बॉयल का नियम: Difference between revisions
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बॉयल का पूरा नाम रॉबर्ट बॉयल है और उनके ही नाम पर इस नियम को के नियम को बॉयल का नियम भी कहा गया है , यह स्थिर ताप पर दाब और आयतन में संबंध बताता है इसलिए इसे " दाब - आयतन संबंध" भी कहा जाता है। | |||
बॉयल के नियम के अनुसार " स्थिर ताप पर गैस की निश्चित मात्रा (अर्थात मोलों की संख्या) का दाब उसके आयतन के व्युत्क्रमानुपाती होता है।" | |||
== बॉयल के नियम का गणितीय रूप == | |||
गणितीय रूप से बॉयल के नियम को निम्न प्रकार लिखा जा सकता है:<blockquote>स्थिर T तथा n पर P ∝ <math>\frac{1}{V}</math> ........................ (समीकरण संख्या - 1) | |||
व्युत्क्रमानुपाती चिन्ह को हटाकर उसके स्थान पर एक नियतांक k लगाने पर | |||
<math>p = k\frac{1}{V}</math> ............................................... (समीकरण संख्या - 2) | |||
जहाँ | |||
<math>k</math> - समानुपाती स्थिरांक | |||
p - गैस का दाब | |||
V - गैस का आयतन </blockquote>समीकरण को पुनर्व्यवस्थित करने पर हम पाते हैं कि | |||
<math>p V = k</math> ............................................... (समीकरण संख्या - 3) | |||
अर्थात 'स्थिर ताप पर गैस की निश्चित मात्रा का आयतन तथा दाब का गुणनफल स्थिर होता है।' | |||
यदि गैस की निश्चित मात्रा को स्थिर ताप T पर दाब p<sub>1</sub> तथा आयतन V<sub>1</sub> से प्रसारित किया जाता है जिससे दाब p<sub>2</sub> और आयतन V<sub>2</sub> हो जाये तो बॉयल के नियम से <blockquote>p<sub>1</sub>V<sub>1</sub> = p<sub>2</sub>V<sub>2</sub> = स्थिरांक .......................................... (समीकरण संख्या - 4) | |||
<math>\frac{p_1}{V_1} = \frac{p_2}{V_2}</math> | |||
</blockquote>मात्रात्मक रूप से बॉयल का नियम यह सिद्ध करता है कि गैस अत्यधिक सम्पीड़ित है, क्योकी जब एक गैस को किसी दिए गए द्रव्यमान तक सम्पीड़ित किया जाता है, तब उसके अणु काम स्थान घेरते हैं। इसका तातपर्य यह है कि उच्च दाब पर गैस अत्यधिक सघन हो जाती है। | |||
Boyle's law | Boyle's law | ||
Revision as of 12:48, 28 July 2023
बॉयल का पूरा नाम रॉबर्ट बॉयल है और उनके ही नाम पर इस नियम को के नियम को बॉयल का नियम भी कहा गया है , यह स्थिर ताप पर दाब और आयतन में संबंध बताता है इसलिए इसे " दाब - आयतन संबंध" भी कहा जाता है।
बॉयल के नियम के अनुसार " स्थिर ताप पर गैस की निश्चित मात्रा (अर्थात मोलों की संख्या) का दाब उसके आयतन के व्युत्क्रमानुपाती होता है।"
बॉयल के नियम का गणितीय रूप
गणितीय रूप से बॉयल के नियम को निम्न प्रकार लिखा जा सकता है:
स्थिर T तथा n पर P ∝ ........................ (समीकरण संख्या - 1)
व्युत्क्रमानुपाती चिन्ह को हटाकर उसके स्थान पर एक नियतांक k लगाने पर
............................................... (समीकरण संख्या - 2)
जहाँ
- समानुपाती स्थिरांक
p - गैस का दाब
V - गैस का आयतन
समीकरण को पुनर्व्यवस्थित करने पर हम पाते हैं कि
............................................... (समीकरण संख्या - 3)
अर्थात 'स्थिर ताप पर गैस की निश्चित मात्रा का आयतन तथा दाब का गुणनफल स्थिर होता है।'
यदि गैस की निश्चित मात्रा को स्थिर ताप T पर दाब p1 तथा आयतन V1 से प्रसारित किया जाता है जिससे दाब p2 और आयतन V2 हो जाये तो बॉयल के नियम से
p1V1 = p2V2 = स्थिरांक .......................................... (समीकरण संख्या - 4)
मात्रात्मक रूप से बॉयल का नियम यह सिद्ध करता है कि गैस अत्यधिक सम्पीड़ित है, क्योकी जब एक गैस को किसी दिए गए द्रव्यमान तक सम्पीड़ित किया जाता है, तब उसके अणु काम स्थान घेरते हैं। इसका तातपर्य यह है कि उच्च दाब पर गैस अत्यधिक सघन हो जाती है।
Boyle's law
बॉयल का नियम कहता है कि जब किसी गैस का तापमान स्थिर रखा जाता है, तो गैस का दबाव और आयतन एक दूसरे के व्युत्क्रमानुपाती होते हैं। इसका मतलब यह है कि यदि आप गैस पर दबाव बढ़ाते हैं, तो इसकी मात्रा कम हो जाएगी, और यदि आप दबाव कम करते हैं, तो मात्रा बढ़ जाएगी। इसी प्रकार, यदि आप किसी गैस का आयतन कम करते हैं, तो उसका दबाव बढ़ जाएगा, और यदि आप आयतन बढ़ाते हैं, तो दबाव कम हो जाएगा।
गणितीय रूप से, बॉयल के नियम को इस प्रकार व्यक्त किया जा सकता है:
P1 × V1 = P2 × V2
जहां P1 और V1 गैस के प्रारंभिक दबाव और आयतन का प्रतिनिधित्व करते हैं, और P2 और V2 परिवर्तन के बाद गैस के अंतिम दबाव और आयतन का प्रतिनिधित्व करते हैं।
इस नियम को बेहतर ढंग से समझने के लिए हवा से भरे एक गुब्बारे के उदाहरण को परिकल्पित कीया जा सकता है। यदि गुब्बारे पर दबाव डालकर उसे निचोडा जाए , तो पाया जात है की उसका आयतन कम हो जाता है। दूसरी ओर, यदि दबाव छोड़ दीया जाए , तो गुब्बारा फैल जाएगा और उसका आयतन बढ़ जाएगा। यह बॉयल के नियम की क्रियाशीलता का एक व्यावहारिक उदाहरण है।
बॉयल का नियम महत्वपूर्ण है क्योंकि यह हमें यह समझने में मदद करता है कि गैसें विभिन्न परिस्थितियों में कैसे व्यवहार करती हैं। इससे पता चलता है कि जैसे-जैसे गैस का आयतन घटता है, उसके कण अधिक एकत्रित हो जाते हैं, जिससे दबाव में वृद्धि होती है। इसके विपरीत, यदि आयतन बढ़ता है, तो कणों को घूमने के लिए अधिक जगह मिलती है, जिसके परिणामस्वरूप दबाव में कमी आती है।
ध्यान देने योग्य बात यह है कि बॉयल का नियम तभी मान्य होता है जब तापमान स्थिर रहता है। यदि किसी गैस का तापमान बदलता है, तो उसके व्यवहार का वर्णन करने के लिए अन्य गैस नियम, जैसे चार्ल्स का नियम या संयुक्त गैस नियम, काम में आते हैं।
संक्षेप में, बॉयल का नियम बताता है कि स्थिर तापमान पर, गैस का दबाव और आयतन व्युत्क्रमानुपाती होता है। दबाव बढ़ाने से आयतन कम हो जाता है और दबाव कम करने से आयतन बढ़ जाता है।