फुलरीन: Difference between revisions
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अक्रिय गैसों जैसे हीलियम, आर्गन आदि की उपस्थित में जब ग्रेफाइट को विधुत आर्क में गर्म करते हैं, तब फुलरीन का निर्माण होता है। | अक्रिय गैसों जैसे हीलियम, आर्गन आदि की उपस्थित में जब ग्रेफाइट को विधुत आर्क में गर्म करते हैं, तब फुलरीन का निर्माण होता है। | ||
फुलरीन की संरचना एक फुटबाल की तरह होती है। अमेरिका के प्रसिद्ध वास्तुकार बकमिन्सटर फुलर के नाम पर इसका नाम फुलरीन रखा गया। फुलरीन के अणु में 60, 70 या अधिक कार्बन परमाणु भी पाए जाते हैं। C60 सर्वाधिक स्थायी फुलरीन है जिसे बकमिन्सटर फुलरीन भी कहते है। C60 विद्युत का कुचालक होता है एवं इसमें कार्बन-कार्बन बंध की लम्बाई 1.40 A<sup>0</sup> होती है। C60 की संरचना में 32 फलक होते हैं जिसमें 20 फलक षट्कोणीय तथा 12 फलकपंचकोणीय होते हैं। इसकी संरचना फुटबॉल के समान होती है। अतः इसे ‘बकीबॉल’ भी कहा जाता है। फुलरीन कार्बन का शुद्धतम रूप है, क्योकी फुलरीन में किसी प्रकार का बंध नहीं होता है। इसकी आकृति पिंजरेनुमा होती है। C60 अणु की आकृति सॉकर बॉल के समान होती है। इसे बकमिन्स्टर फुलरीन कहते हैं। इसमें दो प्रकार के वलय होते हैं। बीस छः सदस्यीय वलय तथा बारह पांच सदस्यीय वलय होते हैं, सभी कार्बन परमाणु समान होते हैं तथा | फुलरीन की संरचना एक फुटबाल की तरह होती है। अमेरिका के प्रसिद्ध वास्तुकार '''बकमिन्सटर फुलर''' के नाम पर इसका नाम फुलरीन रखा गया। फुलरीन के अणु में 60, 70 या अधिक कार्बन परमाणु भी पाए जाते हैं। C60 सर्वाधिक स्थायी फुलरीन है जिसे बकमिन्सटर फुलरीन भी कहते है। C60 विद्युत का कुचालक होता है एवं इसमें कार्बन-कार्बन बंध की लम्बाई 1.40 A<sup>0</sup> होती है। C60 की संरचना में 32 फलक होते हैं जिसमें 20 फलक षट्कोणीय तथा 12 फलकपंचकोणीय होते हैं। इसकी संरचना फुटबॉल के समान होती है। अतः इसे '''‘बकीबॉल’''' भी कहा जाता है। फुलरीन कार्बन का शुद्धतम रूप है, क्योकी फुलरीन में किसी प्रकार का बंध नहीं होता है। इसकी आकृति पिंजरेनुमा होती है। C60 अणु की आकृति सॉकर बॉल के समान होती है। इसे बकमिन्स्टर फुलरीन कहते हैं। इसमें दो प्रकार के वलय होते हैं। बीस छः सदस्यीय वलय तथा बारह पांच सदस्यीय वलय होते हैं, सभी कार्बन परमाणु समान होते हैं तथा sp<sup>2</sup> संकरित होते हैं। | ||
* फुलरीन फुटबाल की तरह संरचना वाला योगिक है। | * फुलरीन फुटबाल की तरह संरचना वाला योगिक है। |
Revision as of 12:30, 27 September 2023
कार्बन, सिलिकन, जर्मेनियम, टिन, लेड तथा फ्लेरोवियम समूह 14 के तत्व है। कार्बन प्रकृति में पाया जाना वाला अतिबाहुल्य तत्व है। यह प्रकृति में स्वतंत्र एवं संयुक्त अवस्था में बहुतायत में पाया जाने वाला तत्व है। यह प्रकृति में कोयला, ग्रेफाइट तथा हीरा में मिलता है, जबकि संयुक्त अवस्था में यह धातु कार्बोनेट, हाइड्रोकार्बन तथा वायु में यह कार्बनडाइ ऑक्साइड गैस के रूप में मिलता है।
कार्बन अपने दो रूपों में पाया जाता है:
- क्रिस्टलीय रूप
- अक्रिस्टलीय रूप
क्रिस्टलीय रूप
हीरा, ग्रेफाइट और फुलरीन कार्बन के दो प्रमुख क्रिस्टलीय रूप है।
अक्रिस्टलीय रूप
कोल, कोक, काष्ठ, चारकोल, जंतु चारकोल, काजल, गैस कार्बन अक्रिस्टलीय रूप है।
फुलरीन
अक्रिय गैसों जैसे हीलियम, आर्गन आदि की उपस्थित में जब ग्रेफाइट को विधुत आर्क में गर्म करते हैं, तब फुलरीन का निर्माण होता है।
फुलरीन की संरचना एक फुटबाल की तरह होती है। अमेरिका के प्रसिद्ध वास्तुकार बकमिन्सटर फुलर के नाम पर इसका नाम फुलरीन रखा गया। फुलरीन के अणु में 60, 70 या अधिक कार्बन परमाणु भी पाए जाते हैं। C60 सर्वाधिक स्थायी फुलरीन है जिसे बकमिन्सटर फुलरीन भी कहते है। C60 विद्युत का कुचालक होता है एवं इसमें कार्बन-कार्बन बंध की लम्बाई 1.40 A0 होती है। C60 की संरचना में 32 फलक होते हैं जिसमें 20 फलक षट्कोणीय तथा 12 फलकपंचकोणीय होते हैं। इसकी संरचना फुटबॉल के समान होती है। अतः इसे ‘बकीबॉल’ भी कहा जाता है। फुलरीन कार्बन का शुद्धतम रूप है, क्योकी फुलरीन में किसी प्रकार का बंध नहीं होता है। इसकी आकृति पिंजरेनुमा होती है। C60 अणु की आकृति सॉकर बॉल के समान होती है। इसे बकमिन्स्टर फुलरीन कहते हैं। इसमें दो प्रकार के वलय होते हैं। बीस छः सदस्यीय वलय तथा बारह पांच सदस्यीय वलय होते हैं, सभी कार्बन परमाणु समान होते हैं तथा sp2 संकरित होते हैं।
- फुलरीन फुटबाल की तरह संरचना वाला योगिक है।
- अमेरिका के प्रसिद्ध वास्तुकार बकमिन्सटर फुलर के नाम पर इसका नाम फुलरीन रखा गया।
- C60 सर्वाधिक स्थायी फुलरीन है जिसे बकमिन्सटर फुलरीन भी कहते है।
- फुलरीन गोल गुम्बद के समान लगते हैं।
फुलरीन के प्रमुख उपयोग
- अतिचालक, अर्द्धचालक, स्नेहक, उत्प्रेरक, विद्युत तार के निर्माण में।
- एड्स की रोकथाम में सहायक।
- प्राकृतिक गैस के शुद्धिकरण में
- उच्च ताप पर अतिचालक होने के कारण तकनीकी रूप से यह कार्बन का महत्त्वपूर्ण अपररूप है।