ढलवाँ लोहा: Difference between revisions
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ढलवां लोहा (कास्ट आयरन) सामान्यतः धूसर रंग का होता है यह लौह अयस्कों का मिश्रण भी है, जो एक गलनक्रांतिक तरीके से ठोस बन जाता है। किसी भी धातु की खंडित सतह को देखकर उसके मिश्र धातु होने का पता लगाया जा सकता है। 'कच्चा लोहा' अर्थात ढलवां लोहा कार्बन, लोहा, सिलिकन, फॉस्फोरस और गंधक की मिश्रधातु है। यह एक माध्यमिक उत्पाद है जिससे अन्य उत्पाद बनाये जाते हैं। यह एक 'कच्चा माल' की तरह कार्य करता है इसलिए इसे '''''<nowiki/>'पिग आइरन'''''' भी कहा जाता है। | |||
== ढलवां लोहा के प्रकार == | |||
* सफेद ढलवां लोहा | |||
* धूसर ढलवां लोहा | |||
=== सफेद ढलवां लोहा === | |||
सफेद ढलवां लोहे का नाम इसकी खंडित सफ़ेद सतह के आधार पर रखा गया है क्योंकि इसमें कार्बाइड सम्बन्धी अशुद्धियां पाई जाती हैं जिसकी वजह से इसमें सीधी दरार पड़ती है। | |||
=== धूसर ढलवां लोहा === | |||
धूसर ढलवां लोहा का नाम इसकी खंडित धूसर सतह के आधार पर किया गया है, इसके खंडित होने का कारण यह है कि ग्रेफाइट की परतें पदार्थ के टूटने के दौरान पड़ने वाली दरार को विक्षेपित कर देती हैं जिससे अनगिनत नई दरारें पड़ने लगती हैं। | |||
=== ढलवां लोहा और पिटवा लोहा में अंतर === | === ढलवां लोहा और पिटवा लोहा में अंतर === | ||
वात्याभट्टी से प्राप्त लोहे को साँचों में डालकर ठंडा कराया जाता | वात्याभट्टी से प्राप्त जिस लोहे को साँचों में डालकर ठंडा कराया जाता है वह लोहा ढलवाँ लोहा कहलाता है। ढलवाँ लोहा में कार्बन लगभग 3% तक होता है। इसका गलनांक 1423K से 1523K के मध्य होता है। पिटवाँ लोहा लाहे का शुद्ध रूप होता है जबकि ढलवा लोहा लोहे का अशुद्ध रूप होता है। पिटवाँ लोहा में कार्बन की प्रतिशतता 0.2 से 0.5% तक होती है। पिटवाँ लोहा का गलनांक 1822K होता है। पिटवा लोहा प्राप्त करने के लिए ढलवा लोहे को हेमेटाइट के साथ परावर्तनी भट्टी में गर्म किया जाता है। कार्बन CO के रूप में तथा P, S, Si आदि वाष्पशील ऑक्साइडों के रूप में निकल जाती है। | ||
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Revision as of 11:30, 2 December 2023
ढलवां लोहा (कास्ट आयरन) सामान्यतः धूसर रंग का होता है यह लौह अयस्कों का मिश्रण भी है, जो एक गलनक्रांतिक तरीके से ठोस बन जाता है। किसी भी धातु की खंडित सतह को देखकर उसके मिश्र धातु होने का पता लगाया जा सकता है। 'कच्चा लोहा' अर्थात ढलवां लोहा कार्बन, लोहा, सिलिकन, फॉस्फोरस और गंधक की मिश्रधातु है। यह एक माध्यमिक उत्पाद है जिससे अन्य उत्पाद बनाये जाते हैं। यह एक 'कच्चा माल' की तरह कार्य करता है इसलिए इसे 'पिग आइरन' भी कहा जाता है।
ढलवां लोहा के प्रकार
- सफेद ढलवां लोहा
- धूसर ढलवां लोहा
सफेद ढलवां लोहा
सफेद ढलवां लोहे का नाम इसकी खंडित सफ़ेद सतह के आधार पर रखा गया है क्योंकि इसमें कार्बाइड सम्बन्धी अशुद्धियां पाई जाती हैं जिसकी वजह से इसमें सीधी दरार पड़ती है।
धूसर ढलवां लोहा
धूसर ढलवां लोहा का नाम इसकी खंडित धूसर सतह के आधार पर किया गया है, इसके खंडित होने का कारण यह है कि ग्रेफाइट की परतें पदार्थ के टूटने के दौरान पड़ने वाली दरार को विक्षेपित कर देती हैं जिससे अनगिनत नई दरारें पड़ने लगती हैं।
ढलवां लोहा और पिटवा लोहा में अंतर
वात्याभट्टी से प्राप्त जिस लोहे को साँचों में डालकर ठंडा कराया जाता है वह लोहा ढलवाँ लोहा कहलाता है। ढलवाँ लोहा में कार्बन लगभग 3% तक होता है। इसका गलनांक 1423K से 1523K के मध्य होता है। पिटवाँ लोहा लाहे का शुद्ध रूप होता है जबकि ढलवा लोहा लोहे का अशुद्ध रूप होता है। पिटवाँ लोहा में कार्बन की प्रतिशतता 0.2 से 0.5% तक होती है। पिटवाँ लोहा का गलनांक 1822K होता है। पिटवा लोहा प्राप्त करने के लिए ढलवा लोहे को हेमेटाइट के साथ परावर्तनी भट्टी में गर्म किया जाता है। कार्बन CO के रूप में तथा P, S, Si आदि वाष्पशील ऑक्साइडों के रूप में निकल जाती है।
ढलवां लोहे में उपस्थित कार्बन भी CO में ऑक्सीकृत हो जाता है। जब ढलवां लोहा ठंडा होता है तो लोहे को हथौड़े से पीटा जाता है ताकि बना हुआ धातुमल अलग हो सके। इसीलिए इसे पिटवाँ लोहा कहते हैं।
यहां FePO4 एक धातुमल है।