पादप जगत: Difference between revisions

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सभ्यता की शुरुआत के बाद से ही, जीवित प्राणियों के वर्गीकरण करने के कई प्रयास हुए हैं। अरस्तू, वैज्ञानिक आधार पर वर्गीकरण का प्रयास करने वाले सबसे पहले व्यक्ति थे। उन्होंने सरल रूपात्मक पात्रों का प्रयोग करके जीवों को पौधों और जंतुओं में विभाजित किया। पौधों को पेड़ों, झाड़ियों और जड़ी-बूटियों में वर्गीकृत किया। जंतुओं को दो समूहों में वर्गीकृत किया गया, वे जिनका रक्त लाल था और जिनका रक्त लाल नहीं था।
लिनिअस के समय में वर्गीकरण की दो साम्राज्य प्रणाली थी- प्लांटे (पादप जगत) और एनिमेलिया (जंतु जगत) जिसमें क्रमशः पौधे और जानवर थे।
आर.एच. व्हिटेकर ने पांच जगत वर्गीकरण का प्रस्ताव रखा। उनके द्वारा परिभाषित जगत को मोनेरा जगत, [[प्रोटिस्टा जगत]], कवक जगत, पादप जगत और [[जंतु जगत]] नाम दिया गया। उनके द्वारा प्रयुक्त वर्गीकरण के मुख्य मानदंडों में कोशिका संरचना, शारीरिक संगठन, पोषण का तरीका, प्रजनन और  फ़ाइलोजेनेटिक संबंध सम्मिलित हैं। आइए हम पादप जगत के बारे में विस्तार से देखें।


== परिभाषा ==
== परिभाषा ==
पादप जगत, या प्लांटे जगत, प्राकृतिक पौधों का वह समूह है जिसमें सभी जीवित और विलुप्त पौधे सम्मिलित हैं। पौधों में कोशिका झिल्ली के साथ एक कठोर सेल्युलोसिक कोशिका भित्ति उपस्थित होती है। पादप जगत में सभी पौधे बहुकोशिकीय और यूकेरियोट्स होते हैं। पौधों में क्लोरोफिल होता है, ये हरे रंग का रंगद्रव्य जो प्रकाश संश्लेषण के लिए आवश्यक है।


== वर्गीकरण ==
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== विशेषताएं ==
== विशेषताएं ==
पादप जगत की निम्नलिखित विशेषताएं हैं-
पादप जगत की निम्नलिखित विशेषताएं हैं-
* पौधे बहुकोशिकीय एवम यूकेरियोट्स होते हैं।
* पौधे गतिहीन होते हैं।
* पौधे स्वपोषी होते हैं अर्थात वे अपना भोजन स्वयं बनाते हैं।
* पौधों में वानस्पतिक प्रसार, लैंगिक जनन एवम अलैंगिक जनन दर्शाए जाते है।
* पौधों की कोशिका में बाहरी कोशिका भित्ति और एक बड़ी केंद्रीय रिक्तिका उपस्थित होती है। यह पादप कोशिका का विशिष्ट लक्षण है क्योंकि यह केवल उन्हीं में पाया जाता है, जंतु कोशिकाओं में नहीं।
* पौधों में प्लास्टिड्स में उपस्थित क्लोरोफिल नामक प्रकाश संश्लेषक वर्णक होते हैं। उनकी भूमिका प्रकाश संश्लेषण के दौरान सूर्य के प्रकाश को ग्रहण करना है।


== महत्त्व ==
== महत्त्व ==
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== उदाहरण ==
== उदाहरण ==
शैवाल (थैलोफाइटा) के उदाहरण -  
शैवाल (थैलोफाइटा) के उदाहरण - '''''यूलोथ्रिक्स, क्लोरेला, फ़्यूकस, पोर्फ़ायरा'''''


ब्रायोफाइटा के उदाहरण -
ब्रायोफाइटा के उदाहरण - '''''मार्चांशिया, रिकिया, स्फाग्नम, फ्यूनेरिया'''''


टेरिडोफाइटा के उदाहरण -
टेरिडोफाइटा के उदाहरण - '''''फ़र्न, साल्विनिया, एक्वीसीटम, सेलाजिनेला'''''


अनावृतबीजी पादप के उदाहरण -
अनावृतबीजी पादप के उदाहरण - '''''साइकस, पाइनस, जिन्कगो'''''


आवृतबीजी पादप के उदाहरण -
आवृतबीजी पादप के उदाहरण - '''''इंडिका मैंगीफेरा, हिबिस्कस, ट्रिटिकम एस्टीवम''''', ऑर्किड

Revision as of 21:46, 26 October 2023

सभ्यता की शुरुआत के बाद से ही, जीवित प्राणियों के वर्गीकरण करने के कई प्रयास हुए हैं। अरस्तू, वैज्ञानिक आधार पर वर्गीकरण का प्रयास करने वाले सबसे पहले व्यक्ति थे। उन्होंने सरल रूपात्मक पात्रों का प्रयोग करके जीवों को पौधों और जंतुओं में विभाजित किया। पौधों को पेड़ों, झाड़ियों और जड़ी-बूटियों में वर्गीकृत किया। जंतुओं को दो समूहों में वर्गीकृत किया गया, वे जिनका रक्त लाल था और जिनका रक्त लाल नहीं था।

लिनिअस के समय में वर्गीकरण की दो साम्राज्य प्रणाली थी- प्लांटे (पादप जगत) और एनिमेलिया (जंतु जगत) जिसमें क्रमशः पौधे और जानवर थे।

आर.एच. व्हिटेकर ने पांच जगत वर्गीकरण का प्रस्ताव रखा। उनके द्वारा परिभाषित जगत को मोनेरा जगत, प्रोटिस्टा जगत, कवक जगत, पादप जगत और जंतु जगत नाम दिया गया। उनके द्वारा प्रयुक्त वर्गीकरण के मुख्य मानदंडों में कोशिका संरचना, शारीरिक संगठन, पोषण का तरीका, प्रजनन और  फ़ाइलोजेनेटिक संबंध सम्मिलित हैं। आइए हम पादप जगत के बारे में विस्तार से देखें।

परिभाषा

पादप जगत, या प्लांटे जगत, प्राकृतिक पौधों का वह समूह है जिसमें सभी जीवित और विलुप्त पौधे सम्मिलित हैं। पौधों में कोशिका झिल्ली के साथ एक कठोर सेल्युलोसिक कोशिका भित्ति उपस्थित होती है। पादप जगत में सभी पौधे बहुकोशिकीय और यूकेरियोट्स होते हैं। पौधों में क्लोरोफिल होता है, ये हरे रंग का रंगद्रव्य जो प्रकाश संश्लेषण के लिए आवश्यक है।

वर्गीकरण

पादप जगत को 5 समूहों में वर्गीकृत किया गया है-

शैवाल (थैलोफाइटा)

ब्रायोफाइटा

टेरिडोफाइटा

अनावृतबीजी पादप

आवृतबीजी पादप

विशेषताएं

पादप जगत की निम्नलिखित विशेषताएं हैं-

  • पौधे बहुकोशिकीय एवम यूकेरियोट्स होते हैं।
  • पौधे गतिहीन होते हैं।
  • पौधे स्वपोषी होते हैं अर्थात वे अपना भोजन स्वयं बनाते हैं।
  • पौधों में वानस्पतिक प्रसार, लैंगिक जनन एवम अलैंगिक जनन दर्शाए जाते है।
  • पौधों की कोशिका में बाहरी कोशिका भित्ति और एक बड़ी केंद्रीय रिक्तिका उपस्थित होती है। यह पादप कोशिका का विशिष्ट लक्षण है क्योंकि यह केवल उन्हीं में पाया जाता है, जंतु कोशिकाओं में नहीं।
  • पौधों में प्लास्टिड्स में उपस्थित क्लोरोफिल नामक प्रकाश संश्लेषक वर्णक होते हैं। उनकी भूमिका प्रकाश संश्लेषण के दौरान सूर्य के प्रकाश को ग्रहण करना है।

महत्त्व

पादप जगत के निम्नलिखित महत्व हैं-

उदाहरण

शैवाल (थैलोफाइटा) के उदाहरण - यूलोथ्रिक्स, क्लोरेला, फ़्यूकस, पोर्फ़ायरा

ब्रायोफाइटा के उदाहरण - मार्चांशिया, रिकिया, स्फाग्नम, फ्यूनेरिया

टेरिडोफाइटा के उदाहरण - फ़र्न, साल्विनिया, एक्वीसीटम, सेलाजिनेला

अनावृतबीजी पादप के उदाहरण - साइकस, पाइनस, जिन्कगो

आवृतबीजी पादप के उदाहरण - इंडिका मैंगीफेरा, हिबिस्कस, ट्रिटिकम एस्टीवम, ऑर्किड