गति की दर का मापन: Difference between revisions

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======    शून्य त्वरण ======
======    शून्य त्वरण ======
यदि किसी वस्तु का वेग स्थिर रहता है (यह न तो शीघ्रता पकड़ रहा है और न ही धीमा हो रहा है), तो इसका त्वरण शून्य है।
यदि किसी वस्तु का वेग स्थिर रहता है (यह न तो शीघ्रता पकड़ रहा है और न ही धीमा हो रहा है), तो इसका त्वरण शून्य है। यहाँ यह ध्यान में रखना आवयशक है की वेग के मान में बदलाव के तो कारक होते हैं , या तो उस वस्तु के वेग का परिमाण बदल रहा है अथवा उस वस्तु के चाल की  दिशा बदल रही है अथवा दोनों ही मापदंडों में बदलाव हो रहा है । ऐसे में  वस्तु की चाल में त्वरण स्थापित होने के लीए,यह भी संभव है की वेग में कोई बदलाव न हो रहा हो,बल्कि सिर्फ चाल की अवधि में, उस वस्तु का दिशा-मात्र में ही ,परिवर्तन हो रहा हो। 


===== त्वरण की दिशा =====
===== त्वरण की दिशा =====

Latest revision as of 14:07, 23 November 2023

Measuring the rate of motion

गति में परिवर्तन की दर को त्वरण की अवधारणा द्वारा वर्णित किया गया है। त्वरण मापता है कि किसी वस्तु का वेग समय के साथ कितनी शीघ्रता से बदलता है,फिर चाहे वह और अधिक शीघ्र हो रहा हो, अथवा धीमा हो रहा हो, या दिशा बदल रहा हो।

मुख्य बिंदु

   गणितीय समीकरण

त्वरण का वर्णन करने वाला गणितीय समीकरण है

तात्क्षणिक त्वरण हरी रेखा का ढलान है।
  •        वस्तु के त्वरण को दर्शाता है (मीटर प्रति सेकंड वर्ग, में)।
  •        वेग में परिवर्तन (मीटर प्रति सेकंड, में) का प्रतिनिधित्व करता है।
  •        उस समय अंतराल का प्रतिनिधित्व करता है जिस पर वेग में परिवर्तन होता है (सेकंड, में)।
   त्वरण इकाइयाँ

अंतर्राष्ट्रीय इकाइयों की प्रणाली (SI) में, त्वरण को मीटर प्रति सेकंड वर्ग () में मापा जाता है।

त्वरण के प्रकार
   सकारात्मक त्वरण
वेग बनाम समय रेखांकन का उदाहरण, वेग v, विस्थापन s, और त्वरण a के बीच संबंध को दर्शाते हुए ।

जब किसी वस्तु का वेग बढ़ता है, तो वह सकारात्मक त्वरण का अनुभव करता है। इसका तात्पर्य है कि वह वस्तु जिसमे वेग है नीट प्रति शीघ्रता से गतिमान हो रही है ।

   नकारात्मक त्वरण (मंद-त्वरण )

जब किसी वस्तु का वेग कम हो जाता है, तो यह नकारात्मक त्वरण का अनुभव करता है, जिसे प्रायः मंद-त्वरण कहा जाता है। इसका तात्पर्य यह है की वस्तु का वेग धीमा हो रहा है।

   शून्य त्वरण

यदि किसी वस्तु का वेग स्थिर रहता है (यह न तो शीघ्रता पकड़ रहा है और न ही धीमा हो रहा है), तो इसका त्वरण शून्य है। यहाँ यह ध्यान में रखना आवयशक है की वेग के मान में बदलाव के तो कारक होते हैं , या तो उस वस्तु के वेग का परिमाण बदल रहा है अथवा उस वस्तु के चाल की दिशा बदल रही है अथवा दोनों ही मापदंडों में बदलाव हो रहा है । ऐसे में वस्तु की चाल में त्वरण स्थापित होने के लीए,यह भी संभव है की वेग में कोई बदलाव न हो रहा हो,बल्कि सिर्फ चाल की अवधि में, उस वस्तु का दिशा-मात्र में ही ,परिवर्तन हो रहा हो।

त्वरण की दिशा

वेग की तरह त्वरण में भी परिमाण और दिशा दोनों होते हैं। यह वेग के समान दिशा में (शीघ्रता बढ़ाने के लिए) या विपरीत दिशा में (धीमा करने के लिए) हो सकता है।

संक्षेप में

भौतिकी में त्वरण को समझना महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे यह समझने में मदद मिलती है कि वस्तुएं अपनी गति कैसे बदलती हैं। या तो उनका वेग, समय के सापेक्ष और शीघ्र होता जा रहा है अथवा उसके वेग में मंदता आ रही है या उसकी दिशा बदल रही है। यह यांत्रिकी के अध्ययन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और विज्ञान और इंजीनियरिंग के विभिन्न क्षेत्रों में आवश्यक है।