ओम का नियम: Difference between revisions
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संक्षेप में, ओम का नियम बिजली में एक मौलिक सिद्धांत है जो एक कंडक्टर में वोल्टेज, करंट और प्रतिरोध के बीच संबंध को समझाता है।यह हमें यह समझने में मदद करता है कि विद्युत सर्किट कैसे व्यवहार करते हैं और प्रतिरोधक जैसे विभिन्न घटक विद्युत धारा के प्रवाह को कैसे प्रभावित करते हैं। | संक्षेप में, ओम का नियम बिजली में एक मौलिक सिद्धांत है जो एक कंडक्टर में वोल्टेज, करंट और प्रतिरोध के बीच संबंध को समझाता है।यह हमें यह समझने में मदद करता है कि विद्युत सर्किट कैसे व्यवहार करते हैं और प्रतिरोधक जैसे विभिन्न घटक विद्युत धारा के प्रवाह को कैसे प्रभावित करते हैं। | ||
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Revision as of 11:57, 3 August 2023
Ohm's law
ओम (Ω):
भौतिकी में, एक ओम (Ω) विद्युत प्रतिरोध की इकाई है। यह मापता है कि कोई सामग्री अपने माध्यम से विद्युत धारा के प्रवाह का कितना प्रतिरोध करती है। प्रतिरोध एक "घर्षण" की तरह है जो एक कंडक्टर में विद्युत आवेशों (इलेक्ट्रॉनों) के प्रवाह में बाधा डालता है।
ओम कानून:
ओम का नियम बिजली में एक मूलभूत सिद्धांत है जो विद्युत परिपथ में वोल्टेज (V), करंट (I), और प्रतिरोध (R) से संबंधित है। इसमें कहा गया है कि किसी चालक से प्रवाहित होने वाली धारा उस पर लागू वोल्टेज के सीधे आनुपातिक होती है और चालक के प्रतिरोध के व्युत्क्रमानुपाती होती है।
ओम के नियम के लिए गणितीय समीकरण:
ओम का नियम निम्नलिखित समीकरण का उपयोग करके व्यक्त किया जा सकता है:
V = I * R
इस समीकरण में:
V: कंडक्टर पर वोल्टेज (वोल्ट, वी में मापा जाता है)।
I: कंडक्टर के माध्यम से बहने वाली धारा (एम्पीयर, ए में मापी गई)।
R: कंडक्टर का प्रतिरोध (ओम, Ω में मापा जाता है)।
ओम के नियम की व्याख्या:
ओम का नियम हमें बताता है कि जब हम किसी चालक (एक प्रतिरोधक की तरह) पर वोल्टेज बढ़ाते हैं, तो इसके माध्यम से प्रवाहित होने वाली धारा भी बढ़ जाएगी, बशर्ते कि प्रतिरोध स्थिर रहे। इसी प्रकार, यदि वोल्टेज स्थिर रहता है और प्रतिरोध बढ़ता है, तो धारा कम हो जाएगी।
उदाहरण के लिए, यदि आपके पास 10 ओम के प्रतिरोध वाला एक अवरोधक है और आप उस पर 5 वोल्ट का वोल्टेज लागू करते हैं, तो आप करंट का पता लगाने के लिए ओम के नियम का उपयोग कर सकते हैं:
I = V/R
I = 5 वी/10 Ω
I= 0.5 ए (एम्पीयर)
तो, रोकनेवाला के माध्यम से बहने वाली धारा 0.5 एम्पीयर है।
सचित्र प्रदर्शन:
ओम के नियम को ग्राफ़ के माध्यम से भी दर्शाया जा सकता है। जब आप वोल्टेज (V) को y-अक्ष पर और धारा (I) को x-अक्ष पर आलेखित करते हैं, तो प्रतिरोधक में उनके बीच का संबंध एक सीधी रेखा होगा। इस रेखा का ढलान प्रतिरोधक के प्रतिरोध (R) को दर्शाता है।
संक्षेप में, ओम का नियम बिजली में एक मौलिक सिद्धांत है जो एक कंडक्टर में वोल्टेज, करंट और प्रतिरोध के बीच संबंध को समझाता है।यह हमें यह समझने में मदद करता है कि विद्युत सर्किट कैसे व्यवहार करते हैं और प्रतिरोधक जैसे विभिन्न घटक विद्युत धारा के प्रवाह को कैसे प्रभावित करते हैं।