सक्रियता श्रेणी: Difference between revisions
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Revision as of 19:28, 3 August 2023
सक्रियता श्रेणी वह सूची है जिसमे धातुओं को उनकी क्रियाशीलता के घटते क्रम में रखते हैं। धातु आसानी से इलेक्ट्रॉन बाहर निकाल देते हैं और धनायन बनाते हैं। उनमें से अधिकांश धातु ऑक्साइड बनाने के लिए वायुमंडलीय ऑक्सीजन के साथ अभिक्रिया करते हैं। हालांकि, अलग-अलग धातुओं की ऑक्सीजन के प्रति अलग-अलग अभिक्रियाएं होती हैं।
जैसे सोडियम, पोटेशियम आदि
कुछ धातुएं बहुत कम अभिक्रियाशील हैं ये धातुएं हवा के संपर्क में आने पर आसानी से ऑक्साइड नहीं बनाती हैं।
जैसे सोना, चांदी आदि कैल्सियम मैग्नीशियम एलुमीनियम ज़िंक आयरन लेड हाइड्रोजन कॉपर मरकरी सिल्वर गोल्ड
संख्या | प्रतीक | तत्व | अभिक्रियाशीलता |
---|---|---|---|
1 | K | पोटेशियम | सबसे अधिक अभिक्रियाशील |
2 | Na | सोडियम | ↓ |
3 | Ca | कैल्सियम | |
4 | Mg | मैग्नीशियम | |
5 | Al | एलुमीनियम | |
6 | Zn | ज़िंक | |
7 | Fe | आयरन | ↓ |
8 | Pb | लेड | |
9 | H | हाइड्रोजन | |
10 | Cu | कॉपर | |
11 | Hg | मरकरी | ↓ |
12 | Ag | सिल्वर | |
13 | Au | गोल्ड | सबसे कम अभिक्रियाशील |
सक्रियता श्रेणी की विशेषताएं
- श्रृंखला के शीर्ष पर उपस्थित धातुएँ प्रबल अपचायक का कार्य करती हैं।
- श्रृंखला में नीचे जाने पर धातुओं की अपचायक क्षमता कम हो जाती है।
- श्रृंखला में हाइड्रोजन के ऊपर पाई जाने वाली सभी धातुएँ तनु HCl या तनु H2SO4 के साथ अभिक्रिया करके H2 गैस मुक्त करती हैं।
- धातुएँ जो अभिक्रियाशीलता श्रेणी में ऊपर रखी जाती हैं वे अपने से नीचे वाली धातुओं को उनके ही विलयन से विस्थापित करने की क्षमता रखती हैं।
धातुओं और जल के बीच अभिक्रिया
अभिक्रियाशीलता श्रेणी में हाइड्रोजन से ऊपर वाली धातुएँ जल से अभिक्रिया करके संबंधित हाइड्रॉक्साइड बनाते हुए हाइड्रोजन गैस मुक्त करते हैं। जैसा कि नीचे दिए गए रासायनिक समीकरण द्वारा वर्णित है।
स्पष्टीकरण
ऊपर दी गयी अभिक्रिया में पौटेशियम अभिक्रियाशीलता श्रेणी में हाइड्रोजन से ऊपर होने के कारण यह जल से अभिक्रिया करके हाइड्रोजन गैस मुक्त करती है।
धातुओं और अम्लों के बीच अभिक्रिया
हाइड्रोक्लोरिक एसिड या सल्फ्यूरिक एसिड के साथ अभिक्रिया करने पर लेड और गतिविधि श्रृंखला पर लेड से ऊपर की धातुएँ लवण बनाती हैं। इन अभिक्रियाओं में हाइड्रोजन गैस भी मुक्त होती है।
स्पष्टीकरण
जिंक और सल्फ्यूरिक एसिड के बीच अभिक्रिया ऐसी अभिक्रिया का एक उदाहरण है। जिसमे जिंक सल्फ्यूरिक एसिड के साथ अभिक्रिया करके जिंक सल्फेट तथा H2 गैस उत्पाद के रूप में बनाता हैं। क्योंकि जिंक सक्रियता श्रेणी में लेड से ऊपर है।
धातुओं का निष्कर्षण
सक्रियता श्रेणी में नीचे आने वाली धातुएं काफी कम अभिक्रियाशील होती हैं इन धातुओं के ऑक्साइड को गर्म करने पर आसानी से धातु प्राप्त हो जाती है।
स्पष्टीकरण
मरकरी सक्रियता श्रेणी में नीचे होने के कारण इसके ऑक्साइड को गर्म करने पर मरकरी प्राप्त हो जाती है।
धातुओं के बीच विस्थापन अभिक्रियाएँ
अभिक्रियाशीलता श्रृंखला में ऊपर वाली धातु अपने से नीचे वाली धातु को उसके विलयन से विस्थापित कर सकती है।
इस अभिक्रिया के लिए रासायनिक समीकरण द्वारा दिया गया है:
स्पष्टीकरण
ऊपर लिखित अभिक्रिया में ज़िंक कॉपर सलफेट के विलयन से कॉपर को विस्थापित कर सकता है।
अभ्यास पश्न
- कौन सी धातु सबसे कम अभिक्रियाशील है?
- सबसे अधिक अभिक्रियाशील धातु कौन सी है?
- ज़िंक, सोडियम एवं मरकरी के धात्विक ऑक्साइडों को निम्न धातुओं के साथ गर्म किया गया:
धातु | ज़िंक | सोडियम | मरकरी |
---|---|---|---|
ज़िंक ऑक्साइड | |||
सोडियम ऑक्साइड | |||
मरक्यूरिक ऑक्साइड |