जल प्रदूषण: Difference between revisions
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वर्तमान में जल प्रदूषण एक कठिन समस्या बनती जा रही है। बड़ी संख्या में, मानवीय औद्योगिक संस्थानों के स्थापित होने से और उनके अपशिष्ट के कुप्रबंधन के कारण सभी मीठे पानी के स्त्रोत प्रदूषित होते जा रहे हैं। | वर्तमान में जल प्रदूषण एक कठिन समस्या बनती जा रही है। बड़ी संख्या में, मानवीय औद्योगिक संस्थानों के स्थापित होने से और उनके अपशिष्ट के कुप्रबंधन के कारण सभी मीठे पानी के स्त्रोत प्रदूषित होते जा रहे हैं। | ||
जहां एक ओर मानव औद्योगिक क्रांति को अपने विकास के पथ पर उपलब्धि मान रहा है, वहीं दूसरी ओर औद्योगिक अपशिष्ट के कुप्रबंधन के कारण प्राकृतिक संसाधनों को लगातार प्रदूषित कर रहा है। और वह अपने पतन की ओर जा रहा है | जहां एक ओर मानव औद्योगिक क्रांति को अपने विकास के पथ पर उपलब्धि मान रहा है, वहीं दूसरी ओर औद्योगिक अपशिष्ट के कुप्रबंधन के कारण प्राकृतिक संसाधनों को लगातार प्रदूषित कर रहा है। और वह अपने पतन की ओर जा रहा है। | ||
== '''जल प्रदूषण के दुष्परिणाम''' == | |||
अनुचित पेयजल का उपयोग करने से हैजा, दस्त, पेचिश, टाइफाइड विभिन्न सूक्ष्मजीवी रोग हो सकते हैं। संक्रमित पानी का उपयोग करने से से हेपेटाइटिस ए, और पोलियो जैसे जल संचरण रोग हो सकते हैं। शहरी क्षेत्रों का अपर्याप्त अपशिष्ट प्रबंधन, औद्योगिक क्षेत्र अपने अनुपचारित अपशिष्ट उपोत्पादों द्वारा पानी को बहुत अधिक प्रदूषित करते हैं। कृषि रसायन भी जल संसाधनों को प्रदूषित करते हैं। भूजल भंडार में कई खतरनाक रसायन मिल जाते हैं। As, Pb जैसे कई भारी धातु के कण भी पीने के पानी में घुल जाते हैं जो कैंसर जैसी बीमारी का कारण बन सकते हैं। इसका मतलब है कि करोड़ों लोगों का पीने का पानी खतरनाक रूप से दूषित है। | |||
== '''जल प्रदूषण के कारक''' == | |||
* ऐसे रसायनों का अत्यधिक उपयोग जिनमें भारी धातु कण होती हैं, मिट्टी में समा जाती हैं और भूजल में मिल जाती हैं, जिससे भूजल दूषित हो जाता है। भारी धातु कण '''कैंसरजन''' भी होते हैं। | * ऐसे रसायनों का अत्यधिक उपयोग जिनमें भारी धातु कण होती हैं, मिट्टी में समा जाती हैं और भूजल में मिल जाती हैं, जिससे भूजल दूषित हो जाता है। भारी धातु कण '''कैंसरजन''' भी होते हैं। | ||
Revision as of 19:13, 2 September 2023
जल प्रदूषण
मानव गतिविधियों या हानिकारक सूक्ष्म जीवो की वृद्धि के कारण ताजे पानी के स्रोतों का विनाश जल प्रदूषण है। यह पानी को पीने, खाना पकाने, सफाई, तैराकी के लिए अनुपयोगी बना देता है।
वर्तमान में जल प्रदूषण एक कठिन समस्या बनती जा रही है। बड़ी संख्या में, मानवीय औद्योगिक संस्थानों के स्थापित होने से और उनके अपशिष्ट के कुप्रबंधन के कारण सभी मीठे पानी के स्त्रोत प्रदूषित होते जा रहे हैं।
जहां एक ओर मानव औद्योगिक क्रांति को अपने विकास के पथ पर उपलब्धि मान रहा है, वहीं दूसरी ओर औद्योगिक अपशिष्ट के कुप्रबंधन के कारण प्राकृतिक संसाधनों को लगातार प्रदूषित कर रहा है। और वह अपने पतन की ओर जा रहा है।
जल प्रदूषण के दुष्परिणाम
अनुचित पेयजल का उपयोग करने से हैजा, दस्त, पेचिश, टाइफाइड विभिन्न सूक्ष्मजीवी रोग हो सकते हैं। संक्रमित पानी का उपयोग करने से से हेपेटाइटिस ए, और पोलियो जैसे जल संचरण रोग हो सकते हैं। शहरी क्षेत्रों का अपर्याप्त अपशिष्ट प्रबंधन, औद्योगिक क्षेत्र अपने अनुपचारित अपशिष्ट उपोत्पादों द्वारा पानी को बहुत अधिक प्रदूषित करते हैं। कृषि रसायन भी जल संसाधनों को प्रदूषित करते हैं। भूजल भंडार में कई खतरनाक रसायन मिल जाते हैं। As, Pb जैसे कई भारी धातु के कण भी पीने के पानी में घुल जाते हैं जो कैंसर जैसी बीमारी का कारण बन सकते हैं। इसका मतलब है कि करोड़ों लोगों का पीने का पानी खतरनाक रूप से दूषित है।
जल प्रदूषण के कारक
- ऐसे रसायनों का अत्यधिक उपयोग जिनमें भारी धातु कण होती हैं, मिट्टी में समा जाती हैं और भूजल में मिल जाती हैं, जिससे भूजल दूषित हो जाता है। भारी धातु कण कैंसरजन भी होते हैं।
- सीवेज या औद्योगिक कचरे को बिना उपचारित किए सीधे नदियों में प्रवाहित करना। यह इस समय जल प्रदूषण का मुख्य कारण है।
- तालाबों और झीलों का सुपोषण (Eutrophication) भी जल प्रदूषण होता है। कभी-कभी यह संपूर्ण जलस्रोत को ख़त्म कर देता है।
- रासायनिक खेती ताजे पानी को प्रदूषित कर सकती है क्योंकि मिट्टी द्वारा अवशोषित कीटनाशक और उर्वरक भूजल सामग्री को अशुद्ध कर देते हैं।
- जल निकाय में सूक्ष्मजीवियों की वृद्धि जल निकाय को भी प्रदूषित करती है। इस प्रकार के पानी को पीने के लिए उपयोग करने से मनुष्य में टाइफाइड जैसी कई बीमारियाँ पैदा हो सकती हैं। सूक्ष्मजीव झीलों और तालाबों जैसे जल निकायों में ऑक्सीजन स्तर भी कम कर देते हैं।