कच्चा लोहा: Difference between revisions
Listen
m (added Category:Vidyalaya Completed using HotCat) |
|||
Line 1: | Line 1: | ||
[[Category:तत्वों के निष्कर्षण के सिद्धांत एवं प्रक्रम]][[Category:रसायन विज्ञान]][[Category:कक्षा-12]][[Category:अकार्बनिक रसायन]] | [[Category:तत्वों के निष्कर्षण के सिद्धांत एवं प्रक्रम]][[Category:रसायन विज्ञान]][[Category:कक्षा-12]][[Category:अकार्बनिक रसायन]] | ||
[[Category:Vidyalaya Completed]] | |||
लोहे के अयस्क को अधिक कार्बन वाले ईँधन (जैसे कोक के साथ प्रगलित करने पर जो माधयमिक उत्पाद बनता है उसे कच्चा लोहा (Pig iron) कहते हैं। इसमें प्रायः चूने के पत्थर को फ्लक्स के रूप में प्रयोग करते हैं। ईंधन के रूप में चारकोल और एंथ्रासाइट भी प्रयोग किये जा सकते हैं। पिग आयरन लोहा और इस्पात उत्पादन प्रक्रिया में एक मध्यवर्ती उत्पाद है। यह पिघले हुए रूप में लोहा निकालने के लिए, सामान्यतः ब्लास्ट फर्नेस में लौह अयस्क को गलाने से प्राप्त होता है। '''''पिग आयरन''''' में लगभग 95% Fe, 4-4.5%C तथा शेष Si, P, S और Mn की अशुद्धियाँ होती हैं। कच्चे लोहे का उपयोग ढलवाँ लोहा, पिटवाँ लोहा और इस्पात के निर्माण में किया जाता है। | लोहे के अयस्क को अधिक कार्बन वाले ईँधन (जैसे कोक के साथ प्रगलित करने पर जो माधयमिक उत्पाद बनता है उसे कच्चा लोहा (Pig iron) कहते हैं। इसमें प्रायः चूने के पत्थर को फ्लक्स के रूप में प्रयोग करते हैं। ईंधन के रूप में चारकोल और एंथ्रासाइट भी प्रयोग किये जा सकते हैं। पिग आयरन लोहा और इस्पात उत्पादन प्रक्रिया में एक मध्यवर्ती उत्पाद है। यह पिघले हुए रूप में लोहा निकालने के लिए, सामान्यतः ब्लास्ट फर्नेस में लौह अयस्क को गलाने से प्राप्त होता है। '''''पिग आयरन''''' में लगभग 95% Fe, 4-4.5%C तथा शेष Si, P, S और Mn की अशुद्धियाँ होती हैं। कच्चे लोहे का उपयोग ढलवाँ लोहा, पिटवाँ लोहा और इस्पात के निर्माण में किया जाता है। | ||
Revision as of 11:33, 11 December 2023
लोहे के अयस्क को अधिक कार्बन वाले ईँधन (जैसे कोक के साथ प्रगलित करने पर जो माधयमिक उत्पाद बनता है उसे कच्चा लोहा (Pig iron) कहते हैं। इसमें प्रायः चूने के पत्थर को फ्लक्स के रूप में प्रयोग करते हैं। ईंधन के रूप में चारकोल और एंथ्रासाइट भी प्रयोग किये जा सकते हैं। पिग आयरन लोहा और इस्पात उत्पादन प्रक्रिया में एक मध्यवर्ती उत्पाद है। यह पिघले हुए रूप में लोहा निकालने के लिए, सामान्यतः ब्लास्ट फर्नेस में लौह अयस्क को गलाने से प्राप्त होता है। पिग आयरन में लगभग 95% Fe, 4-4.5%C तथा शेष Si, P, S और Mn की अशुद्धियाँ होती हैं। कच्चे लोहे का उपयोग ढलवाँ लोहा, पिटवाँ लोहा और इस्पात के निर्माण में किया जाता है।
पिग आयरन लोहे का अशुद्ध रूप है, जिसमें सल्फर, सिलिकॉन, फॉस्फोरस, मैंगनीज आदि जैसी अशुद्धियों के साथ लगभग 25-5% कार्बन होता है। पिग आयरन यह बहुत कठोर, भंगुर और संक्षारण प्रतिरोधी होता है।
पिग आयरन का स्टील में रूपांतरण:
पिग आयरन को बेसेमर प्रक्रिया द्वारा बेसेमर परिवर्तक और बुनियादी ऑक्सीजन भट्ठी का उपयोग करके स्टील में परिवर्तित किया जाता है। इस प्रक्रिया में लोहे से कार्बन को अलग किया जाता है। यह एक हल्की, अधिक लचीली और जंग प्रतिरोधी धातु का उत्पादन करता है जिसे स्टील कहा जाता है। लोहा इस्पात का मुख्य घटक है।
पिग आयरन के प्रकार
पिग आयरन में तीन मुख्य प्रकार होते हैं:
- बेसिक पिग आयरन
- फाउंड्री पिग आयरन
पिग आयरन का उपयोग
पिग आयरन का उपयोग लौह इस्पात बनाने के लिए कच्चे माल के रूप में किया जाता है और इस सामग्री का अधिकांश भाग आयात किया जाता था।
इस्पात उत्पादन:
पिग आयरन का सबसे महत्वपूर्ण उपयोग इस्पात के उत्पादन में कच्चे माल के रूप में होता है।
ढलवां लोहा उत्पादन:
कच्चा लोहा के उत्पादन में पिग आयरन एक प्रमुख घटक है। कच्चा लोहा उत्कृष्ट ढलाई क्षमता वाला एक मजबूत और भंगुर पदार्थ है, जो इसे पाइप, फिटिंग, कुकवेयर, इंजन ब्लॉक और सजावटी वस्तुओं जैसे व्यापक अनुप्रयोगों के लिए उपयुक्त बनाता है।
मिश्र धातु उत्पादन:
पिग आयरन का उपयोग विभिन्न लौह मिश्र धातुओं के उत्पादन में एक घटक के रूप में किया जा सकता है। पिग आयरन को मैंगनीज, क्रोमियम, निकल और मोलिब्डेनम जैसे अन्य तत्वों के साथ मिश्रित करने से विशिष्ट गुणों वाले मिश्र धातु प्राप्त हो सकते हैं।
कृषि उपकरण:
कुछ कृषि उपकरण, जैसे हल, टिलर और अन्य कृषि मशीनरी, अपनी ताकत और स्थायित्व के कारण पिग आयरन घटकों का उपयोग कर सकते हैं।