" | ||
=== मजबूत एआई का उद्देश्य === | |||
ऊपर उल्लिखित विधियों को नियोजित करते हुए, AI अनुसंधान तीन लक्ष्यों में से एक तक पहुँचने का प्रयास करता है: मजबूत AI, लागू AI, या संज्ञानात्मक अनुकरण। मजबूत एआई का उद्देश्य सोचने वाली मशीनों का निर्माण करना है। |
Revision as of 15:36, 18 April 2023
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को हिंदी में कृतिम बुद्धिमत्ता कहा जाता है। आजकल स्मार्ट फोन की दुनिया में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एक बहुत महत्वपूर्ण विषय हो गया है। आज बाजार के लगभग हर मिड रेंज स्मार्टफोन में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस वाले फीचर देखे जा रहे हैं और उम्मीद की जा रही है कि आने वाले समय में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, रोबोटिक्स, क्लाउड कम्प्यूटिंग जैसी टेक्नोलॉजी का विस्तार बढ़ेगा। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिये अब मशीनों के बीच संवाद करना भी मुमकिन हो गया है। कृतिम का मतलब है मनुष्य द्वारा बनाया गया और बुद्धिमत्ता का मतलब है इंटेलिजेंस तो कहा जा सकता है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का मतलब सोचने की शक्ति से है। कंप्यूटर विज्ञान की वह शाखा है जो ऐसी मशीनों का निर्माण करने में सहायता कर रही है जो इंसान की तरह सोच सके और कार्य कर सके जब हम किसी मशीन को इस प्रकार तैयार करते हैं जो मनुष्य की तरह कार्य कर सके तो उसे आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस कहा जा सके मशीन के अंदर एक तरीके का इंटेलिजेंस डेवेलोप कराया जाता है जो उसी तरीकों पर चलता है जिस पर मानव मष्तिष्क कार्य करता है AI के द्वारा कल्पना की जा रही है की वो मशीन मनुष्य की बुद्धि की तरह बनाई जाएगी जो मनुष्य की तरह ही सोच सकता है
हम कैसे रहते हैं, काम करते हैं और खेलते हैं, इसे बदलने की क्षमता के लिए एआई महत्वपूर्ण है। यह ग्राहक सेवा कार्य, लीड जनरेशन, धोखाधड़ी का पता लगाने और गुणवत्ता नियंत्रण सहित मानव द्वारा किए गए कार्यों को स्वचालित करने के लिए व्यवसाय में प्रभावी रूप से उपयोग किया गया है। कई क्षेत्रों में एआई इंसानों से बेहतर काम कर सकता है। विशेष रूप से जब दोहराव वाले, विस्तार-उन्मुख कार्यों की बात आती है, जैसे प्रासंगिक क्षेत्रों को ठीक से भरने के लिए बड़ी संख्या में कानूनी दस्तावेजों का विश्लेषण करना, एआई उपकरण अक्सर जल्दी और अपेक्षाकृत कुछ त्रुटियों के साथ काम पूरा करते हैं। बड़े पैमाने पर डेटा सेट के कारण इसे संसाधित किया जा सकता है, AI उद्यमों को उनके संचालन में अंतर्दृष्टि भी दे सकता है जिसके बारे में उन्हें जानकारी नहीं होगी। जेनेरेटिव एआई टूल्स की तेजी से बढ़ती आबादी शिक्षा और मार्केटिंग से लेकर उत्पाद डिजाइन तक के क्षेत्रों में महत्वपूर्ण होगी।[1]
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्या फायदे हैं?
आर्टिफिशियल न्यूरल नेटवर्क और डीप लर्निंग एआई प्रौद्योगिकियां तेजी से विकसित हो रही हैं, इसका मुख्य कारण यह है कि एआई बड़ी मात्रा में डेटा को बहुत तेजी से संसाधित कर सकता है और भविष्यवाणियों को मानवीय रूप से अधिक सटीक बना सकता है। हालांकि, इस परिभाषा से दशकों पहले, एलन ट्यूरिंग के प्रारंभिक कार्य, "कम्प्यूटिंग मशीनरी एंड इंटेलिजेंस") द्वारा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस वार्तालाप के जन्म को दर्शाया गया था, जो 1950 में प्रकाशित हुआ था। पेपर, ट्यूरिंग, जिसे अक्सर "कंप्यूटर विज्ञान के पिता" के रूप में संदर्भित किया जाता है, निम्नलिखित प्रश्न पूछता है, "क्या मशीनें सोच सकती हैं?" वहां से, वह एक परीक्षण की पेशकश करता है, जिसे अब "ट्यूरिंग टेस्ट" के रूप में जाना जाता है, जहां एक मानव पूछताछकर्ता कंप्यूटर और मानव पाठ प्रतिक्रिया के बीच अंतर करने की कोशिश करेगा। जबकि इस परीक्षण के प्रकाशित होने के बाद से इसकी बहुत छानबीन की गई है, यह एआई के इतिहास के साथ-साथ दर्शन के भीतर एक सतत अवधारणा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बना हुआ है क्योंकि यह भाषाविज्ञान के आसपास के विचारों का उपयोग करता है।
एआई का इतिहास
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में सबसे पहला पर्याप्त काम 20वीं शताब्दी के मध्य में ब्रिटिश तर्कशास्त्री और कंप्यूटर अग्रणी एलन मैथिसन ट्यूरिंग द्वारा किया गया था। 1935 में ट्यूरिंग ने एक सार कंप्यूटिंग मशीन का वर्णन किया जिसमें एक असीम मेमोरी और एक स्कैनर शामिल है जो मेमोरी के माध्यम से आगे और पीछे चलता है। ट्यूरिंग ने संभवतः सबसे पहले सार्वजनिक व्याख्यान (लंदन, 1947) में कंप्यूटर इंटेलिजेंस का उल्लेख करते हुए कहा, "हम जो चाहते हैं वह एक ऐसी मशीन है जो अनुभव से सीख सकती है," और यह कि इसके लिए"मशीन को अपने स्वयं के निर्देशों को बदलने की संभावना तंत्र प्रदान करती है[2]।"
मजबूत एआई का उद्देश्य
ऊपर उल्लिखित विधियों को नियोजित करते हुए, AI अनुसंधान तीन लक्ष्यों में से एक तक पहुँचने का प्रयास करता है: मजबूत AI, लागू AI, या संज्ञानात्मक अनुकरण। मजबूत एआई का उद्देश्य सोचने वाली मशीनों का निर्माण करना है।