वाह्य स्खलन या अंतरित मैथुन: Difference between revisions

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निकासी विधि, जिसे कोइटस इंटरप्टस के नाम से भी जाना जाता है, एक प्राकृतिक गर्भनिरोधक विधि है, जिसमें पुरुष स्खलन से पहले अपने लिंग को महिला की योनि से बाहर निकालता है, ताकि शुक्राणु को महिला के [[प्रजनन]] पथ में प्रवेश करने से रोका जा सके।
तंत्र:
संभोग के दौरान, पुरुष अपनी उत्तेजना पर बारीकी से नज़र रखता है और स्खलन होने से पहले ही बाहर निकल जाता है।
यह शुक्राणु को अंडे से मिलने से रोकता है, जिससे निषेचन की संभावना कम हो जाती है।
लाभ:
कोई लागत नहीं: यह मुफ़्त है और इसके लिए किसी उपकरण, दवा या प्रक्रिया की आवश्यकता नहीं होती है।
कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं: चूँकि इसमें कोई रसायन या हार्मोन शामिल नहीं है, इसलिए इसका कोई सीधा साइड इफ़ेक्ट नहीं है।
तुरंत प्रतिवर्ती: प्रजनन क्षमता प्रभावित नहीं होती है, और यदि वांछित हो तो बाद के चक्रों में सामान्य गर्भाधान हो सकता है।
व्यापक रूप से सुलभ: इसे बिना किसी चिकित्सकीय परामर्श या तैयारी के अपनाया जा सकता है।
सीमाएँ:
कम विश्वसनीयता: विफलता के जोखिम के कारण यह अन्य गर्भनिरोधक विधियों की तुलना में कम प्रभावी है।
प्रभावशीलता: सामान्य उपयोग में लगभग 78-82% प्रभावी, जिसका अर्थ है कि इस पद्धति का उपयोग करने वाली 100 में से लगभग 18-22 महिलाएँ एक वर्ष में गर्भवती हो सकती हैं।
पूर्व-स्खलन (प्री-कम): पूर्व-स्खलन द्रव में शुक्राणु हो सकते हैं, जो समय पर निकासी होने पर भी गर्भधारण का कारण बन सकते हैं।
स्व-नियंत्रण की आवश्यकता: पुरुष में स्खलन की भविष्यवाणी करने और उसे नियंत्रित करने की क्षमता होनी चाहिए, जो चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
एसटीआई के विरुद्ध कोई सुरक्षा नहीं: यह विधि यौन संचारित संक्रमणों (एसटीआई) या एचआईवी के विरुद्ध कोई सुरक्षा प्रदान नहीं करती है।
उपयुक्तता:
यह स्थिर, एकांगी संबंधों में रहने वाले जोड़ों के लिए सबसे उपयुक्त है, जो इसकी सीमाओं से अवगत हैं और संबंधित जोखिम उठाने के लिए तैयार हैं।
अन्य विधियों के साथ तुलना:
कम प्रभावी: यह बाधा विधियों (जैसे, कंडोम) या हार्मोनल गर्भ निरोधकों की तुलना में कम विश्वसनीय है।
प्राकृतिक: लैक्टेशनल एमेनोरिया की तरह, यह गर्भनिरोधक का एक प्राकृतिक रूप है, लेकिन इसके लिए अधिक सटीक समय और जागरूकता की आवश्यकता होती है।

Revision as of 20:01, 28 November 2024

निकासी विधि, जिसे कोइटस इंटरप्टस के नाम से भी जाना जाता है, एक प्राकृतिक गर्भनिरोधक विधि है, जिसमें पुरुष स्खलन से पहले अपने लिंग को महिला की योनि से बाहर निकालता है, ताकि शुक्राणु को महिला के प्रजनन पथ में प्रवेश करने से रोका जा सके।

तंत्र:

संभोग के दौरान, पुरुष अपनी उत्तेजना पर बारीकी से नज़र रखता है और स्खलन होने से पहले ही बाहर निकल जाता है।

यह शुक्राणु को अंडे से मिलने से रोकता है, जिससे निषेचन की संभावना कम हो जाती है।

लाभ:

कोई लागत नहीं: यह मुफ़्त है और इसके लिए किसी उपकरण, दवा या प्रक्रिया की आवश्यकता नहीं होती है।

कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं: चूँकि इसमें कोई रसायन या हार्मोन शामिल नहीं है, इसलिए इसका कोई सीधा साइड इफ़ेक्ट नहीं है।

तुरंत प्रतिवर्ती: प्रजनन क्षमता प्रभावित नहीं होती है, और यदि वांछित हो तो बाद के चक्रों में सामान्य गर्भाधान हो सकता है।

व्यापक रूप से सुलभ: इसे बिना किसी चिकित्सकीय परामर्श या तैयारी के अपनाया जा सकता है।

सीमाएँ:

कम विश्वसनीयता: विफलता के जोखिम के कारण यह अन्य गर्भनिरोधक विधियों की तुलना में कम प्रभावी है।

प्रभावशीलता: सामान्य उपयोग में लगभग 78-82% प्रभावी, जिसका अर्थ है कि इस पद्धति का उपयोग करने वाली 100 में से लगभग 18-22 महिलाएँ एक वर्ष में गर्भवती हो सकती हैं।

पूर्व-स्खलन (प्री-कम): पूर्व-स्खलन द्रव में शुक्राणु हो सकते हैं, जो समय पर निकासी होने पर भी गर्भधारण का कारण बन सकते हैं।

स्व-नियंत्रण की आवश्यकता: पुरुष में स्खलन की भविष्यवाणी करने और उसे नियंत्रित करने की क्षमता होनी चाहिए, जो चुनौतीपूर्ण हो सकता है।

एसटीआई के विरुद्ध कोई सुरक्षा नहीं: यह विधि यौन संचारित संक्रमणों (एसटीआई) या एचआईवी के विरुद्ध कोई सुरक्षा प्रदान नहीं करती है।

उपयुक्तता:

यह स्थिर, एकांगी संबंधों में रहने वाले जोड़ों के लिए सबसे उपयुक्त है, जो इसकी सीमाओं से अवगत हैं और संबंधित जोखिम उठाने के लिए तैयार हैं।

अन्य विधियों के साथ तुलना:

कम प्रभावी: यह बाधा विधियों (जैसे, कंडोम) या हार्मोनल गर्भ निरोधकों की तुलना में कम विश्वसनीय है।

प्राकृतिक: लैक्टेशनल एमेनोरिया की तरह, यह गर्भनिरोधक का एक प्राकृतिक रूप है, लेकिन इसके लिए अधिक सटीक समय और जागरूकता की आवश्यकता होती है।