सहसंयोजक त्रिज्या: Difference between revisions

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"जब दो परमाणु एक सहसंयोजक अणु में एक बंध से बंधे होते हैं तो उनके बीच की दूरी तत्व की "सहसंयोजक त्रिज्या" होती है।" सहसंयोजक बंध से जुड़े दो समान परमाणुओं के नाभिक के केंद्रों के बीच की दूरी को सहसंयोजक त्रिज्या कहते हैं।
"जब दो परमाणु एक सहसंयोजक अणु में एक बंध से बंधे होते हैं तो उनके बीच की दूरी [[तत्व]] की "सहसंयोजक त्रिज्या" होती है।" सहसंयोजक बंध से जुड़े दो समान परमाणुओं के [[नाभिक]] के केंद्रों के बीच की दूरी को सहसंयोजक त्रिज्या कहते हैं।


उदाहरण  
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सहसंयोजक त्रिज्या एक परमाणु के आकार को संदर्भित करता है। सहसंयोजक त्रिज्या एक ही प्रजाति (होमोन्यूक्लियर) के दो एकल-बंधित परमाणुओं के नाभिक के बीच आंतरिक पृथक्करण का आधा है। सहसंयोजक त्रिज्या को पिकोमीटर (पीएम) या एंगस्ट्रॉम (Å) के रूप में व्यक्त किया जाता है। प्रायोगिक विधि के आधार पर परमाणु के आकार का निर्धारण सम्भव नहीं है। संयुक्त अवस्था में परमाणुओं के बीच की दूरी की जानकारी के आधार पर परमाणु के आकार का आकलन किया जा सकता है।[[Category:कक्षा-11]][[Category:रसायन विज्ञान]][[Category:अकार्बनिक रसायन]]
सहसंयोजक त्रिज्या एक [[परमाणु]] के आकार को संदर्भित करता है। सहसंयोजक त्रिज्या एक ही प्रजाति (होमोन्यूक्लियर) के दो एकल-बंधित परमाणुओं के नाभिक के बीच आंतरिक पृथक्करण का आधा है। सहसंयोजक त्रिज्या को पिकोमीटर (पीएम) या एंगस्ट्रॉम (Å) के रूप में व्यक्त किया जाता है। प्रायोगिक विधि के आधार पर परमाणु के आकार का निर्धारण सम्भव नहीं है। संयुक्त अवस्था में परमाणुओं के बीच की दूरी की जानकारी के आधार पर परमाणु के आकार का आकलन किया जा सकता है।[[Category:कक्षा-11]][[Category:रसायन विज्ञान]][[Category:अकार्बनिक रसायन]]

Latest revision as of 12:01, 12 May 2024

"जब दो परमाणु एक सहसंयोजक अणु में एक बंध से बंधे होते हैं तो उनके बीच की दूरी तत्व की "सहसंयोजक त्रिज्या" होती है।" सहसंयोजक बंध से जुड़े दो समान परमाणुओं के नाभिक के केंद्रों के बीच की दूरी को सहसंयोजक त्रिज्या कहते हैं।

उदाहरण

सहसंयोजक त्रिज्या एक परमाणु के आकार को संदर्भित करता है। सहसंयोजक त्रिज्या एक ही प्रजाति (होमोन्यूक्लियर) के दो एकल-बंधित परमाणुओं के नाभिक के बीच आंतरिक पृथक्करण का आधा है। सहसंयोजक त्रिज्या को पिकोमीटर (पीएम) या एंगस्ट्रॉम (Å) के रूप में व्यक्त किया जाता है। प्रायोगिक विधि के आधार पर परमाणु के आकार का निर्धारण सम्भव नहीं है। संयुक्त अवस्था में परमाणुओं के बीच की दूरी की जानकारी के आधार पर परमाणु के आकार का आकलन किया जा सकता है।