घनत्वीय पृथक्करण: Difference between revisions
(→उदाहरण) |
No edit summary |
||
Line 1: | Line 1: | ||
[[Category:तत्वों के निष्कर्षण के सिद्धांत एवं प्रक्रम]][[Category:रसायन विज्ञान]][[Category:कक्षा-12]][[Category:अकार्बनिक रसायन]] | [[Category:तत्वों के निष्कर्षण के सिद्धांत एवं प्रक्रम]][[Category:रसायन विज्ञान]][[Category:कक्षा-12]][[Category:अकार्बनिक रसायन]] | ||
अवांछित पदार्थ जैसे क्ले, रेत आदि से अयस्क का निष्कासन अयस्कों का सांद्रण कहलाता है। सांद्रण की क्रिया से पहले अयस्कों को श्रेणीकृत किया जाता है और इसे उचित प्रकार में तोडा जाता है। तत्वों का पृथक्करण निम्नलिखित को विधियों से किया जाता है: | अवांछित पदार्थ जैसे क्ले, रेत आदि से [[अयस्क]] का निष्कासन अयस्कों का सांद्रण कहलाता है। सांद्रण की क्रिया से पहले अयस्कों को श्रेणीकृत किया जाता है और इसे उचित प्रकार में तोडा जाता है। तत्वों का पृथक्करण निम्नलिखित को विधियों से किया जाता है: | ||
==गुरत्वीय पृथक्क़रण या घनत्वीय पृथक्करण == | ==गुरत्वीय पृथक्क़रण या घनत्वीय पृथक्करण == | ||
घनत्वीय पृथक्करण को ही गुरत्वीय पृथक्क़रण भी कहा जाता है। इसे द्रवीय धावन भी कहा जाता है। यह विधि अयस्क तथा गैंग कणों के आपेक्षिक घनत्वों के अंतर पर निर्भर करता है। अतः इस तरह का सांद्रण गुरत्वीय पृथकरण विधि द्वारा किया जाता है। इस प्रकार के एक प्रक्रम में चूर्णित अयस्क को जल की धारा में धोया जाता है जिस कारण गैंग के कण हल्के होने के कारण जल के साथ निकलकर बह जाते हैं तथा भारी अयस्क के कण नीचे बैठ जाते हैं। यह विधि अयस्क तथा उसमें उपस्थित कणों के आपेक्षिक घनत्वों के अन्तर के आधार पर कार्य करती है। इस विधि में अयस्क को कूटकर तथा पीसकर छान लेते हैं और बड़े उथले टैंकों में भरकर जल की तेज धारा से धोते हैं। अयस्क के भारी कण नीचे बैठ जाते हैं और हल्के गैंग कण जल की धारा के साथ बह जाते हैं। इसे लेवीगेशन विधि (Levigation method) भी कहा जाता है। प्रायः ऑक्साइड का सान्द्रण इसी विधि से करते हैं। | घनत्वीय पृथक्करण को ही गुरत्वीय पृथक्क़रण भी कहा जाता है। इसे द्रवीय धावन भी कहा जाता है। यह विधि अयस्क तथा गैंग कणों के आपेक्षिक घनत्वों के अंतर पर निर्भर करता है। अतः इस तरह का सांद्रण गुरत्वीय पृथकरण विधि द्वारा किया जाता है। इस प्रकार के एक प्रक्रम में चूर्णित अयस्क को जल की धारा में धोया जाता है जिस कारण गैंग के कण हल्के होने के कारण जल के साथ निकलकर बह जाते हैं तथा भारी [[अयस्क]] के कण नीचे बैठ जाते हैं। यह विधि अयस्क तथा उसमें उपस्थित कणों के आपेक्षिक घनत्वों के अन्तर के आधार पर कार्य करती है। इस विधि में अयस्क को कूटकर तथा पीसकर छान लेते हैं और बड़े उथले टैंकों में भरकर जल की तेज धारा से धोते हैं। अयस्क के भारी कण नीचे बैठ जाते हैं और हल्के गैंग कण जल की धारा के साथ बह जाते हैं। इसे लेवीगेशन विधि (Levigation method) भी कहा जाता है। प्रायः ऑक्साइड का सान्द्रण इसी विधि से करते हैं। | ||
=== उदाहरण === | === उदाहरण === | ||
Line 11: | Line 11: | ||
* घनत्वीय पृथकरण से आप क्या समझते हैं ? | * घनत्वीय पृथकरण से आप क्या समझते हैं ? | ||
* धातुकर्म से आप क्या समझते हैं? | * [[धातुकर्म]] से आप क्या समझते हैं? | ||
* खनिज से आप क्या समझते हैं? | * [[खनिज]] से आप क्या समझते हैं? | ||
* चुंबकीय पृथक्करण किन अयस्कों के सांद्रण के लिए प्रयोग की जाती है। | * [[चुंबकीय पृथक्करण]] किन अयस्कों के सांद्रण के लिए प्रयोग की जाती है। |
Latest revision as of 16:31, 30 May 2024
अवांछित पदार्थ जैसे क्ले, रेत आदि से अयस्क का निष्कासन अयस्कों का सांद्रण कहलाता है। सांद्रण की क्रिया से पहले अयस्कों को श्रेणीकृत किया जाता है और इसे उचित प्रकार में तोडा जाता है। तत्वों का पृथक्करण निम्नलिखित को विधियों से किया जाता है:
गुरत्वीय पृथक्क़रण या घनत्वीय पृथक्करण
घनत्वीय पृथक्करण को ही गुरत्वीय पृथक्क़रण भी कहा जाता है। इसे द्रवीय धावन भी कहा जाता है। यह विधि अयस्क तथा गैंग कणों के आपेक्षिक घनत्वों के अंतर पर निर्भर करता है। अतः इस तरह का सांद्रण गुरत्वीय पृथकरण विधि द्वारा किया जाता है। इस प्रकार के एक प्रक्रम में चूर्णित अयस्क को जल की धारा में धोया जाता है जिस कारण गैंग के कण हल्के होने के कारण जल के साथ निकलकर बह जाते हैं तथा भारी अयस्क के कण नीचे बैठ जाते हैं। यह विधि अयस्क तथा उसमें उपस्थित कणों के आपेक्षिक घनत्वों के अन्तर के आधार पर कार्य करती है। इस विधि में अयस्क को कूटकर तथा पीसकर छान लेते हैं और बड़े उथले टैंकों में भरकर जल की तेज धारा से धोते हैं। अयस्क के भारी कण नीचे बैठ जाते हैं और हल्के गैंग कण जल की धारा के साथ बह जाते हैं। इसे लेवीगेशन विधि (Levigation method) भी कहा जाता है। प्रायः ऑक्साइड का सान्द्रण इसी विधि से करते हैं।
उदाहरण
Al2O3, SnO2, Fe3O4 आदि
अभ्यास प्रश्न
- घनत्वीय पृथकरण से आप क्या समझते हैं ?
- धातुकर्म से आप क्या समझते हैं?
- खनिज से आप क्या समझते हैं?
- चुंबकीय पृथक्करण किन अयस्कों के सांद्रण के लिए प्रयोग की जाती है।