बफर विलयन: Difference between revisions

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जैसे CH3COOH और CH3COONa के मिश्रण को अम्लीय बफर कहते हैं।  
जैसे CH3COOH और CH3COONa के मिश्रण को अम्लीय बफर कहते हैं।  
=== क्षारीय बफर ===

Revision as of 13:07, 14 September 2023

वह विलयन जिसमें अम्ल या क्षार की अल्प मात्रा मिलाने पर उसके PH मान में कोई परिवर्तन नहीं होता उसे बफर विलयन कहते हैं। अतः बफर विलयन में अम्ल या क्षार की अल्प मात्रा डालने पर इसका मान अपरिवर्तित रहता है। अर्थात यह विलयन अपने मान में किसी भी परिवर्तन का प्रतिरोध करता है। शुद्ध जल की PH = 7 होती है परन्तु जब इसे वायु में रखा जाता है तो यह कार्बन डाइऑक्साइड गैस अवशोषित कर लेता है जिससे कार्बोनिक अम्ल का तनु विलयन बन जाता है। जिससे विलयन की कम PH = 5 हो जाती है। अर्थात जल में एक बूँद HCl डालने पर इसका PH 7 से कम हो जाता है और एक बूँद NaOH डालने पर उसकी PH 7 से अधिक हो जाती है।

"अम्ल या क्षार की अल्प मात्रा डालने पर जिस विलयन के पह मान में कोई सार्थक परिवर्तन नहीं होता, उसे बफर विलयन या उभय प्रतिरोधी विलयन कहते हैं।"

बफर विलयन के गुण

  • बफर विलयन की अम्लता या क्षारकता आरक्षित रहती है।
  • PH परिवर्तन करने पर बफर विलयन में कोई प्रभाव नहीं पड़ता।
  • बफर विलयन उसमे अल्प मात्रा में डाले गए अम्ल अथवा क्षार के प्रभाव को निरस्त कर देता है, जिससे उसका मान आरक्षित रहता है।  

बफर विलयन का संघटन

बफर विलयन एक ऐसा विलयन है जो अम्ल या क्षार जोड़ने पर PH में परिवर्तन का प्रतिरोध करता है। यह विलयन में एक दुर्बल अम्ल और उसके संगत संयुग्मी क्षार (या एक दुर्बल क्षार और उसके संगत संयुग्मी अम्ल) को सम्मिलित करके प्राप्त किया जाता है।

बफर विलयन के प्रकार

बफर विलयन दो प्रकार के होते हैं:

  • अम्लीय बफर
  • क्षारीय बफर

अम्लीय बफर

अम्लीय बफर दुर्बल अम्ल और उसके प्रबल क्षार के साथ बने लवण के विलयनों क मिश्रण होता है।

जैसे CH3COOH और CH3COONa के मिश्रण को अम्लीय बफर कहते हैं।  

क्षारीय बफर