प्रगलन: Difference between revisions
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प्रगलन-अयस्क में उपस्थित अगलनीय अशुद्धियों को दूर करने के लिए उचित गालक मिलाकर मिश्रण को उच्च ताप पर गलाने की क्रिया प्रगलन (smelting) कहलाती है। इस क्रिया में अयस्क को गलित धातु और कोक द्वारा अपचयन किया जाता है अथवा धातुयुक्त पदार्थ पिघल जाता है। गालक अयस्क में उपस्थित अशुद्धियों से अभिक्रिया करके गलनीय धातुमल बनाता है जिसे अलग कर लेते हैं। यह प्रक्रिया वात्या भट्ठी में की जाती है। | |||
=== उदाहरण === | |||
काँपर पाइराइट से कॉपर का निष्कर्षण वात्या भट्ठी में प्रगलन द्वारा करने पर निम्नलिखित अभिक्रियाएँ होती हैं। | |||
<chem>Cu2O +FeS -> Cu2S + FeO</chem> | |||
<chem>2FeS + 3O2 ->2FeO + 2SO2</chem> | |||
<chem>FeO + SiO2-> FeSO3</chem> | |||
जहां FeSO<sub>3</sub> गालक है |
Revision as of 21:25, 28 December 2023
प्रगलन-अयस्क में उपस्थित अगलनीय अशुद्धियों को दूर करने के लिए उचित गालक मिलाकर मिश्रण को उच्च ताप पर गलाने की क्रिया प्रगलन (smelting) कहलाती है। इस क्रिया में अयस्क को गलित धातु और कोक द्वारा अपचयन किया जाता है अथवा धातुयुक्त पदार्थ पिघल जाता है। गालक अयस्क में उपस्थित अशुद्धियों से अभिक्रिया करके गलनीय धातुमल बनाता है जिसे अलग कर लेते हैं। यह प्रक्रिया वात्या भट्ठी में की जाती है।
उदाहरण
काँपर पाइराइट से कॉपर का निष्कर्षण वात्या भट्ठी में प्रगलन द्वारा करने पर निम्नलिखित अभिक्रियाएँ होती हैं।
जहां FeSO3 गालक है