हरित रसायन: Difference between revisions

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हरित रसायन प्रणाली एक उत्पादन प्रक्रिया है जो पर्यावरण में न्यूनतम प्रदूषण या गिरावट लाएगी।  किसी प्रक्रिया के दौरान उत्पन्न उपोत्पाद पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाते हैं।
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विकासात्मक गतिविधियों के साथ-साथ रासायनिक खतरों को कम करने के लिए मौजूदा ज्ञान आधार का उपयोग ही '''हरित रसायन''' विज्ञान है, आइए कुछ उदाहरण से इसे हम बेहतर तरीके से समझते हैं।
 
* भारतीय वैज्ञानिकों ने खेती के तरीके, अच्छी गुणवत्ता वाले बीज, सिंचाई तकनीक आदि की खोज की। भारत में 20वीं सदी के अंत से उर्वरकों और कीटनाशकों का उपयोग करके कृषि क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल की गई है।लेकिन उर्वरकों और कीटनाशकों के अत्यधिक उपयोग के परिणामस्वरूप मिट्टी, पानी और हवा की स्थिति खराब हो गई है।
 
* ड्राई क्लीनिंग के लिए पहले टेट्रा क्लोरोएथीन (Cl<sub>2</sub>C=CCl<sub>2</sub>) का उपयोग विलायक के रूप में किया जाता था।  यह यौगिक भूजल को प्रदूषित करता है, जो कि स्वास्थ्य संबंधी विभिन्न बीमारियां उत्पन्न करता है।इस यौगिक के स्थान पर तरल CO<sub>2</sub> का उपयोग उपयुक्त डिटर्जेंट के साथ किया जाता है।
 
         हैलोजेनेटेड विलायक को तरल CO<sub>2</sub> से बदलने से भूजल को कम नुकसान होगा।
 
* इमली के बीज की गिरी का पाउडर नगरपालिका और औद्योगिक अपशिष्ट जल को स्वच्छ बनाने के लिए एक प्रभावी सामग्री के तौर पर पाया गया है।  यह गैर-विषाक्त, बायोडिग्रेडेबल और लागत प्रभावी सामग्री है।  इस पाउडर को आमतौर पर कृषि अपशिष्ट के रूप में फेंक दिया जाता है।

Revision as of 08:28, 2 October 2023