नियत बल द्वारा किया गया कार्य: Difference between revisions

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Work done by a constant force
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भौतिकी में, "कार्य" तब किया जाता है जब किसी वस्तु पर एक निरंतर बल लगाया जाता है, जिससे वह बल की दिशा में एक निश्चित दूरी तक चलती है। कार्य बल के कारण वस्तु पर या उससे स्थानांतरित ऊर्जा का एक माप है।
भौतिकी में, "कार्य" तब किया जाता है, जब किसी वस्तु पर एक निरंतर बल लगाया जाता है, जिससे वह बल की दिशा में एक निश्चित दूरी तक चलती है। कार्य बल के कारण वस्तु पर या उससे स्थानांतरित ऊर्जा का एक माप है।


== कार्य के लिए गणितीय समीकरण ==
== कार्य के लिए गणितीय समीकरण ==
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== संक्षेप में ==
== संक्षेप में ==
कार्य की अवधारणा को समझना भौतिकी में महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे यह समझाने में मदद मिलती है कि जब बल वस्तुओं पर कार्य करते हैं तो ऊर्जा कैसे स्थानांतरित होती है। यह एक मौलिक अवधारणा है जो यांत्रिकी और थर्मोडायनामिक्स सहित भौतिकी के विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
कार्य की अवधारणा को समझना भौतिकी में महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे यह समझाने में मदद मिलती है कि जब बल वस्तुओं पर कार्य करते हैं तो ऊर्जा कैसे स्थानांतरित होती है। यह एक मौलिक अवधारणा है जो यांत्रिकी और थर्मोडायनामिक्स सहित भौतिकी के विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।





Revision as of 16:56, 21 September 2023

Work done by a constant force

भौतिकी में, "कार्य" तब किया जाता है, जब किसी वस्तु पर एक निरंतर बल लगाया जाता है, जिससे वह बल की दिशा में एक निश्चित दूरी तक चलती है। कार्य बल के कारण वस्तु पर या उससे स्थानांतरित ऊर्जा का एक माप है।

कार्य के लिए गणितीय समीकरण

बल की दिशा में () दूरी पर चलती हुई किसी वस्तु पर निरंतर बल () द्वारा किए गए कार्य () की गणना निम्नलिखित समीकरण का उपयोग करके की जा सकती है:

जहाँ:

  •    कार्य पूरा हो गया (जूल, में मापा गया)।
  •    लगाए गए निरंतर बल का परिमाण है (न्यूटन, में मापा जाता है)।
  •    वह दूरी है जिस पर वस्तु बल के कारण चलती है (मीटर, में मापी गई)।

मुख्य बिंदु

बल की दिशा

कार्य तब होता है जब बल वस्तु की गति की दिशा में ही लगाया जाता है। यदि बल और गति विपरीत दिशाओं में हैं, तो किया गया कार्य नकारात्मक हो सकता है।

कार्य की इकाई

कार्य की इकाई जूल (J) है। एक जूल एक न्यूटन-मीटर (N·m) के बराबर होता है। यह तब स्थानांतरित ऊर्जा की मात्रा को दर्शाता है जब एक न्यूटन का बल किसी वस्तु को बल की दिशा में एक मीटर आगे बढ़ाता है।

सकारात्मक एवं नकारात्मक कार्य
  •    सकारात्मक कार्य तब होता है जब बल और गति की दिशा एक ही दिशा में हो। इसका तात्पर्य है कि ऊर्जा वस्तु में स्थानांतरित हो जाती है, जिससे उसकी गतिज ऊर्जा बढ़ जाती है।
  •    नकारात्मक कार्य तब होता है जब बल और गति की दिशा विपरीत दिशा में होती है। इस स्थिति में, वस्तु ऊर्जा खो देती है।
  •    शून्य कार्य तब होता है जब या तो कोई बल नहीं लगाया जाता है, या जब बल और गति की दिशा लंबवत होती है (उनके बीच का कोण θ=90 डिग्री बनाता है)।
कार्य-ऊर्जा प्रमेय

किसी वस्तु पर किया गया कार्य उसकी गतिज ऊर्जा (ΔKE) में परिवर्तन के बराबर होता है। कार्य-ऊर्जा प्रमेय को इस प्रकार व्यक्त किया जा सकता है:

संक्षेप में

कार्य की अवधारणा को समझना भौतिकी में महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे यह समझाने में मदद मिलती है कि जब बल वस्तुओं पर कार्य करते हैं तो ऊर्जा कैसे स्थानांतरित होती है। यह एक मौलिक अवधारणा है जो यांत्रिकी और थर्मोडायनामिक्स सहित भौतिकी के विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।