संघ आर्थोपोडा: Difference between revisions

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यह जन्तु जगत का सबसे बड़ा फ़ाइलम है जिसमें कीड़े शामिल हैं। सभी नामित प्रजातियों में से दो-तिहाई से अधिक पृथ्वी पर आर्थ्रोपोड की प्रजातियां हैं।  इस फ़ाइलम में कई बड़े वर्ग सम्मिलित हैं और इसमें वर्ग इंसेक्टा, जन्तु जगत के एक बड़े हिस्से का प्रतिनिधित्व करता है। वे हर निवास स्थान में जीवित रहने की क्षमता रखते हैं।
यह जन्तु जगत का सबसे बड़ा फ़ाइलम है जिसमें कीड़े शामिल हैं। सभी नामित प्रजातियों में से दो-तिहाई से अधिक पृथ्वी पर आर्थ्रोपोड की प्रजातियां हैं।  इस फ़ाइलम में कई बड़े वर्ग सम्मिलित हैं और इसमें वर्ग इंसेक्टा, जन्तु जगत के एक बड़े हिस्से का प्रतिनिधित्व करता है। वे हर निवास स्थान में जीवित रहने की क्षमता रखते हैं।


आर्थ्रोपोड जलीय, स्थलीय या परजीवी भी हो सकते हैं। उनके पास संयुक्त उपांग और एक काईटिनस बहिःकंकाल होता है। आइए हम आर्थोपोडा की कुछ महत्वपूर्ण विशेषताओं के बारे में चर्चा करें।
आर्थ्रोपोड जलीय, स्थलीय या परजीवी भी हो सकते हैं। उनके पास संयुक्त उपांग और एक काईटिनस बहिःकंकाल होता है। इन जीवों में संयुक्त उपांग होते हैं। जिस कारण इनका नाम आर्थोपोडा रखा गया है- आर्थ्रोस-जोड़, पोडा-उपांग। आइए हम आर्थोपोडा की कुछ महत्वपूर्ण विशेषताओं के बारे में चर्चा करें।


== वर्गीकरण ==
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== विशेषताएँ ==
== विशेषताएँ ==
* जीवो का शरीर ट्रिपोब्लास्टिक, खंडित और द्विपक्षीय रूप से सममित है।
* ये जीव शरीर संगठन में अंग प्रणाली स्तर का प्रदर्शन करते हैं।
* जीवो का शरीर, सिर, वक्ष और पेट में विभाजित होता है।
* उनके शरीर में संयुक्त उपांग होते हैं जो गति में सहायता करते हैं।
* प्रगुहा, रक्त से भरी हुई होती है।
* इन जीवों में खुला परिसंचरण तंत्र होता है।
* इन जीवों के सिर में संयुक्त नेत्र की एक जोड़ी होती है।
* इन जीवों में काईटिनस बहिःकंकाल होता है।
* स्थलीय आर्थ्रोपोड माल्पीघियन नलिकाओं के माध्यम से उत्सर्जन करते हैं जबकि जलीय हरे रंग की ग्रंथियों या कोक्सल ग्रंथियों के माध्यम से उत्सर्जन करते हैं।
* ये जीव एकलिंगी होते हैं।
* निषेचन या तो बाहरी या आंतरिक होता है।
* इन जीवों में विकसित पाचन तंत्र होता है।
* ये जीव सामान्य शरीर की सतह या श्वासनली के माध्यम से श्वसन करते हैं।
* उनमें बाल, एंटीना, सरल और संयुक्त नेत्र और श्रवण अंग जैसे संवेदी अंग होते हैं।
* श्वसन संबंधी अंग गिल्स (गलफड़े), बुक गिल्स, बुक लंग्स या श्वासनली प्रणालीहोते हैं।


== उदाहरण ==
== उदाहरण ==

Revision as of 00:04, 12 October 2023

जब आप अपने चारों ओर देखेंगे तो आपको अलग-अलग जानवरों के अलग-अलग संरचनाएं और रूप दिखाई देंगे। हर जानवर कई रूपों में दूसरे से भिन्न होता है। एक भी पशु प्रजाति अन्य प्रजातियों के समान नहीं है। जंतु जगत में कई फाइलम हैं जिन्हें कुछ अंतरों के आधार पर वर्गीकृत किया गया है। इस अध्याय में हम फाइलम आर्थोपोडा के विषय में चर्चा करेंगे।

परिचय

यह जन्तु जगत का सबसे बड़ा फ़ाइलम है जिसमें कीड़े शामिल हैं। सभी नामित प्रजातियों में से दो-तिहाई से अधिक पृथ्वी पर आर्थ्रोपोड की प्रजातियां हैं। इस फ़ाइलम में कई बड़े वर्ग सम्मिलित हैं और इसमें वर्ग इंसेक्टा, जन्तु जगत के एक बड़े हिस्से का प्रतिनिधित्व करता है। वे हर निवास स्थान में जीवित रहने की क्षमता रखते हैं।

आर्थ्रोपोड जलीय, स्थलीय या परजीवी भी हो सकते हैं। उनके पास संयुक्त उपांग और एक काईटिनस बहिःकंकाल होता है। इन जीवों में संयुक्त उपांग होते हैं। जिस कारण इनका नाम आर्थोपोडा रखा गया है- आर्थ्रोस-जोड़, पोडा-उपांग। आइए हम आर्थोपोडा की कुछ महत्वपूर्ण विशेषताओं के बारे में चर्चा करें।

वर्गीकरण

आइये इसे एपिस इंडिका के उदाहरण से समझते है-

  • जगत- जन्तु (एनिमेलिया)
  • उपजगत- यूमेटाज़ोआ
  • संघ- आर्थोपोडा
  • जाति- एपिस
  • प्रजाति- इंडिका

विशेषताएँ

  • जीवो का शरीर ट्रिपोब्लास्टिक, खंडित और द्विपक्षीय रूप से सममित है।
  • ये जीव शरीर संगठन में अंग प्रणाली स्तर का प्रदर्शन करते हैं।
  • जीवो का शरीर, सिर, वक्ष और पेट में विभाजित होता है।
  • उनके शरीर में संयुक्त उपांग होते हैं जो गति में सहायता करते हैं।
  • प्रगुहा, रक्त से भरी हुई होती है।
  • इन जीवों में खुला परिसंचरण तंत्र होता है।
  • इन जीवों के सिर में संयुक्त नेत्र की एक जोड़ी होती है।
  • इन जीवों में काईटिनस बहिःकंकाल होता है।
  • स्थलीय आर्थ्रोपोड माल्पीघियन नलिकाओं के माध्यम से उत्सर्जन करते हैं जबकि जलीय हरे रंग की ग्रंथियों या कोक्सल ग्रंथियों के माध्यम से उत्सर्जन करते हैं।
  • ये जीव एकलिंगी होते हैं।
  • निषेचन या तो बाहरी या आंतरिक होता है।
  • इन जीवों में विकसित पाचन तंत्र होता है।
  • ये जीव सामान्य शरीर की सतह या श्वासनली के माध्यम से श्वसन करते हैं।
  • उनमें बाल, एंटीना, सरल और संयुक्त नेत्र और श्रवण अंग जैसे संवेदी अंग होते हैं।
  • श्वसन संबंधी अंग गिल्स (गलफड़े), बुक गिल्स, बुक लंग्स या श्वासनली प्रणालीहोते हैं।

उदाहरण

  • आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण कीड़े – एपिस इंडिका (मधुमक्खी), बॉम्बिक्स मोरी (रेशम कीट), लैसिफर (लाख कीट)
  • वैक्टर - एनोफिलीज, क्यूलेक्स और एडीज (सभी मच्छर की प्रजातियां हैं।)
  • यूथचर (समूह में रहने वाले) कीट - लोकस्टा (टिड्डी)
  • जीवित जीवाश्म - लिमुलस (किंग क्रैब)