स्फीत दबाव: Difference between revisions
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स्फीति दाब या टर्गर प्रेशर, पौधों की कोशिकाओं में पानी के प्रवेश के कारण होने वाला दबाव होता है। यह दबाव कोशिका भित्ति पर लगता है और कोशिका के अंदर वृद्धि को प्रेरित करता है। | |||
* स्फीति दाब, कोशिकाओं में ऑस्मोसिस के कारण बनता है। | |||
* स्फीति दाब की वजह से कोशिकाओं का आकार और कठोरता बढ़ती है। | |||
* स्फीति दाब की वजह से कोशिकाएं फैलती हैं। | |||
* स्फीति दाब को नियंत्रित करने का काम पौधों की अर्धपारगम्य झिल्ली करती है। | |||
* स्फीति दाब कम होने पर कोशिकाएं मुरझा जाती हैं। | |||
* स्फीति दाब की वजह से ही पौधे डामर और कठोर सतहों पर भी बढ़ पाते हैं। | |||
* बढ़ती हुई जड़ कोशिका का स्फीति दाब 0.6 एमपीए तक हो सकता है। | |||
* पत्ती की एपिडर्मल कोशिकाओं में स्फीति दाब 1.5 से 2.0 एमपीए तक हो सकता है। |
Revision as of 06:42, 20 September 2024
स्फीति दाब या टर्गर प्रेशर, पौधों की कोशिकाओं में पानी के प्रवेश के कारण होने वाला दबाव होता है। यह दबाव कोशिका भित्ति पर लगता है और कोशिका के अंदर वृद्धि को प्रेरित करता है।
- स्फीति दाब, कोशिकाओं में ऑस्मोसिस के कारण बनता है।
- स्फीति दाब की वजह से कोशिकाओं का आकार और कठोरता बढ़ती है।
- स्फीति दाब की वजह से कोशिकाएं फैलती हैं।
- स्फीति दाब को नियंत्रित करने का काम पौधों की अर्धपारगम्य झिल्ली करती है।
- स्फीति दाब कम होने पर कोशिकाएं मुरझा जाती हैं।
- स्फीति दाब की वजह से ही पौधे डामर और कठोर सतहों पर भी बढ़ पाते हैं।
- बढ़ती हुई जड़ कोशिका का स्फीति दाब 0.6 एमपीए तक हो सकता है।
- पत्ती की एपिडर्मल कोशिकाओं में स्फीति दाब 1.5 से 2.0 एमपीए तक हो सकता है।