धात्विक और अधात्विक गुण: Difference between revisions

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== धात्विक लक्षण ==
== धात्विक लक्षण ==
वे तत्व जो इलेक्ट्रॉनों का दान करते हैं या इलेक्ट्रॉन निकालते हैं धातु कहलाते हैं और इनके इस गुण को धात्विक लक्षण कहते हैं। समूह में नीचे जाने पर धात्विक प्रवृत्ति बढ़ती है।
वे तत्व जो इलेक्ट्रॉनों का दान करते हैं या इलेक्ट्रॉन निकालते हैं धातु कहलाते हैं और इनके इस गुण को धात्विक लक्षण कहते हैं। समूह में नीचे जाने पर धात्विक प्रवृत्ति बढ़ती है। सबसे अधिक अभिक्रियाशील धातुएँ आवर्त सारणी के निचले-बाएँ भाग में रहती हैं। सबसे अधिक अभिक्रियाशील धातु सीज़ियम है, जो प्रकृति में मुक्त रूप में नहीं पाई जाती है। यह जल के साथ अभिक्रिया करता है और हवा में अनायास ही प्रज्वलित हो जाता है। जैसे-जैसे आप वर्ग में नीचे जाते हैं, वैसे वैसे धात्विक लक्षण बढ़ता जाता है। एक वर्ग में ऊपर से नीचे जाने पर परमाणु त्रिज्या बढ़ जाती है, बाहरी इलेक्ट्रॉनों को नाभिक से दूर रखने से उस इलेक्ट्रॉन को नाभिक द्वारा कम आकर्षित किया जाता है। इसलिए, आयनीकरण ऊर्जा एक वर्ग में नीचे जाने पर घट जाती है।
 
=== धातुओं की विशेषताएं ===
 
* समूह में नीचे जाने पर धात्विक प्रवृत्ति बढ़ती है।
* सबसे अधिक अभिक्रियाशील धातु सीज़ियम है।
* पारा और गैलियम को छोड़कर ये कमरे के तापमान पर पर ठोस होते हैं।
* ये विधुत के अच्छे सुचालक होते हैं।
* गैलियम और सीज़ियम को छोड़कर धातुओं का गलनांक और क्वथनांक उच्च होता है।
* धातुएँ विद्युत धनात्मक होती हैं।


== अधात्विक लक्षण ==
== अधात्विक लक्षण ==
वे तत्व जो इलेक्ट्रॉनों को स्वीकार करते हैं और इनपर ऋणात्मक आवेश होता है अधातु कहलाते हैं और इनके इस गुण को अधात्विक लक्षण कहते हैं। जैसे- ऑक्सीजन, क्लोरीन आदि। आवर्त सारणी में बाएँ से दाएँ जाने पर अधात्विक प्रवृत्ति बढ़ती है।
वे तत्व जो इलेक्ट्रॉनों को स्वीकार करते हैं और इनपर ऋणात्मक आवेश होता है अधातु कहलाते हैं और इनके इस गुण को अधात्विक लक्षण कहते हैं। जैसे- ऑक्सीजन, क्लोरीन आदि। आवर्त सारणी में बाएँ से दाएँ जाने पर अधात्विक प्रवृत्ति बढ़ती है। अधात्विक गुण रासायनिक अभिक्रियाओं के दौरान इलेक्ट्रॉनों को स्वीकार करने की प्रवृत्ति रखते है। आवर्त सारणी में बाएँ से दाएँ जाने पर अधात्विक प्रवृत्ति बढ़ती है।
 
=== अधातुओं की विशेषताएं ===
 
* इनपर ऋणात्मक आवेश होता है।
* आवर्त सारणी में बाएँ से दाएँ जाने पर अधात्विक प्रवृत्ति बढ़ती है।
* ब्रोमीन को छोड़कर ये ठोस के साथ-साथ गैस भी होते हैं।
* ये विधुत के कुचालक होते हैं।
* हीरा को छोड़कर अधातुओं में सामान्यतः गलनांक और क्वथनांक निम्न होते हैं।
* अधातुएँ विद्युत ऋणात्मक होती हैं।


== उपधातु ==
== उपधातु ==
कुछ तत्व ऐसे होते हैं जिनके गुण धातुओं और अधातुओं के बीच होते हैं, इन्हें उपधातु कहते हैं। आवर्त सारणी में केवल सात उपधातु हैं। ये बोरॉन, सिलिकॉन, जर्मेनियम, आर्सेनिक, एंटीमनी, टेल्यूरियम और पोलोनियम हैं।
कुछ तत्व ऐसे होते हैं जिनके गुण धातुओं और अधातुओं के बीच होते हैं, इन्हें उपधातु कहते हैं। आवर्त सारणी में केवल सात उपधातु हैं।  
 
ये बोरॉन, सिलिकॉन, जर्मेनियम, आर्सेनिक, एंटीमनी, टेल्यूरियम और पोलोनियम हैं।


== धात्विक और अधात्विक लक्षणों में अंतर ==
== धात्विक और अधात्विक लक्षणों में अंतर ==
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|अधातुएँ विद्युत ऋणात्मक होती हैं।
|अधातुएँ विद्युत ऋणात्मक होती हैं।
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== अभ्यास प्रश्न ==
* धातु क्या है ? कुछ उदाहरणों द्वारा स्पष्ट कीजिये।
* अधातु क्या है ? कुछ उदाहरणों द्वारा स्पष्ट कीजिये।
* धातुओं की विशेषताएं बताइये।
* अधातुओं की विशेषताएं बताइये।

Revision as of 20:49, 13 June 2023


धात्विक लक्षण

वे तत्व जो इलेक्ट्रॉनों का दान करते हैं या इलेक्ट्रॉन निकालते हैं धातु कहलाते हैं और इनके इस गुण को धात्विक लक्षण कहते हैं। समूह में नीचे जाने पर धात्विक प्रवृत्ति बढ़ती है। सबसे अधिक अभिक्रियाशील धातुएँ आवर्त सारणी के निचले-बाएँ भाग में रहती हैं। सबसे अधिक अभिक्रियाशील धातु सीज़ियम है, जो प्रकृति में मुक्त रूप में नहीं पाई जाती है। यह जल के साथ अभिक्रिया करता है और हवा में अनायास ही प्रज्वलित हो जाता है। जैसे-जैसे आप वर्ग में नीचे जाते हैं, वैसे वैसे धात्विक लक्षण बढ़ता जाता है। एक वर्ग में ऊपर से नीचे जाने पर परमाणु त्रिज्या बढ़ जाती है, बाहरी इलेक्ट्रॉनों को नाभिक से दूर रखने से उस इलेक्ट्रॉन को नाभिक द्वारा कम आकर्षित किया जाता है। इसलिए, आयनीकरण ऊर्जा एक वर्ग में नीचे जाने पर घट जाती है।

धातुओं की विशेषताएं

  • समूह में नीचे जाने पर धात्विक प्रवृत्ति बढ़ती है।
  • सबसे अधिक अभिक्रियाशील धातु सीज़ियम है।
  • पारा और गैलियम को छोड़कर ये कमरे के तापमान पर पर ठोस होते हैं।
  • ये विधुत के अच्छे सुचालक होते हैं।
  • गैलियम और सीज़ियम को छोड़कर धातुओं का गलनांक और क्वथनांक उच्च होता है।
  • धातुएँ विद्युत धनात्मक होती हैं।

अधात्विक लक्षण

वे तत्व जो इलेक्ट्रॉनों को स्वीकार करते हैं और इनपर ऋणात्मक आवेश होता है अधातु कहलाते हैं और इनके इस गुण को अधात्विक लक्षण कहते हैं। जैसे- ऑक्सीजन, क्लोरीन आदि। आवर्त सारणी में बाएँ से दाएँ जाने पर अधात्विक प्रवृत्ति बढ़ती है। अधात्विक गुण रासायनिक अभिक्रियाओं के दौरान इलेक्ट्रॉनों को स्वीकार करने की प्रवृत्ति रखते है। आवर्त सारणी में बाएँ से दाएँ जाने पर अधात्विक प्रवृत्ति बढ़ती है।

अधातुओं की विशेषताएं

  • इनपर ऋणात्मक आवेश होता है।
  • आवर्त सारणी में बाएँ से दाएँ जाने पर अधात्विक प्रवृत्ति बढ़ती है।
  • ब्रोमीन को छोड़कर ये ठोस के साथ-साथ गैस भी होते हैं।
  • ये विधुत के कुचालक होते हैं।
  • हीरा को छोड़कर अधातुओं में सामान्यतः गलनांक और क्वथनांक निम्न होते हैं।
  • अधातुएँ विद्युत ऋणात्मक होती हैं।

उपधातु

कुछ तत्व ऐसे होते हैं जिनके गुण धातुओं और अधातुओं के बीच होते हैं, इन्हें उपधातु कहते हैं। आवर्त सारणी में केवल सात उपधातु हैं।

ये बोरॉन, सिलिकॉन, जर्मेनियम, आर्सेनिक, एंटीमनी, टेल्यूरियम और पोलोनियम हैं।

धात्विक और अधात्विक लक्षणों में अंतर

धात्विक लक्षण अधात्विक लक्षण
पारा और गैलियम को छोड़कर ये कमरे के तापमान पर पर ठोस होते हैं। ब्रोमीन को छोड़कर ये ठोस के साथ-साथ गैस भी होते हैं।
ये विधुत के अच्छे सुचालक होते हैं। ये विधुत के कुचालक होते हैं।
गैलियम और सीज़ियम को छोड़कर धातुओं का गलनांक और क्वथनांक उच्च होता है। हीरा को छोड़कर अधातुओं में सामान्यतः गलनांक और क्वथनांक निम्न होते हैं।
धातुएँ विद्युत धनात्मक होती हैं। अधातुएँ विद्युत ऋणात्मक होती हैं।

अभ्यास प्रश्न

  • धातु क्या है ? कुछ उदाहरणों द्वारा स्पष्ट कीजिये।
  • अधातु क्या है ? कुछ उदाहरणों द्वारा स्पष्ट कीजिये।
  • धातुओं की विशेषताएं बताइये।
  • अधातुओं की विशेषताएं बताइये।