फिटिंग अभिक्रिया: Difference between revisions

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[[Category:हैलोएल्केन तथा हैलोएरीन]][[Category:रसायन विज्ञान]][[Category:कक्षा-12]][[Category:कार्बनिक रसायन]]
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फिटिग अभिक्रिया एक क्लासिक कार्बनिक संश्लेषण अभिक्रिया है जो दो एरिल हेलाइडों  के युग्मन को एक नया कार्बन-कार्बन बंध बनाने की अनुमति देती है। इस अभिक्रिया का नाम जर्मन रसायनज्ञ विल्हेम रूडोल्फ फिटिग के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने पहली बार 1860 के दशक में इसका वर्णन किया था। जब दो एरिल हैलाइड की सोडियम धातु के साथ शुष्क ईथर की उपस्थिति में अभिक्रिया की जाती है तो डाइफेनिल प्राप्त होता है, इसे फिटिंग रासायनिक अभिक्रिया कहा जाता है।
<big>Ar-X + Ar-X′ -> Ar-Ar′ + X-X′</big>
इस समीकरण में:
Ar-X एक एरिल हैलाइड है।
<big>A</big>r-X′ एक अन्य एरिल हैलाइड का प्रतिनिधित्व करता है।
 Ar- Ar'  एक उत्पाद का प्रतिनिधित्व करता है, जो एक युग्मित बाइएरिल यौगिक है।

Revision as of 11:31, 4 December 2023

फिटिग अभिक्रिया एक क्लासिक कार्बनिक संश्लेषण अभिक्रिया है जो दो एरिल हेलाइडों  के युग्मन को एक नया कार्बन-कार्बन बंध बनाने की अनुमति देती है। इस अभिक्रिया का नाम जर्मन रसायनज्ञ विल्हेम रूडोल्फ फिटिग के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने पहली बार 1860 के दशक में इसका वर्णन किया था। जब दो एरिल हैलाइड की सोडियम धातु के साथ शुष्क ईथर की उपस्थिति में अभिक्रिया की जाती है तो डाइफेनिल प्राप्त होता है, इसे फिटिंग रासायनिक अभिक्रिया कहा जाता है।

Ar-X + Ar-X′ -> Ar-Ar′ + X-X′

इस समीकरण में:

Ar-X एक एरिल हैलाइड है।

Ar-X′ एक अन्य एरिल हैलाइड का प्रतिनिधित्व करता है।

 Ar- Ar'  एक उत्पाद का प्रतिनिधित्व करता है, जो एक युग्मित बाइएरिल यौगिक है।