केनाल किरणें: Difference between revisions

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== '''कैथोड किरणे''' ==
== '''कैथोड किरणे''' ==
1850 में फैराडे ने कांच की बनी हुई एक निर्वात नलिका ली जिसके दोनों सिरे पर धातु के दो पतले टुकड़े लगा दिए जिन्हे इलेक्ट्रोड कहा गया, इनमें से एक ऋणावेशित इलेक्ट्रोड को कैथोड कहा गया, और दूसरे धनावेशित इलेक्ट्रोड को एनोड कहा गया है। जब कांच की निर्वात नलिका में उच्च विभवांतर लगभग (10000 या उससे अधिक) उत्पन्न किया तो देखा गया कि कैथोड से कुछ कण उत्पन्न हुए, कैथोड पर ऋणावेश होने के कारण ये धन प्लेट की ओर जाने लगते हैं। बहुत सारे कण एक क्रम से धनावेशित प्लेट की तरफ जाने लगते हैं, तो ये एक किरण के रूप में दिखाई देते हैं जिन्हे '''कैथोड किरणे''' कहते हैं।  
1850 में फैराडे ने कांच की बनी हुई एक निर्वात नलिका ली जिसके दोनों सिरे पर [[धातु]] के दो पतले टुकड़े लगा दिए जिन्हे [[इलेक्ट्रोड विभव|इलेक्ट्रोड]] कहा गया, इनमें से एक ऋणावेशित इलेक्ट्रोड को कैथोड कहा गया, और दूसरे धनावेशित इलेक्ट्रोड को [[एनोड पंक|एनोड]] कहा गया है। जब कांच की निर्वात नलिका में उच्च विभवांतर लगभग (10000 या उससे अधिक) उत्पन्न किया तो देखा गया कि कैथोड से कुछ कण उत्पन्न हुए, कैथोड पर ऋणावेश होने के कारण ये धन प्लेट की ओर जाने लगते हैं। बहुत सारे कण एक क्रम से धनावेशित प्लेट की तरफ जाने लगते हैं, तो ये एक किरण के रूप में दिखाई देते हैं जिन्हे '''कैथोड किरणे''' कहते हैं।  


=== कैथोड किरणें इलेक्ट्रॉन की खोज ===
=== कैथोड किरणें इलेक्ट्रॉन की खोज ===
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* ये सीधी रेखा में चलती है।
* ये सीधी रेखा में चलती है।
* ये फोटोग्राफिक प्लेट को काला कर देती है।
* ये फोटोग्राफिक प्लेट को काला कर देती है।
* ये विद्युत एवं चुंबकीय क्षेत्र में विक्षेपित हो जाती है।
* ये विद्युत एवं [[चुंबकीय क्षेत्र में गति|चुंबकीय क्षेत्र]] में विक्षेपित हो जाती है।
* जब ये जिंक सल्फाइड की प्लेट से टकराती है तो प्रकाश उत्पन्न करती है।
* जब ये जिंक सल्फाइड की प्लेट से टकराती है तो प्रकाश उत्पन्न करती है।
* कैथोड किरणों का वेग, प्रकाश के वेग का 1/10 गुना होता है।
* कैथोड किरणों का वेग, प्रकाश के वेग का 1/10 गुना होता है।
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y = y- अक्ष पर इलेक्ट्रॉन के पथ पर विक्षेपण</blockquote>
y = y- अक्ष पर इलेक्ट्रॉन के पथ पर विक्षेपण</blockquote>


* चुंबकीय क्षेत्र में इलेक्ट्रॉन का पथ गोलाकार होता है जिसकी त्रिज्या r है:<blockquote>जहाँ m = इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान v = इलेक्ट्रॉन का वेग e = इलेक्ट्रॉन पर आवेश B = अनुप्रयुक्त चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता</blockquote>
* [[चुंबकीय क्षेत्र में गति|चुंबकीय क्षेत्र]] में इलेक्ट्रॉन का पथ गोलाकार होता है जिसकी त्रिज्या r है:<blockquote>जहाँ m = इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान v = इलेक्ट्रॉन का वेग e = इलेक्ट्रॉन पर आवेश B = अनुप्रयुक्त चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता</blockquote>


* जे जे थॉमसन ने आवेश / द्रव्यमान अनुपात दिया:
* जे जे थॉमसन ने आवेश / द्रव्यमान अनुपात दिया:

Revision as of 13:19, 24 July 2023


कैथोड किरणे

1850 में फैराडे ने कांच की बनी हुई एक निर्वात नलिका ली जिसके दोनों सिरे पर धातु के दो पतले टुकड़े लगा दिए जिन्हे इलेक्ट्रोड कहा गया, इनमें से एक ऋणावेशित इलेक्ट्रोड को कैथोड कहा गया, और दूसरे धनावेशित इलेक्ट्रोड को एनोड कहा गया है। जब कांच की निर्वात नलिका में उच्च विभवांतर लगभग (10000 या उससे अधिक) उत्पन्न किया तो देखा गया कि कैथोड से कुछ कण उत्पन्न हुए, कैथोड पर ऋणावेश होने के कारण ये धन प्लेट की ओर जाने लगते हैं। बहुत सारे कण एक क्रम से धनावेशित प्लेट की तरफ जाने लगते हैं, तो ये एक किरण के रूप में दिखाई देते हैं जिन्हे कैथोड किरणे कहते हैं।  

कैथोड किरणें इलेक्ट्रॉन की खोज

पहली बार 1869 में जर्मन भौतिकशास्त्रियों जूलियस प्लकर और जोहान विल्हेम हिटॉर्फ ने कैथोड किरणों को देखा और 1876 में यूजेन गोल्डस्टीन कैथोडेनस्ट्रालेन द्वारा इसका नाम 'कैथोड किरणें' दिया गया। 1897 में, ब्रिटिश भौतिक विज्ञानी जे. जे. थॉमसन ने दिखाया कि कैथोड किरणें पहले अज्ञात ऋणावेशित कणों से बनी थीं, इन कणों को बाद में इलेक्ट्रॉन नाम दिया गया।

कैथोड किरणों के गुण

  • कैथोड किरणें कैथोड से प्रारम्भ होकर एनोड की तरफ जाती है।
  • ये प्रतिदीप्ति एवं स्फुरदीप्ति उत्पन्न करती है।
  • ये सीधी रेखा में चलती है।
  • ये फोटोग्राफिक प्लेट को काला कर देती है।
  • ये विद्युत एवं चुंबकीय क्षेत्र में विक्षेपित हो जाती है।
  • जब ये जिंक सल्फाइड की प्लेट से टकराती है तो प्रकाश उत्पन्न करती है।
  • कैथोड किरणों का वेग, प्रकाश के वेग का 1/10 गुना होता है।
  • जब ये उच्च परमाणु भार वाली धातु की प्लेट से टकराती है तो X- किरण उत्पन्न करती है।
  • जे जे थॉमसन ने कैथोड किरणों के वैधुत एवं चुंबकीय क्षेत्र में विक्षेपन से e/m अर्थात आवेश/ द्रव्यमान का मान ज्ञात किया, जिसमे e/m का मान कूलम्ब प्रति ग्राम प्राप्त हुआ।
  • वैधुत क्षेत्र में इलेक्ट्रान एक परवलयाकार पथ बनाता है जोकि दिया गया है:

जहाँ

e = इलेक्ट्रॉन पर आवेश

m = इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान

v = इलेक्ट्रॉन का वेग

x = दो प्लेटों के बीच की दूरी जिनमें इलेक्ट्रॉन गमन कर रहा है

E = वैधुत क्षेत्र

y = y- अक्ष पर इलेक्ट्रॉन के पथ पर विक्षेपण

  • चुंबकीय क्षेत्र में इलेक्ट्रॉन का पथ गोलाकार होता है जिसकी त्रिज्या r है:

    जहाँ m = इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान v = इलेक्ट्रॉन का वेग e = इलेक्ट्रॉन पर आवेश B = अनुप्रयुक्त चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता

  • जे जे थॉमसन ने आवेश / द्रव्यमान अनुपात दिया:

=−1.7588)×1011 C⋅kg−1

अभ्यास

बताइए कि निम्नलिखित कथन सत्य हैं या असत्य:
  1. इलेक्ट्रॉन का e/m अनुपात जे.जे. थॉमसन द्वारा निर्धारित किया गया था।
  2. कैथोड किरणों के लिए आवेश/द्रव्यमान अनुपात न्यूनतम होता है जब निस्सरण नली में गैस हाइड्रोजन होती है।
  3. कैथोड किरणें एनोड किरणों से भिन्न है।
  4. कैथोड किरणें धन प्लेट से उत्सर्जित होती हैं।
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए:

1. कैथोड इलेक्ट्रोड ............. आवेशित होता है।

2. कैथोड इलेक्ट्रोड से निकलने वाले  कण ......... आवेशित होते हैं।

3. चुंबकीय क्षेत्र में इलेक्ट्रॉन का पथ ............. होता है।

4. आवेश / द्रव्यमान अनुपात ........... द्वारा दिया गया था।

निम्नलिखित का मिलान करें:

1. थॉमसन a. कैथोड किरणें

2. कैथोड किरणें b. इलेक्ट्रॉन

3. X किरणें c. धातु

4. एनोड d. धनावेशित