कार्बोनिक अभिक्रियाएं और उनकी क्रियाविधि: Difference between revisions
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रेडॉक्स अभिक्रिया एक प्रकार की रासायनिक अभिक्रिया है जिसमें भाग लेने वाले दो अभिकारकों के बीच इलेक्ट्रॉनों का स्थानांतरण होता है। इलेक्ट्रॉनों के इस स्थानांतरण को अभिक्रियाशील प्रजातियों की ऑक्सीकरण अवस्थाओं में परिवर्तन को देखकर पहचाना जा सकता है। इलेक्ट्रॉनों की हानि या अभिकारक की ऑक्सीकरण अवस्था में हुई वृद्धि को '''ऑक्सीकरण''' कहा जाता है। किसी अभिकारक की में इलेक्ट्रॉनों की वृद्धि और ऑक्सीकरण अवस्था में हुई कमी को अपचयन कहा जाता है। इलेक्ट्रॉन-स्वीकार करने वाली प्रजातियां जो रेडॉक्स अभिक्रियाओं में अपचयन से गुजरती हैं, ऑक्सीकॉरक कहलाती हैं। एक इलेक्ट्रॉन-दान करने वाली प्रजाति जो इलेक्ट्रॉनों को बाहर निकालने की प्रवृत्ति रखती है, उसे अपचायक के रूप में संदर्भित किया जा सकता है। किसी भी रेडॉक्स अभिक्रिया दो अर्ध-अभिक्रियाओं में विभाजित किया जा सकता है, अर्थात् ऑक्सीकरण अर्ध-अभिक्रिया और अपचयन अर्ध-अभिक्रिया। | [[रेडॉक्स अभिक्रिया|रेडॉक्स]] अभिक्रिया एक प्रकार की रासायनिक अभिक्रिया है जिसमें भाग लेने वाले दो अभिकारकों के बीच इलेक्ट्रॉनों का स्थानांतरण होता है। इलेक्ट्रॉनों के इस स्थानांतरण को अभिक्रियाशील प्रजातियों की [[ऑक्सीकरण-संख्या|ऑक्सीकरण]] अवस्थाओं में परिवर्तन को देखकर पहचाना जा सकता है। इलेक्ट्रॉनों की हानि या अभिकारक की ऑक्सीकरण अवस्था में हुई वृद्धि को '''ऑक्सीकरण''' कहा जाता है। किसी अभिकारक की में इलेक्ट्रॉनों की वृद्धि और ऑक्सीकरण अवस्था में हुई कमी को [[अपचयन]] कहा जाता है। इलेक्ट्रॉन-स्वीकार करने वाली प्रजातियां जो रेडॉक्स अभिक्रियाओं में अपचयन से गुजरती हैं, ऑक्सीकॉरक कहलाती हैं। एक इलेक्ट्रॉन-दान करने वाली प्रजाति जो इलेक्ट्रॉनों को बाहर निकालने की प्रवृत्ति रखती है, उसे अपचायक के रूप में संदर्भित किया जा सकता है। किसी भी रेडॉक्स अभिक्रिया दो अर्ध-अभिक्रियाओं में विभाजित किया जा सकता है, अर्थात् ऑक्सीकरण अर्ध-अभिक्रिया और अपचयन अर्ध-अभिक्रिया। | ||
==रेडॉक्स अभिक्रियाओं के प्रकार== | ==रेडॉक्स अभिक्रियाओं के प्रकार== | ||
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के रूप में एक एकल यौगिक बनाने के लिए दो यौगिकों का योग होता है। वे अभिक्रियाएँ जिनमें दो या दो से अधिक पदार्थ संयोग करके केवल एक पदार्थ बनाते हैं, योगात्मक अभिक्रियाएं कहलाती हैं। योग अभिक्रियाऐं तब होती हैं जब दो या दो से अधिक अभिकारक मिलकर एक उत्पाद बनाते हैं, जिसमे किसी भी अभिकारक की हानि नहीं होती है। | के रूप में एक एकल [[यौगिक]] बनाने के लिए दो यौगिकों का योग होता है। वे अभिक्रियाएँ जिनमें दो या दो से अधिक पदार्थ संयोग करके केवल एक पदार्थ बनाते हैं, योगात्मक अभिक्रियाएं कहलाती हैं। योग अभिक्रियाऐं तब होती हैं जब दो या दो से अधिक अभिकारक मिलकर एक उत्पाद बनाते हैं, जिसमे किसी भी अभिकारक की हानि नहीं होती है। | ||
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== प्रतिस्थापन अभिक्रिया == | == प्रतिस्थापन अभिक्रिया == | ||
एक रासायनिक [[अणु]] के क्रियात्मक समूह को दूसरे समूह द्वारा प्रतिस्थापित करना प्रतिस्थापन अभिक्रिया कहलाता है। इसे वैकल्पिक रूप से एक अभिक्रिया के रूप में वर्णित किया जा सकता है जिसमें एक अणु या एक रसायन के [[परमाणु]] को दूसरे अणु या परमाणु के लिए प्रतिस्थापित किया जाता है। | एक रासायनिक [[अणु]] के क्रियात्मक समूह को दूसरे समूह द्वारा प्रतिस्थापित करना [[प्रतिस्थापन अभिक्रिया]] कहलाता है। इसे वैकल्पिक रूप से एक अभिक्रिया के रूप में वर्णित किया जा सकता है जिसमें एक अणु या एक रसायन के [[परमाणु]] को दूसरे अणु या परमाणु के लिए प्रतिस्थापित किया जाता है। | ||
“प्रतिस्थापन” जैसा की नाम से ही स्पष्ट है किसी वस्तु या [[तत्व]] को उसके स्थान से हटाने को प्रतिस्थापन कहते हैं।" | “प्रतिस्थापन” जैसा की नाम से ही स्पष्ट है किसी वस्तु या [[तत्व]] को उसके स्थान से हटाने को प्रतिस्थापन कहते हैं।" | ||
जब एक अभिक्रिया में एक परमाणु अथवा परमाणुओं का समूह दूसरे परमाणु अथवा परमाणुओं के समूह का स्थान ले लेता है तो उसे | जब एक अभिक्रिया में एक परमाणु अथवा परमाणुओं का समूह दूसरे परमाणु अथवा परमाणुओं के समूह का स्थान ले लेता है तो उसे प्रतिस्थापन अभिक्रिया कहते हैं। इसे प्रतिस्थापन अभिक्रिया भी कहते हैं। इसे दूसरे शब्दों में इस प्रकार परिभाषित किया जा सकता है, वह रासायनिक अभिक्रिया जिसमें अधिक अभिक्रियाशील [[धातु]] अपने से कम अभिक्रियाशील धातु को उस यौगिक के [[विलयन]] से विस्थापित कर देती है उसे प्रतिस्थापन अभिक्रिया कहते हैं। | ||
<chem>Co + CuSO4 -> CoSO 4 + Cu </chem> | <chem>Co + CuSO4 -> CoSO 4 + Cu </chem> | ||
==प्रतिस्थापन अभिक्रिया के उदाहरण== | ==प्रतिस्थापन अभिक्रिया के उदाहरण== | ||
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===एकल प्रतिस्थापन अभिक्रिया=== | ===एकल प्रतिस्थापन अभिक्रिया=== | ||
एक एकल प्रतिस्थापन अभिक्रिया जिसे एकल प्रतिस्थापन अभिक्रिया भी कहा जाता है, एक प्रकार की ऑक्सीकरण-अपचयन रासायनिक अभिक्रिया होती है जब एक [[आयन]] या तत्व एक यौगिक से दूसरे यौगिक में प्रतिस्थापित किया जाता है तो उसे एकल प्रतिस्थापन अभिक्रिया कहते हैं। | एक एकल प्रतिस्थापन अभिक्रिया जिसे एकल प्रतिस्थापन अभिक्रिया भी कहा जाता है, एक प्रकार की ऑक्सीकरण-अपचयन रासायनिक अभिक्रिया होती है जब एक [[आयन]] या [[तत्व]] एक यौगिक से दूसरे यौगिक में प्रतिस्थापित किया जाता है तो उसे एकल प्रतिस्थापन अभिक्रिया कहते हैं। | ||
====उदाहरण - 1==== | ====उदाहरण - 1==== | ||
अभिक्रियाशीलता श्रृंखला में ऊपर वाली धातु अपने से नीचे वाली धातु को उसके विलयन से विस्थापित कर सकती है। अतः इस दी गई अभिक्रिया में Fe ने Cu को उसके ही विलयन(CuSO<sub>4</sub>) से विस्थापित कर दिया है। | अभिक्रियाशीलता श्रृंखला में ऊपर वाली धातु अपने से नीचे वाली धातु को उसके विलयन से विस्थापित कर सकती है। अतः इस दी गई अभिक्रिया में Fe ने Cu को उसके ही विलयन(CuSO<sub>4</sub>) से विस्थापित कर दिया है। | ||
<chem>Fe (s) + CuSO4 (aq)-> FeSO4 (aq) + Cu (s)</chem><chem>Zn (s) + CuSO4 (aq)-> ZnSO4 (aq) + Cu (s)</chem> | <chem>Fe (s) + CuSO4 (aq)-> FeSO4 (aq) + Cu (s)</chem><chem>Zn (s) + CuSO4 (aq)-> ZnSO4 (aq) + Cu (s)</chem> | ||
=====उदाहरण - 2===== | =====उदाहरण - 2===== | ||
जब सोडियम ब्रोमाइड के विलयन में क्लोरीन गैस प्रवाहित की जाती है, तो क्लोरीन ब्रोमीन का स्थान ले लेती है। चूँकि क्लोरीन ब्रोमीन की तुलना में अधिक | जब सोडियम ब्रोमाइड के विलयन में [[क्लोरीन]] गैस प्रवाहित की जाती है, तो क्लोरीन ब्रोमीन का स्थान ले लेती है। चूँकि क्लोरीन ब्रोमीन की तुलना में अधिक अभिक्रियाशील है, यह ब्रोमीन को सोडियम ब्रोमाइड के विलयन से विस्थापित कर देता है, और विलयन नीला हो जाता है,और भूरे रंग की ब्रोमीन गैस बाहर निकल जाती है। यदि आप समीकरण पर ध्यान दें, तो आप देख सकते हैं कि Cl और Br ने अपने मूल स्थानों की अदला-बदली कर ली है। | ||
<chem>Cl2(aq) + 2NaBr(aq) -> 2NaCl(aq) + Br2(aq)</chem> | <chem>Cl2(aq) + 2NaBr(aq) -> 2NaCl(aq) + Br2(aq)</chem> | ||
===द्वि प्रतिस्थापन अभिक्रिया=== | ===द्वि प्रतिस्थापन अभिक्रिया=== | ||
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== वियोजन अभिक्रिया == | == वियोजन अभिक्रिया == | ||
ऐसी रासायनिक अभिक्रिया जिसमें कोई [[पदार्थ]] अभिक्रिया के बाद दो या दो से अधिक [[उत्पाद]] बनाता है, अर्थात् इसमें दो या दो से अधिक सरल यौगिकों का निर्माण होता है जिनके गुण मूल यौगिक के गुणों से बिल्कुल भिन्न होते हैं। उस अभिक्रिया को [[अपघटन अभिक्रियाएँ|अपघटन अभिक्रिया]] कहते हैं। | ऐसी रासायनिक अभिक्रिया जिसमें कोई [[पदार्थ]] अभिक्रिया के बाद दो या दो से अधिक [[उत्पाद]] बनाता है, अर्थात् इसमें दो या दो से अधिक सरल यौगिकों का निर्माण होता है जिनके गुण मूल यौगिक के गुणों से बिल्कुल भिन्न होते हैं। उस अभिक्रिया को [[अपघटन अभिक्रियाएँ|अपघटन अभिक्रिया]] कहते हैं। | ||
===सामान्य | ===सामान्य अभिक्रिया प्रारूप=== | ||
अपघटन | अपघटन अभिक्रिया का सामान्य प्रारूप नीचे दिया गया है। | ||
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जब कैल्सियम कार्बोनेट (चूना पत्थर) को गर्म किया जाता है तो यह वियोजित होकर कैल्सियम ऑक्साइड और कार्बन डाइऑक्साइड का निर्माण करता है। | जब कैल्सियम कार्बोनेट (चूना पत्थर) को गर्म किया जाता है तो यह वियोजित होकर कैल्सियम ऑक्साइड और कार्बन डाइऑक्साइड का निर्माण करता है। | ||
<chem>CaCO3 (s) -> CaO (s) + CO2 (g) </chem> | <chem>CaCO3 (s) -> CaO (s) + CO2 (g) </chem> | ||
इन सभी अभिक्रियाओं में अभिक्रिया मिश्रण को ऊष्मा प्रदान की गई थी। इसका मतलब है कि इन अभिक्रियाओं में ऊष्मा का शोषण हुआ। जिस अभिक्रिया में ऊष्मा का शोषण होता है उसे ऊष्माशोषी अभिक्रिया कहते हैं। | इन सभी अभिक्रियाओं में अभिक्रिया मिश्रण को ऊष्मा प्रदान की गई थी। इसका मतलब है कि इन अभिक्रियाओं में ऊष्मा का शोषण हुआ। जिस अभिक्रिया में ऊष्मा का शोषण होता है उसे [[ऊष्माशोषी अभिक्रिया|ऊष्माशोषी]] अभिक्रिया कहते हैं। | ||
===उदाहरण- 3=== | ===उदाहरण- 3=== | ||
जब सिल्वर क्लोराइड को सूर्य के प्रकाश में रखा जाता है यह वियोजित होकर सिल्वर और क्लोरीन का निर्माण करता है। सिल्वर क्लोराइड एक सफेद पाउडर है जो सूर्य के प्रकाश में ग्रे रंग का हो जाता है। | जब सिल्वर क्लोराइड को सूर्य के प्रकाश में रखा जाता है यह वियोजित होकर सिल्वर और क्लोरीन का निर्माण करता है। सिल्वर क्लोराइड एक सफेद पाउडर है जो सूर्य के प्रकाश में ग्रे रंग का हो जाता है। |
Latest revision as of 12:05, 25 May 2024
रेडॉक्स अभिक्रिया एक प्रकार की रासायनिक अभिक्रिया है जिसमें भाग लेने वाले दो अभिकारकों के बीच इलेक्ट्रॉनों का स्थानांतरण होता है। इलेक्ट्रॉनों के इस स्थानांतरण को अभिक्रियाशील प्रजातियों की ऑक्सीकरण अवस्थाओं में परिवर्तन को देखकर पहचाना जा सकता है। इलेक्ट्रॉनों की हानि या अभिकारक की ऑक्सीकरण अवस्था में हुई वृद्धि को ऑक्सीकरण कहा जाता है। किसी अभिकारक की में इलेक्ट्रॉनों की वृद्धि और ऑक्सीकरण अवस्था में हुई कमी को अपचयन कहा जाता है। इलेक्ट्रॉन-स्वीकार करने वाली प्रजातियां जो रेडॉक्स अभिक्रियाओं में अपचयन से गुजरती हैं, ऑक्सीकॉरक कहलाती हैं। एक इलेक्ट्रॉन-दान करने वाली प्रजाति जो इलेक्ट्रॉनों को बाहर निकालने की प्रवृत्ति रखती है, उसे अपचायक के रूप में संदर्भित किया जा सकता है। किसी भी रेडॉक्स अभिक्रिया दो अर्ध-अभिक्रियाओं में विभाजित किया जा सकता है, अर्थात् ऑक्सीकरण अर्ध-अभिक्रिया और अपचयन अर्ध-अभिक्रिया।
रेडॉक्स अभिक्रियाओं के प्रकार
रेडॉक्स अभिक्रियाएं विभिन्न प्रकार की होती हैं
- अपघटन अभिक्रिया
- योग अभिक्रिया
- प्रतिस्थापन अभिक्रिया
- अनुपातहीन अभिक्रियाएँ
योग अभिक्रिया
ये अभिक्रियाएं अपघटन अभिक्रियाओं के बिलकुल विपरीत होती हैं और इसलिए,
के रूप में एक एकल यौगिक बनाने के लिए दो यौगिकों का योग होता है। वे अभिक्रियाएँ जिनमें दो या दो से अधिक पदार्थ संयोग करके केवल एक पदार्थ बनाते हैं, योगात्मक अभिक्रियाएं कहलाती हैं। योग अभिक्रियाऐं तब होती हैं जब दो या दो से अधिक अभिकारक मिलकर एक उत्पाद बनाते हैं, जिसमे किसी भी अभिकारक की हानि नहीं होती है।
उदाहरण के लिए,
प्रतिस्थापन अभिक्रिया
एक रासायनिक अणु के क्रियात्मक समूह को दूसरे समूह द्वारा प्रतिस्थापित करना प्रतिस्थापन अभिक्रिया कहलाता है। इसे वैकल्पिक रूप से एक अभिक्रिया के रूप में वर्णित किया जा सकता है जिसमें एक अणु या एक रसायन के परमाणु को दूसरे अणु या परमाणु के लिए प्रतिस्थापित किया जाता है।
“प्रतिस्थापन” जैसा की नाम से ही स्पष्ट है किसी वस्तु या तत्व को उसके स्थान से हटाने को प्रतिस्थापन कहते हैं।"
जब एक अभिक्रिया में एक परमाणु अथवा परमाणुओं का समूह दूसरे परमाणु अथवा परमाणुओं के समूह का स्थान ले लेता है तो उसे प्रतिस्थापन अभिक्रिया कहते हैं। इसे प्रतिस्थापन अभिक्रिया भी कहते हैं। इसे दूसरे शब्दों में इस प्रकार परिभाषित किया जा सकता है, वह रासायनिक अभिक्रिया जिसमें अधिक अभिक्रियाशील धातु अपने से कम अभिक्रियाशील धातु को उस यौगिक के विलयन से विस्थापित कर देती है उसे प्रतिस्थापन अभिक्रिया कहते हैं।
प्रतिस्थापन अभिक्रिया के उदाहरण
सूर्य के प्रकाश की उपस्थित में मेथेन का क्लोरीनीकरण करने पर क्लोरीन एक एक करके हाइड्रोजन के परमाणुओं को प्रतिस्थापित करता जायेगा इसको हे प्रतिस्थापन अभिक्रिया कहते हैं।
वे रासायनिक यौगिक जिनमे में एकल बंध होता है वे प्रतिस्थापन अभिक्रियाएं देते हैं।
प्रतिस्थापन अभिक्रिया
प्रतिस्थापन अभिक्रिया दो प्रकार की होती हैं।
- एकल प्रतिस्थापन अभिक्रिया
- द्विप्रतिस्थापन अभिक्रिया
एकल प्रतिस्थापन अभिक्रिया
एक एकल प्रतिस्थापन अभिक्रिया जिसे एकल प्रतिस्थापन अभिक्रिया भी कहा जाता है, एक प्रकार की ऑक्सीकरण-अपचयन रासायनिक अभिक्रिया होती है जब एक आयन या तत्व एक यौगिक से दूसरे यौगिक में प्रतिस्थापित किया जाता है तो उसे एकल प्रतिस्थापन अभिक्रिया कहते हैं।
उदाहरण - 1
अभिक्रियाशीलता श्रृंखला में ऊपर वाली धातु अपने से नीचे वाली धातु को उसके विलयन से विस्थापित कर सकती है। अतः इस दी गई अभिक्रिया में Fe ने Cu को उसके ही विलयन(CuSO4) से विस्थापित कर दिया है।
उदाहरण - 2
जब सोडियम ब्रोमाइड के विलयन में क्लोरीन गैस प्रवाहित की जाती है, तो क्लोरीन ब्रोमीन का स्थान ले लेती है। चूँकि क्लोरीन ब्रोमीन की तुलना में अधिक अभिक्रियाशील है, यह ब्रोमीन को सोडियम ब्रोमाइड के विलयन से विस्थापित कर देता है, और विलयन नीला हो जाता है,और भूरे रंग की ब्रोमीन गैस बाहर निकल जाती है। यदि आप समीकरण पर ध्यान दें, तो आप देख सकते हैं कि Cl और Br ने अपने मूल स्थानों की अदला-बदली कर ली है।
द्वि प्रतिस्थापन अभिक्रिया
द्विप्रतिस्थापन अभिक्रियाएँ तब होती हैं जब दो आयनिक यौगिकों के एक भाग का आदान-प्रदान होता है और दो नए घटक प्राप्त होते हैं। द्विप्रतिस्थापन अभिक्रिया कहलाती हैं। द्विप्रतिस्थापन अभिक्रियाएँ अधिकतर जलीय विलयन में होती हैं जिनमें पदार्थ का वैधुत अपघटन आसानी से हो सके और आयनों का आदान-प्रदान भी आसानी से हो सके।
उदाहरण - 1
Ba+2 तथा SO4-2 की अभिक्रिया से BaSO4 के अवक्षेप का निर्माण होता है। एक अन्य उत्पाद सोडियम क्लोराइड का भी निर्माण होता है जो विलयन में ही रहता है। वे अभिक्रियाएं जिनमे अभिकारकों के बीच आयनों का आदान प्रदान होता है उन्हें द्विप्रतिस्थापन अभिक्रिएं कहते हैं।
वियोजन अभिक्रिया
ऐसी रासायनिक अभिक्रिया जिसमें कोई पदार्थ अभिक्रिया के बाद दो या दो से अधिक उत्पाद बनाता है, अर्थात् इसमें दो या दो से अधिक सरल यौगिकों का निर्माण होता है जिनके गुण मूल यौगिक के गुणों से बिल्कुल भिन्न होते हैं। उस अभिक्रिया को अपघटन अभिक्रिया कहते हैं।
सामान्य अभिक्रिया प्रारूप
अपघटन अभिक्रिया का सामान्य प्रारूप नीचे दिया गया है।
जहाँ AB मूल अणु (अभिकारक) है और A और B उत्पाद अणु हैं।
उदाहरण- 1
जब फेरस सल्फेट को एक परखनली में गर्म किया जाता है, तो फेरस सल्फेट अलग हो जाता है और फेरिक ऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड और सल्फर ट्राइऑक्साइड प्राप्त होता है जोकि एक वियोजन अभिक्रिया का उदाहरण है।
इस अभिक्रिया में अभिकारक वियोजित होकर छोटे छोटे उत्पाद प्रदान करते हैं। यह एक वियोजन अभिक्रिया है। इसमें गर्म करने पर फेरस सलफेट अपना क्रिस्टल जल अलग कर देता है और क्रिस्टल का रंग बदल जाता है। इसके उपरांत यह फेरिक ऑक्साइड(Fe2O3) , सल्फर डाइ ऑक्साइड(SO2) तथा सल्फर ट्राईऑक्साइड (SO3) में वियोजित हो जाता है।
उदाहरण- 2
जब कैल्सियम कार्बोनेट (चूना पत्थर) को गर्म किया जाता है तो यह वियोजित होकर कैल्सियम ऑक्साइड और कार्बन डाइऑक्साइड का निर्माण करता है।
इन सभी अभिक्रियाओं में अभिक्रिया मिश्रण को ऊष्मा प्रदान की गई थी। इसका मतलब है कि इन अभिक्रियाओं में ऊष्मा का शोषण हुआ। जिस अभिक्रिया में ऊष्मा का शोषण होता है उसे ऊष्माशोषी अभिक्रिया कहते हैं।
उदाहरण- 3
जब सिल्वर क्लोराइड को सूर्य के प्रकाश में रखा जाता है यह वियोजित होकर सिल्वर और क्लोरीन का निर्माण करता है। सिल्वर क्लोराइड एक सफेद पाउडर है जो सूर्य के प्रकाश में ग्रे रंग का हो जाता है।
उदाहरण- 4
सिल्वर ब्रोमाइड एक हल्का पीला पाउडर है जो सूर्य के प्रकाश में ग्रे रंग का हो जाता है।
अभ्यास प्रश्न
- योग अभिक्रियाओं से आप क्या समझते हैं? उदाहरण द्वारा समझाइये।
- प्रतिस्थापन अभिक्रिया क्या है?
- निम्न अभिक्रिया को उदाहरण द्वारा समझाइये।
- प्रतिस्थापन अभिक्रियाएँ क्या हैं समझाइये ?
- प्रतिस्थापन अभिक्रिया कितने प्रकार की होती हैं?
- द्विप्रतिस्थापन अभिक्रिया को एक उदाहरण द्वारा समझाइए।
- एकल प्रतिस्थापन अभिक्रिया को एक उदाहरण द्वारा समझाइए।
- सक्रियता श्रेणी का प्रतिस्थापन अभिक्रिया से क्या सम्बन्ध है ?
- वियोजन अभिक्रिया को उदाहरण द्वारा समझाइये।