साम्य को प्रभावित करने वाले कारक: Difference between revisions

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अभिक्रिया की अवस्था वह अवस्था जिसमे  अग्र और पश्च दोनों अभिक्रियाओं की अभिक्रिया की दर बराबर होती है। रसायनिक साम्यावस्था कहलाती है। अथवा  अभिक्रिया की अवस्था जिसमें अभिकारकों और उत्पादों की सांद्रताएँ स्थिर हो जाती है और समय के साथ परिवर्तित नहीं होती, रसायनिक साम्य की अवस्था कहलाती है। स्थिर ताप पर एक बंद पात्र में जब कोई उत्क्रमणीय अभिक्रिया होती है तो पहले अग्र अभिक्रिया शरू होती है जिसमें उत्पाद बनते हैं और जब उत्पाद बन जाता है तो पश्च अभिक्रिया प्रारम्भ होती है। प्रारम्भ में अग्र अभिक्रिया की दर पश्च अभिक्रिया से अधिक होती है। परन्तु जैसे जैसे समय बीतता जाता है अभिकारक की सांद्रता घटती जाती है और उत्पाद की सांद्रता बढ़ती जाती है और एक अवस्था आती है जब अग्र अभिक्रिया का वेग पश्च अभिक्रिया के वेग के बराबर हो जाता है। अभिक्रिया की यह अवस्था ही साम्यावस्था कहलाती है।
अभिक्रिया की अवस्था वह अवस्था जिसमे अग्र और पश्च दोनों अभिक्रियाओं की अभिक्रिया की दर बराबर होती है। रसायनिक [[साम्यावस्था स्थिरांक K, अभिक्रिया भागफल Q तथा गिब्स ऊर्जा G में सम्बन्ध|साम्यावस्था]] कहलाती है। अथवा अभिक्रिया की अवस्था जिसमें अभिकारकों और उत्पादों की सांद्रताएँ स्थिर हो जाती है और समय के साथ परिवर्तित नहीं होती, रसायनिक साम्य की अवस्था कहलाती है। स्थिर ताप पर एक बंद पात्र में जब कोई उत्क्रमणीय अभिक्रिया होती है तो पहले अग्र अभिक्रिया शरू होती है जिसमें उत्पाद बनते हैं और जब उत्पाद बन जाता है तो पश्च अभिक्रिया प्रारम्भ होती है। प्रारम्भ में अग्र अभिक्रिया की दर पश्च अभिक्रिया से अधिक होती है। परन्तु जैसे जैसे समय बीतता जाता है अभिकारक की सांद्रता घटती जाती है और उत्पाद की सांद्रता बढ़ती जाती है और एक अवस्था आती है जब अग्र अभिक्रिया का वेग पश्च अभिक्रिया के वेग के बराबर हो जाता है। अभिक्रिया की यह अवस्था ही साम्यावस्था कहलाती है।
[[Category:साम्यावस्था]]
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<math>Kc = \frac{[CO][H2]}{[H2O]}</math>
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साम्य निकाय में कार्बन डालने से साम्य अग्र दिशा में विस्थापित हो जाता है अर्थात कार्बन मोनो ऑक्साइड की सांद्रता बढ़ती है और H<sub>2</sub>O की सांद्रता घटती है।
[[साम्यावस्था स्थिरांक K, अभिक्रिया भागफल Q तथा गिब्स ऊर्जा G में सम्बन्ध|साम्य]] निकाय में कार्बन डालने से साम्य अग्र दिशा में विस्थापित हो जाता है अर्थात [[कार्बन मोनोऑक्साइड]] की सांद्रता बढ़ती है और H<sub>2</sub>O की सांद्रता घटती है।


=== दाब में परिवर्तन ===
=== दाब में परिवर्तन ===
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=== तापमान में परिवर्तन ===
=== तापमान में परिवर्तन ===
तापीय वियोजन की अभिक्रिया में ऊष्मा अवशोषित होती है, अतः निकाय का ताप बढ़ाने से साम्य स्थिरांक का मान भी बढ़ता है जिसके परिणाम स्वरुप साम्य अग्र दिशा में विस्थापित हो जाता है।  
तापीय वियोजन की अभिक्रिया में [[ऊष्मा]] अवशोषित होती है, अतः निकाय का ताप बढ़ाने से साम्य स्थिरांक का मान भी बढ़ता है जिसके परिणाम स्वरुप साम्य अग्र दिशा में विस्थापित हो जाता है।  


=== उत्प्रेरक ===
=== उत्प्रेरक ===

Latest revision as of 12:39, 29 May 2024

अभिक्रिया की अवस्था वह अवस्था जिसमे अग्र और पश्च दोनों अभिक्रियाओं की अभिक्रिया की दर बराबर होती है। रसायनिक साम्यावस्था कहलाती है। अथवा अभिक्रिया की अवस्था जिसमें अभिकारकों और उत्पादों की सांद्रताएँ स्थिर हो जाती है और समय के साथ परिवर्तित नहीं होती, रसायनिक साम्य की अवस्था कहलाती है। स्थिर ताप पर एक बंद पात्र में जब कोई उत्क्रमणीय अभिक्रिया होती है तो पहले अग्र अभिक्रिया शरू होती है जिसमें उत्पाद बनते हैं और जब उत्पाद बन जाता है तो पश्च अभिक्रिया प्रारम्भ होती है। प्रारम्भ में अग्र अभिक्रिया की दर पश्च अभिक्रिया से अधिक होती है। परन्तु जैसे जैसे समय बीतता जाता है अभिकारक की सांद्रता घटती जाती है और उत्पाद की सांद्रता बढ़ती जाती है और एक अवस्था आती है जब अग्र अभिक्रिया का वेग पश्च अभिक्रिया के वेग के बराबर हो जाता है। अभिक्रिया की यह अवस्था ही साम्यावस्था कहलाती है।

  • साम्यावस्था में अभिकारकों और उत्पादों की सांद्रताएँ स्थिर हो जाती हैं और वह समय के साथ परिवर्तित नहीं होती हैं।
  • साम्यावस्था में अग्र और पश्च अभिक्रियाओं की दरें बराबर होती हैं।
  • साम्यावस्था गतिक होती है। साम्यावस्था में अग्र और पश्च दोनों अभिक्रिआएं समान दर से होती हैं।
  • उत्प्रेरक की उपस्थित में साम्यावस्था जल्दी आती है।

साम्यावस्था स्थिरांक को प्रभावित करने वाले कारक

साम्यावस्था स्थिरांक को प्रभावित करने वाले कुछ कारक इस प्रकार हैं:

  • किसी उत्पाद या अभिकारक की सांद्रता में परिवर्तन
  • दाब में परिवर्तन
  • तापमान में परिवर्तन
  • अक्रिय गैस
  • उत्प्रेरक

किसी उत्पाद या अभिकारक की सांद्रता में परिवर्तन

साम्य निकाय में कार्बन डालने से साम्य अग्र दिशा में विस्थापित हो जाता है अर्थात कार्बन मोनोऑक्साइड की सांद्रता बढ़ती है और H2O की सांद्रता घटती है।

दाब में परिवर्तन

साम्य पर निकाय के ताप, दाब या अभिकारी पदार्थों की सांद्रताओं में परिवर्तन करने से साम्य की स्थिति बदल जाती है अर्थात साम्य सांद्रताएँ परिवर्तित हो जाती हैं।

तापमान में परिवर्तन

तापीय वियोजन की अभिक्रिया में ऊष्मा अवशोषित होती है, अतः निकाय का ताप बढ़ाने से साम्य स्थिरांक का मान भी बढ़ता है जिसके परिणाम स्वरुप साम्य अग्र दिशा में विस्थापित हो जाता है।

उत्प्रेरक

उत्प्रेरक की उपस्थिति साम्यावस्था को प्रभावित नहीं करती है। उत्प्रेरक की उपस्थित में अग्र और पश्च दोनों अभिक्रियाओं के वेग समान रूप से बढ़ते हैं जिससे साम्यावस्था अधिक शीघ्रता से स्थापित हो जाती है परन्तु साम्य की स्थित और साम्य स्थिरांक के मान में परिवर्तन नहीं होता है।

अक्रिय गैस

स्थिर आयतन पर साम्य निकाय में अक्रिय गैस मिलाने से साम्यावस्था प्रभावित नहीं होती, क्योकी अभिकारकों और उत्पादों की सांद्रताएँ परिवर्तित नहीं होती, क्योकी अभिकारकों और उत्पादों की सांद्रताएँ परिवर्तित नहीं होती है।

अभ्यास प्रश्न

  • साम्य से क्या तात्पर्य है?
  • साम्यावस्था को प्रभावित करने वाले कारक कौन कौन से हैं ?
  • उत्प्रेरक साम्यावस्था को किस प्रकार प्रभावित करता है ?