ताप नाभकीय संलयन: Difference between revisions
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<math>E</math> स्त्रावित ऊर्जा है। | |||
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<math>c</math> प्रकाश की गति (<math>3\times10^8</math> मीटर प्रति सेकंड) है। | |||
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Revision as of 11:45, 29 October 2023
Thermo Nuclear fusion
थर्मोन्यूक्लियर संलयन वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा हल्के परमाणु नाभिक अत्यधिक उच्च तापमान और दबाव पर एक साथ जुड़ते हैं, जिससे महत्वपूर्ण मात्रा में ऊर्जा निकलती है। यह प्रक्रिया ही सूर्य और तारों को शक्ति प्रदान करती है।
ताप नाभकीय संलयन : मूल आवधारणा
काम के सिद्धांत
थर्मोन्यूक्लियर संलयन में, दो हल्के परमाणु नाभिक (जैसे हाइड्रोजन के समस्थानिक - ड्यूटेरियम और ट्रिटियम) को अत्यधिक उच्च तापमान और दबाव में एक साथ लाया जाता है।
उच्च तापमान के कारण नाभिक उच्च गति से चलते हैं, जिससे उन्हें सकारात्मक रूप से चार्ज किए गए नाभिक के बीच इलेक्ट्रोस्टैटिक प्रतिकर्षण पर काबू पाने की अनुमति मिलती है।
संलयन प्रतिक्रिया
जब दो नाभिक टकराते हैं और प्रतिकर्षण पर काबू पाते हैं, तो वे एक साथ मिलकर एक भारी नाभिक बनाते हैं।
इस संलयन प्रक्रिया से भारी मात्रा में ऊर्जा निकलती है। यह ऊर्जा का विमोचन ही है जो सूर्य और अन्य तारों को शक्ति प्रदान करता है।
गणितीय समीकरण
जहाँ:
स्त्रावित ऊर्जा है।
द्रव्यमान दोष है, जो प्रारंभिक कणों और संलयन के बाद बने अंतिम नाभिक के बीच द्रव्यमान में अंतर है।
प्रकाश की गति ( मीटर प्रति सेकंड) है।
आरेख:
थर्मोन्यूक्लियर संलयन की अवधारणा को दर्शाने वाला एक सरलीकृत आरेख इस तरह दिख सकता है:
संलयन प्रतिक्रिया में जारी ऊर्जा को आइंस्टीन के द्रव्यमान-ऊर्जा तुल्यता समीकरण का उपयोग करके निर्धारित किया जा सकता है: