गुरुत्वीय स्थितज ऊर्जा: Difference between revisions

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*   <math>h</math> संदर्भ बिंदु के ऊपर वस्तु की ऊंचाई है
*   <math>h</math> संदर्भ बिंदु के ऊपर वस्तु की ऊंचाई है


यह सूत्र ये बताता है कि किसी वस्तु का द्रव्यमान, ऊँचाई या दोनों बढ़ने पर उसकी स्थितिज ऊर्जा बढ़ती है।
यह सूत्र यह इंगित करता है कि किसी वस्तु का द्रव्यमान, ऊँचाई या दोनों बढ़ने पर उसकी स्थितिज ऊर्जा क्यों बढ़ती है।


प्रायः संदर्भ बिंदु, मनमाने ढंग से चुना जाता है, लेकिन विभिन्न वस्तुओं या स्थितियों के बीच स्थितज ऊर्जा की तुलना करते समय सुसंगत होना महत्वपूर्ण है।  
प्रायः संदर्भ बिंदु, मनमाने ढंग से चुना जाता है, लेकिन विभिन्न वस्तुओं या स्थितियों के बीच स्थितज ऊर्जा की तुलना करते समय सुसंगत होना महत्वपूर्ण है।  


===== उदाहरण के लिए =====
===== उदाहरण के लिए =====
यदि आप दो वस्तुओं की स्थितिज ऊर्जा की तुलना करना चाहते हैं, तो आपको एक ही संदर्भ बिंदु से उनकी ऊंचाई मापनी चाहिए।
यदि दो वस्तुओं की स्थितिज ऊर्जा की तुलना करनी हो तो, एक ही संदर्भ बिंदु (अथवा स्तर) से उनकी ऊंचाई मापी जानी  चाहिए।


जब गेंद को ऊंचे स्थान से छोड़ा जाता है, तो इसकी स्थितिज ऊर्जा ऊर्जा के दूसरे रूप, जैसे गतिज ऊर्जा (गति की ऊर्जा) में परिवर्तित हो जाती है। जैसे ही गेंद गिरती है, इसकी स्थितिज ऊर्जा कम हो जाती है जबकि इसकी गतिज ऊर्जा बढ़ जाती है। यह ऊर्जा के संरक्षण के नियम के कारण है, जो बताता है कि ऊर्जा को बनाया या नष्ट नहीं किया जा सकता है, केवल एक रूप से दूसरे रूप में परिवर्तित किया जा सकता है।
जब गेंद को ऊंचे स्थान से छोड़ा जाता है, तो इसकी स्थितिज ऊर्जा,ऊर्जा के दूसरे रूप, जैसे गतिज ऊर्जा (गति की ऊर्जा) में परिवर्तित हो जाती है। जैसे ही गेंद गिरती है, इसकी स्थितिज ऊर्जा कम हो जाती है,जबकि इसकी गतिज ऊर्जा बढ़ जाती है। यह ऊर्जा के संरक्षण के नियम के कारण है, जो यह बताता है कि ऊर्जा का निर्माण अथवा नष्ट नहीं किया जा सकता है, केवल एक रूप से दूसरे रूप में परिवर्तित किया जा सकता है।


गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र में वस्तुओं के व्यवहार को समझने के लिए गुरुत्वाकर्षण स्थितिज ऊर्जा एक आवश्यक अवधारणा है। यह वस्तुओं के गिरने, सूर्य के चारों ओर ग्रहों की गति और यहां तक ​​कि तारों और आकाशगंगाओं के निर्माण जैसी घटनाओं को समझाने में मदद करता है।
गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र में वस्तुओं के व्यवहार को समझने के लिए गुरुत्वाकर्षण स्थितिज ऊर्जा एक आवश्यक अवधारणा है। यह वस्तुओं के गिरने, सूर्य के चारों ओर ग्रहों की गति और यहां तक ​​कि तारों और आकाशगंगाओं के निर्माण जैसी घटनाओं को समझाने में सुविधा करता है।
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Revision as of 12:44, 22 March 2024

Gravitational potential energy

गुरुत्वाकर्षण स्थितिज ऊर्जा, गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र में किसी वस्तु की स्थिति से जुड़ी ऊर्जा का एक रूप है। यह वह ऊर्जा है जो किसी वस्तु में भूमि या किसी संदर्भ बिंदु (अथवा स्तर) से ऊंचाई के कारण पाई जाती है।

साधारण परिदृश्य का उदाहरण

एक गेंद को धरा से ऊपर उठाए जाने पर जैसे ही गेंद को ऊंचे स्थान पर उठाया जाता है, यह गुरुत्वाकर्षण के कारण स्थितिज ऊर्जा प्राप्त कर लेती है। गेंद में स्थितज ऊर्जा की मात्रा उसके द्रव्यमान, गुरुत्वाकर्षण के कारण त्वरण और संदर्भ बिंदु से ऊपर उसकी ऊंचाई पर निर्भर करती है।

गुरुत्वाकर्षण स्थितज ऊर्जा की गणना करने का सूत्र:

है।

जहाँ:

  •    गुरुत्वाकर्षण स्थितज ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करता है
  •    वस्तु का द्रव्यमान है
  •    गुरुत्वाकर्षण के कारण त्वरण है (पृथ्वी पर लगभग 9.8 मीटर प्रति सेकंड वर्ग)
  •    संदर्भ बिंदु के ऊपर वस्तु की ऊंचाई है

यह सूत्र यह इंगित करता है कि किसी वस्तु का द्रव्यमान, ऊँचाई या दोनों बढ़ने पर उसकी स्थितिज ऊर्जा क्यों बढ़ती है।

प्रायः संदर्भ बिंदु, मनमाने ढंग से चुना जाता है, लेकिन विभिन्न वस्तुओं या स्थितियों के बीच स्थितज ऊर्जा की तुलना करते समय सुसंगत होना महत्वपूर्ण है।

उदाहरण के लिए

यदि दो वस्तुओं की स्थितिज ऊर्जा की तुलना करनी हो तो, एक ही संदर्भ बिंदु (अथवा स्तर) से उनकी ऊंचाई मापी जानी चाहिए।

जब गेंद को ऊंचे स्थान से छोड़ा जाता है, तो इसकी स्थितिज ऊर्जा,ऊर्जा के दूसरे रूप, जैसे गतिज ऊर्जा (गति की ऊर्जा) में परिवर्तित हो जाती है। जैसे ही गेंद गिरती है, इसकी स्थितिज ऊर्जा कम हो जाती है,जबकि इसकी गतिज ऊर्जा बढ़ जाती है। यह ऊर्जा के संरक्षण के नियम के कारण है, जो यह बताता है कि ऊर्जा का निर्माण अथवा नष्ट नहीं किया जा सकता है, केवल एक रूप से दूसरे रूप में परिवर्तित किया जा सकता है।

गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र में वस्तुओं के व्यवहार को समझने के लिए गुरुत्वाकर्षण स्थितिज ऊर्जा एक आवश्यक अवधारणा है। यह वस्तुओं के गिरने, सूर्य के चारों ओर ग्रहों की गति और यहां तक ​​कि तारों और आकाशगंगाओं के निर्माण जैसी घटनाओं को समझाने में सुविधा करता है।