लघुबीजाणु चतुष्क: Difference between revisions

From Vidyalayawiki

Listen

mNo edit summary
mNo edit summary
Line 11: Line 11:
== संरचना ==
== संरचना ==
लघुबीजाणु चतुष्क में लघुबीजाणु टेट्राहेड्रल फैशन में व्यवस्थित होते हैं। सभी चार लघुबीजाणु एक परत से ढके होते हैं जो कैलोज़ द्वारा बनाई जाती है। यह कैलोज़, एन्जाइम कैलेज़ द्वारा नष्ट हो जाती है जिसके परिणामस्वरूप लघुबीजाणु एक दूसरे से अलग हो जाते हैं और गोलाकार हो जाते हैं। इस अवस्था में ये पराग कक्ष में स्वतंत्र रूप से वितरित दिखाई देते हैं और पराग कण कहलाते हैं।
लघुबीजाणु चतुष्क में लघुबीजाणु टेट्राहेड्रल फैशन में व्यवस्थित होते हैं। सभी चार लघुबीजाणु एक परत से ढके होते हैं जो कैलोज़ द्वारा बनाई जाती है। यह कैलोज़, एन्जाइम कैलेज़ द्वारा नष्ट हो जाती है जिसके परिणामस्वरूप लघुबीजाणु एक दूसरे से अलग हो जाते हैं और गोलाकार हो जाते हैं। इस अवस्था में ये पराग कक्ष में स्वतंत्र रूप से वितरित दिखाई देते हैं और पराग कण कहलाते हैं।
कुछ पौधों में स्पोरैन्जियम में लघुबीजाणु एक ही द्रव्यमान में चिपक जाते हैं। इसे '''पोलीनियम''' कहा जाता है। यह '''''Calotropis''''' और कुछ Orchids में पाया जाता है।आमतौर पर लघुबीजाणु जल्द ही एक दूसरे से अलग हो जाते हैं लेकिन कभी-कभी वे चतुष्क में चिपककर मिश्रित परागकण बनाते हैं। उदाहरण '''''Typha''''' और '''''Elodea''''' हैं।


== प्रकार: ==
== प्रकार: ==
लघुबीजाणु चतुष्क मूल रूप से पाँच प्रकार के होते हैं:
लघुबीजाणु चतुष्क के प्रकार इसमें पाए जाने वाले लघुबीजाणु की व्यवस्था पर निर्भर करता है। लघुबीजाणु चतुष्क मूल रूप से पाँच प्रकार के होते हैं:
 
* '''टेट्राहेड्रल:''' इसमें एक ओर से देखने पर केवल तीन लघुबीजाणु दिखाई देते हैं और चौथा भाग इनके पीछे की ओर स्थित होता है। उदाहरण: अधिकांश द्विबीजपत्री प्रमाणित में इसी प्रकार के लघुबीजानु चतुष्क पाए जाते हैं।
 
* '''समद्विबाहु:''' इसमें चतुष्क के चारों ओर लघुबीजाणु एक ही तल में दिखाई देते हैं। उदाहरण: इस प्रकार के लघुबीजाणु चतुष्क एकबीजपत्री में पाए जाते हैं।
 
* '''डीक्यूसेट:''' इसमें दो + दो माइक्रोस्पोर्स को लंबवत रूप से इस तरह व्यवस्थित किया जाता है कि ऊपरी दो माइक्रोस्पोर्स दिखाई देते हैं और निचले स्तर से केवल एक दिखाई देता है। उदाहरण: '''''Magnolia'''''


* '''टेट्राहेड्रल:''' इसमें एक ओर से देखने पर केवल तीन लघुबीजाणु दिखाई देते हैं और चौथा भाग इनके पीछे की ओर स्थित होता है। अधिकांश द्विबीजपत्री प्रमाणित में इसी प्रकार के लघुबीजानु चतुष्क पाए जाते हैं।
* '''टी-आकार:''' इसमें माइक्रोस्पोर्स को टेट्राड में इस तरह से व्यवस्थित किया जाता है कि दो माइक्रोस्पोर्स अनुप्रस्थ में और दो अनुदैर्ध्य विमान में व्यवस्थित होते हैं।उदाहरण: '''''Aristolochia'''''


* '''समद्विबाहु:''' इसमें चतुष्क के चारों ओर लघुबीजाणु एक ही तल में दिखाई देते हैं। इस प्रकार के लघुबीजाणु चतुष्क एकबीजपत्री स्टॉक में पाए जाते हैं।
* '''रैखिक:''' सभी सूक्ष्मबीजाणु एक ही रैखिक तरीके से व्यवस्थित होते हैं।

Revision as of 14:33, 10 September 2023


परिचय

यदि आपने रात के खाने के लिए एक पिज़्ज़ा का ऑर्डर किया हैI पिज़्ज़ा के आते ही आप उसे चार भागों में विभाजित कर देते हैंI अब आप आप ऐसा कह सकते हैं कि आप पिज़्ज़ा का एक चतुष्क परोस रहे हैं। आप गणित में चार संख्याओं के समूह, या विज्ञान की विभिन्न शाखाओं में चार चीजों के समूह के बारे में बात करने के लिए चतुष्क का उपयोग करते हैं - ऐसा ही एक प्रकार का चतुष्क पौधों में बनता है जो चार बीजाणुओं का एक समूह हैI इस अध्याय में हम इस लघुबीजाणु चतुष्क के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।

परिभाषा

लघुबीजाणु चतुष्क कोशिकाएं चार के समूह में व्यवस्थित लघुबीजाणु हैं। लघुबीजाणु चतुष्क, बीजाणुजन ऊतक में पायी जाने वाली लघुबीजाणु मातृ कोशिका से बनते हैं। लघुबीजाणु मातृ कोशिका एक द्विगुणित कोशिका है जो अर्धसूत्रीविभाजन से होकर चार अगुणित लघुबीजाणु बनाती है जो एक चतुष्क में व्यवस्थित होते हैं। इस प्रक्रिया को लघुबीजाणुजनन के रूप में जाना जाता है। माइक्रोस्पोरंगियम के विकास के दौरान, बीजाणुजन ऊतक की प्रत्येक कोशिका एक पराग मातृ कोशिका के रूप में कार्य करती है और एक लघुबीजाणु चतुष्क को जन्म देती है, जिसमें अर्धसूत्रीविभाजन की प्रक्रिया द्वारा चार अगुणित लघुबीजाणु होते हैं।

जैसे-जैसे परागकोष परिपक्व होता है, ये सूक्ष्मबीजाणु अलग हो जाते हैं और परागकणों में विकसित हो जाते हैं।

संरचना

लघुबीजाणु चतुष्क में लघुबीजाणु टेट्राहेड्रल फैशन में व्यवस्थित होते हैं। सभी चार लघुबीजाणु एक परत से ढके होते हैं जो कैलोज़ द्वारा बनाई जाती है। यह कैलोज़, एन्जाइम कैलेज़ द्वारा नष्ट हो जाती है जिसके परिणामस्वरूप लघुबीजाणु एक दूसरे से अलग हो जाते हैं और गोलाकार हो जाते हैं। इस अवस्था में ये पराग कक्ष में स्वतंत्र रूप से वितरित दिखाई देते हैं और पराग कण कहलाते हैं।

कुछ पौधों में स्पोरैन्जियम में लघुबीजाणु एक ही द्रव्यमान में चिपक जाते हैं। इसे पोलीनियम कहा जाता है। यह Calotropis और कुछ Orchids में पाया जाता है।आमतौर पर लघुबीजाणु जल्द ही एक दूसरे से अलग हो जाते हैं लेकिन कभी-कभी वे चतुष्क में चिपककर मिश्रित परागकण बनाते हैं। उदाहरण Typha और Elodea हैं।

प्रकार:

लघुबीजाणु चतुष्क के प्रकार इसमें पाए जाने वाले लघुबीजाणु की व्यवस्था पर निर्भर करता है। लघुबीजाणु चतुष्क मूल रूप से पाँच प्रकार के होते हैं:

  • टेट्राहेड्रल: इसमें एक ओर से देखने पर केवल तीन लघुबीजाणु दिखाई देते हैं और चौथा भाग इनके पीछे की ओर स्थित होता है। उदाहरण: अधिकांश द्विबीजपत्री प्रमाणित में इसी प्रकार के लघुबीजानु चतुष्क पाए जाते हैं।
  • समद्विबाहु: इसमें चतुष्क के चारों ओर लघुबीजाणु एक ही तल में दिखाई देते हैं। उदाहरण: इस प्रकार के लघुबीजाणु चतुष्क एकबीजपत्री में पाए जाते हैं।
  • डीक्यूसेट: इसमें दो + दो माइक्रोस्पोर्स को लंबवत रूप से इस तरह व्यवस्थित किया जाता है कि ऊपरी दो माइक्रोस्पोर्स दिखाई देते हैं और निचले स्तर से केवल एक दिखाई देता है। उदाहरण: Magnolia
  • टी-आकार: इसमें माइक्रोस्पोर्स को टेट्राड में इस तरह से व्यवस्थित किया जाता है कि दो माइक्रोस्पोर्स अनुप्रस्थ में और दो अनुदैर्ध्य विमान में व्यवस्थित होते हैं।उदाहरण: Aristolochia
  • रैखिक: सभी सूक्ष्मबीजाणु एक ही रैखिक तरीके से व्यवस्थित होते हैं।