असीमाक्षी: Difference between revisions

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असीमाक्षी पुष्पक्रम को असीमाक्षी [[वृद्धि]] का पुष्पक्रम भी कहा जाता है। इसमें मुख्य अक्ष असीमाक्षी रूप से बढ़ता है और पुष्प पाशर्व में अग्राभिसारी क्रम में लगते हैं। असीमाक्षी पुष्पक्रम के कुछ और विशेषताएं ये हैं:
* इसमें पुष्प अक्ष की वृद्धि रुकती नहीं और यह असीमाक्षी रूप से बढ़ता है।
* इसमें नीचे के फूल बड़े होते हैं और ऊपर की तरफ़ छोटे होते जाते हैं।
* इसमें नए फूल ऊपर या बीच में लगते हैं और पुराने फूल सबसे नीचे होते हैं।
असीमाक्षी पुष्पक्रम वाले कुछ उदाहरण ये हैं:
मूली, सरसों, घास, केला, सहतूत, सोयाबीन।
पुष्पक्रम को दो मुख्य प्रकारों में बांटा गया है:
# रेसमोस
# सिमोस
रेसमोस प्रकार के पुष्पक्रम में मुख्य अक्ष लगातार बढ़ता रहता है और पुष्प अक्ष पर पार्श्व में फूल लगते हैं। वहीं, सिमोस प्रकार के [[पुष्पक्रम]] में मुख्य अक्ष लगातार नहीं बढ़ता। असीमाक्षी पुष्पक्रम पौधों में फूलों की व्यवस्था का एक प्रकार है, जहाँ मुख्य अक्ष निरंतर बढ़ता रहता है। इस प्रकार के पुष्पक्रम की विशेषता टर्मिनल फूल की अनुपस्थिति है, जिससे नए फूलों की वृद्धि पक्षों या शीर्ष से होती है। नतीजतन, सबसे पुराने फूल आमतौर पर आधार पर पाए जाते हैं, जबकि सबसे छोटे फूल मुख्य तने की नोक पर या गुच्छे के केंद्र में होते हैं।
== असीमाक्षी पुष्पक्रम की मुख्य विशेषताएँ ==
* विकास पैटर्न: मुख्य अक्ष एक फूल में समाप्त नहीं होता है, और यह बढ़ता रहता है।
* फूल व्यवस्था: फूल बेसिपेटल या सेंट्रिपेटल तरीके से पैदा होते हैं, जिसका अर्थ है कि सबसे पुराने फूल आधार या परिधि पर स्थित होते हैं, और सबसे छोटे फूल शीर्ष या केंद्र में होते हैं।
* विकास का प्रकार: विकास मोनोपोडियल होता है, जहाँ मुख्य अक्ष बढ़ता रहता है।
== असीमाक्षी पुष्पक्रम के प्रकार ==
* '''रेसमी:''' फूल एक लम्बी, बिना शाखा वाली धुरी के साथ व्यवस्थित होते हैं, जिसमें प्रत्येक फूल एक छोटे डंठल से जुड़ा होता है जिसे पेडीसेल कहा जाता है। उदाहरण: सरसों।
* '''स्पाइक:''' रेसमी के समान लेकिन फूल बिना डंठल वाले (बिना डंठल वाले) होते हैं। उदाहरण: गेहूँ।
* '''पैनिकल:''' शाखाओं से जुड़े फूलों वाला एक शाखित रेसमी। उदाहरण: गुलमोहर।
* '''अम्बेल:''' फूलों के डंठल एक सामान्य बिंदु से निकलते हैं और समान लंबाई के होते हैं, जो छतरी जैसा गुच्छा बनाते हैं। उदाहरण: धनिया।
* '''कोरिम्ब:''' फूल इस तरह से व्यवस्थित होते हैं कि सभी फूल एक ही स्तर पर पहुँचते हैं, जिससे एक सपाट शीर्ष वाला गुच्छा बनता है। उदाहरण: फूलगोभी।
* '''कैटकिन:''' एक लटकता हुआ स्पाइक जिसमें उभयलिंगी फूल होते हैं, जो आमतौर पर हवा से परागित पेड़ों में देखा जाता है। उदाहरण: विलो।
* '''हेड या कैपिटुलम:''' एक कॉम्पैक्ट पुष्पक्रम जिसमें बिना डंठल वाले फूल एक चपटी, डिस्क जैसी संरचना पर भीड़ में होते हैं। उदाहरण: सूरजमुखी।
== अभ्यास प्रश्न ==
* असीमाक्षी पुष्पक्रम को परिभाषित करें।
* असीमाक्षी पुष्पक्रम एक निश्चित पुष्पक्रम से किस प्रकार भिन्न होता है?
* रेसमी पुष्पक्रम दिखाने वाले पौधों के दो उदाहरण दें।
* असीमाक्षी पुष्पक्रम में वृद्धि की मुख्य विशेषता क्या है?
* पैनिकल क्या है? यह रेसमी से किस प्रकार भिन्न होता है?
* असीमाक्षी पुष्पक्रम में सबसे छोटे फूल आमतौर पर शीर्ष पर क्यों होते हैं?
* कोरिमब पुष्पक्रम में फूलों की व्यवस्था क्या होती है?
* एक पौधे का नाम बताइए जो कैपिटुलम प्रकार का पुष्पक्रम दिखाता है।
* सूरजमुखी में किस प्रकार का असीमाक्षी पुष्पक्रम पाया जाता है? रेसमी पुष्पक्रम में पेडीसेल का क्या कार्य है?

Latest revision as of 08:45, 30 September 2024

असीमाक्षी पुष्पक्रम को असीमाक्षी वृद्धि का पुष्पक्रम भी कहा जाता है। इसमें मुख्य अक्ष असीमाक्षी रूप से बढ़ता है और पुष्प पाशर्व में अग्राभिसारी क्रम में लगते हैं। असीमाक्षी पुष्पक्रम के कुछ और विशेषताएं ये हैं:

  • इसमें पुष्प अक्ष की वृद्धि रुकती नहीं और यह असीमाक्षी रूप से बढ़ता है।
  • इसमें नीचे के फूल बड़े होते हैं और ऊपर की तरफ़ छोटे होते जाते हैं।
  • इसमें नए फूल ऊपर या बीच में लगते हैं और पुराने फूल सबसे नीचे होते हैं।

असीमाक्षी पुष्पक्रम वाले कुछ उदाहरण ये हैं:

मूली, सरसों, घास, केला, सहतूत, सोयाबीन।

पुष्पक्रम को दो मुख्य प्रकारों में बांटा गया है:

  1. रेसमोस
  2. सिमोस

रेसमोस प्रकार के पुष्पक्रम में मुख्य अक्ष लगातार बढ़ता रहता है और पुष्प अक्ष पर पार्श्व में फूल लगते हैं। वहीं, सिमोस प्रकार के पुष्पक्रम में मुख्य अक्ष लगातार नहीं बढ़ता। असीमाक्षी पुष्पक्रम पौधों में फूलों की व्यवस्था का एक प्रकार है, जहाँ मुख्य अक्ष निरंतर बढ़ता रहता है। इस प्रकार के पुष्पक्रम की विशेषता टर्मिनल फूल की अनुपस्थिति है, जिससे नए फूलों की वृद्धि पक्षों या शीर्ष से होती है। नतीजतन, सबसे पुराने फूल आमतौर पर आधार पर पाए जाते हैं, जबकि सबसे छोटे फूल मुख्य तने की नोक पर या गुच्छे के केंद्र में होते हैं।

असीमाक्षी पुष्पक्रम की मुख्य विशेषताएँ

  • विकास पैटर्न: मुख्य अक्ष एक फूल में समाप्त नहीं होता है, और यह बढ़ता रहता है।
  • फूल व्यवस्था: फूल बेसिपेटल या सेंट्रिपेटल तरीके से पैदा होते हैं, जिसका अर्थ है कि सबसे पुराने फूल आधार या परिधि पर स्थित होते हैं, और सबसे छोटे फूल शीर्ष या केंद्र में होते हैं।
  • विकास का प्रकार: विकास मोनोपोडियल होता है, जहाँ मुख्य अक्ष बढ़ता रहता है।

असीमाक्षी पुष्पक्रम के प्रकार

  • रेसमी: फूल एक लम्बी, बिना शाखा वाली धुरी के साथ व्यवस्थित होते हैं, जिसमें प्रत्येक फूल एक छोटे डंठल से जुड़ा होता है जिसे पेडीसेल कहा जाता है। उदाहरण: सरसों।
  • स्पाइक: रेसमी के समान लेकिन फूल बिना डंठल वाले (बिना डंठल वाले) होते हैं। उदाहरण: गेहूँ।
  • पैनिकल: शाखाओं से जुड़े फूलों वाला एक शाखित रेसमी। उदाहरण: गुलमोहर।
  • अम्बेल: फूलों के डंठल एक सामान्य बिंदु से निकलते हैं और समान लंबाई के होते हैं, जो छतरी जैसा गुच्छा बनाते हैं। उदाहरण: धनिया।
  • कोरिम्ब: फूल इस तरह से व्यवस्थित होते हैं कि सभी फूल एक ही स्तर पर पहुँचते हैं, जिससे एक सपाट शीर्ष वाला गुच्छा बनता है। उदाहरण: फूलगोभी।
  • कैटकिन: एक लटकता हुआ स्पाइक जिसमें उभयलिंगी फूल होते हैं, जो आमतौर पर हवा से परागित पेड़ों में देखा जाता है। उदाहरण: विलो।
  • हेड या कैपिटुलम: एक कॉम्पैक्ट पुष्पक्रम जिसमें बिना डंठल वाले फूल एक चपटी, डिस्क जैसी संरचना पर भीड़ में होते हैं। उदाहरण: सूरजमुखी।

अभ्यास प्रश्न

  • असीमाक्षी पुष्पक्रम को परिभाषित करें।
  • असीमाक्षी पुष्पक्रम एक निश्चित पुष्पक्रम से किस प्रकार भिन्न होता है?
  • रेसमी पुष्पक्रम दिखाने वाले पौधों के दो उदाहरण दें।
  • असीमाक्षी पुष्पक्रम में वृद्धि की मुख्य विशेषता क्या है?
  • पैनिकल क्या है? यह रेसमी से किस प्रकार भिन्न होता है?
  • असीमाक्षी पुष्पक्रम में सबसे छोटे फूल आमतौर पर शीर्ष पर क्यों होते हैं?
  • कोरिमब पुष्पक्रम में फूलों की व्यवस्था क्या होती है?
  • एक पौधे का नाम बताइए जो कैपिटुलम प्रकार का पुष्पक्रम दिखाता है।
  • सूरजमुखी में किस प्रकार का असीमाक्षी पुष्पक्रम पाया जाता है? रेसमी पुष्पक्रम में पेडीसेल का क्या कार्य है?