आबंध एन्थैल्पी: Difference between revisions

From Vidyalayawiki

Listen

No edit summary
No edit summary
Line 17: Line 17:
<chem>H2O(g) -> H(g) + OH(g);</chem>  <math>\bigtriangleup</math><sub>a</sub> H<sub>1</sub><sup>'''-'''</sup>  = 502 kj mol<sup>-1</sup>
<chem>H2O(g) -> H(g) + OH(g);</chem>  <math>\bigtriangleup</math><sub>a</sub> H<sub>1</sub><sup>'''-'''</sup>  = 502 kj mol<sup>-1</sup>


<chem>OH(g) -> H(g) + O(g); </chem> <math>\bigtriangleup</math><sub>a</sub> H2<sup>'''-'''</sup>  = 427 kj mol<sup>-1</sup>
<chem>OH(g) -> H(g) + O(g); </chem> <math>\bigtriangleup</math><sub>a</sub> H<sub>2</sub><sup>'''-'''</sup>  = 427 kj mol<sup>-1</sup>
 
इन दोनों के मानों में अंतर यह दर्शाता है कि पहले O- H और दुसरे O- H आबंध भिन्न हैं जिस कारण उनके आबंध की ेन्थालपय भी भिन्न होती है, इसलिए बहुपरमाणुक अणुओं में माध्य अथवा औसत आबंध ऊर्जा नामक पद का प्रयोग होता है।
 
=== उदाहरण ===
जल के अणुओं में O - H आबंध की औसत आबंध एन्थैल्पी
 
<math>\frac{502 + 427}{2}</math>
 
= 464.5 kj mol<sup>-1</sup>

Revision as of 12:36, 21 July 2023

किसी रासायनिक बंध के बनते समय ऊर्जा मुक्त होती है। अतः बंध को तोड़ने हेतु भी ऊर्जा की आवश्यकता होती है। किसी बंध को तोड़ने हेतु आवश्यक ऊर्जा की मात्रा उस बंध की बंध एन्थैल्पी कहलाती है। अतः वह एन्थैल्पी परिवर्तन जो गैसीय अणु को परमाणुओं में तोड़ने के लिए आवश्यक होता है। आबंध एन्थैल्पी का मात्रक kj mol-1 होता है।

उदाहरण

हाइड्रोजन के अणु में आबंध की आबंध लम्बाई 435.8 kj mol-1 होती है, अर्थात

a H- = 435.8 kj mol-1

यदि आबंध विघटन एन्थैल्पी अधिक है, तो आबंध अधिक प्रबल होगा। आइये जानते हैं कि HCl जैसे एक विषम नाभिकीय द्विपरमाणुक अणु के लिए:

a H- = 431.0 kj mol-1

रासायनिक बंध का वियोजन हमेशा एक एंडोथर्मिक प्रक्रिया होती है (क्योंकि इसे बनाने वाले रासायनिक बंध को तोड़ने के लिए अणु को ऊर्जा की आपूर्ति की जानी चाहिए)। इस प्रकार, रासायनिक बंध के टूटने से जुड़ा एन्थैल्पी परिवर्तन हमेशा धनात्मक होता है जिसके लिए (ΔH > 0) होता है, और रासायनिक बंध का निर्माण सामान्यतः एक एंडोथर्मिक प्रक्रिया है। ऐसे मामलों में, एन्थैल्पी परिवर्तन का मान ऋणात्मक होगा (ΔH < 0)।

a H1- = 502 kj mol-1

a H2- = 427 kj mol-1

इन दोनों के मानों में अंतर यह दर्शाता है कि पहले O- H और दुसरे O- H आबंध भिन्न हैं जिस कारण उनके आबंध की ेन्थालपय भी भिन्न होती है, इसलिए बहुपरमाणुक अणुओं में माध्य अथवा औसत आबंध ऊर्जा नामक पद का प्रयोग होता है।

उदाहरण

जल के अणुओं में O - H आबंध की औसत आबंध एन्थैल्पी

= 464.5 kj mol-1