स्थिर्वैद्युत विभव तथा धारिता: Difference between revisions

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यदि  एक धनात्मक विद्युत आवेश और एक ऋणात्मक विद्युत आवेश को एक-दूसरे के समीप लाया जाता  हैं, तो वे एक-दूसरे पर बल लगाते हैं, या तो आकर्षित करते हैं। यदि दोनों बिदु एक समान आवेश के धारक हैं तब दोनों बिंदुओं पर प्रतिकर्षण बल कार्य करता होता है।
यदि  एक धनात्मक विद्युत आवेश और एक ऋणात्मक विद्युत आवेश को एक-दूसरे के समीप लाया जाता  हैं, तो वे एक-दूसरे पर बल लगाते हैं, या तो आकर्षित करते हैं। यदि दोनों बिदु एक समान आवेश के धारक हैं तब दोनों बिंदुओं पर प्रतिकर्षण बल कार्य करता होता है।


 किसी मुक्ताकाश में , इन आवेशों की स्थिति के कारण उनकी "विभव ऊर्जा" में आए बदलाव का वर्णन करने के लीए, स्थिर्वैद्युत विभव को "संग्रहीत ऊर्जा-स्त्रोत" के रूप में चित्रित कर ,दोनों प्रकार के आवेशों के परस्पर प्रतिबलीय कारक,ऊर्जा स्थानांतरण में भाग लेते से प्रतीत होते हैं।
 किसी मुक्ताकाश में , इन आवेशों की स्थिति के कारण उनकी "विभव ऊर्जा" में आए बदलाव का वर्णन करने के लीए, स्थिर्वैद्युत विभव को "संग्रहीत ऊर्जा-स्त्रोत" के रूप में चित्रित कीया जा सकता है। इसस चित्रण में दोनों प्रकार के आवेशों के परस्पर प्रतिबलीय कारक,ऊर्जा स्थानांतरण में भाग लेते से प्रतीत होते हैं।


   किसी आवेश (चार्ज) के चारों ओर एक विशिष्ट बिंदु पर स्थिर्वैद्युत विभव यह इंगित करता है की यदि उस बिंदु पर एक सकारात्मक परीक्षण आवेश  रखा जाए तो उसका "ऊर्जा-विभव " कितना होगा । यह ये जानने जैसा है कि अगर किसी गेंद को गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र में अलग-अलग ऊंचाई पर रखा जाता है तो उसमें कितनी ऊर्जा होगी।
   किसी आवेश (चार्ज) के चारों ओर एक विशिष्ट बिंदु पर स्थिर्वैद्युत विभव यह इंगित करता है की यदि उस बिंदु पर एक सकारात्मक परीक्षण आवेश  रखा जाए तो उसका "ऊर्जा-विभव " कितना होगा । यह ये जानने जैसा है कि अगर किसी गेंद को गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र में अलग-अलग ऊंचाई पर रखा जाता है तो उसमें कितनी ऊर्जा होगी।

Revision as of 17:46, 15 June 2024

Electrostatic Potential and Capacitance

स्थिर्वैद्युत विभव और धारिता का वर्णन से पूर्व, उस सिद्धांतिक घटनाक्रम का परीक्षण कर लेना आवश्यक है, जिसमें दो विद्युतीय आवेश, अपनी अचल स्तिथि से चल अवस्था में आने पर अपने समीप के स्थान पर ऊर्जा विनिमय करते हैं। इस साधारण से घटना क्रम को ऊर्जा विनमे की दृष्टि से देखने पर यह स्थापित कीया जा सकता है की इस घटनाक्रम में उपस्थित तीनों चर राशि (दो आवेश बिन्दु और वह स्थान जहाँ ऊर्जा विनिमय का घटना क्रम हो रहा है) में स्थितिज ऊर्जा ,गतिज ऊर्जा व कुछ मात्रा की स्थानीय ऊर्जा का समावेश,इस व्यवस्था की कुल ऊर्जा को संतुलित करता है।

ऐसे में आवेशों का धनात्मक एवं ऋणात्मक मूल्यों की चल अवस्था एवं ऊर्जा विनिमय में भाग लेने की व्यवस्थात्मक अध्ययन महत्वपूर्ण हो जाता है व इस सैद्धांतिक विषय से जुड़े अन्य घटनाक्रमों की जानकारी देता है ।

स्थिर्वैद्युत विभव

यदि एक धनात्मक विद्युत आवेश और एक ऋणात्मक विद्युत आवेश को एक-दूसरे के समीप लाया जाता हैं, तो वे एक-दूसरे पर बल लगाते हैं, या तो आकर्षित करते हैं। यदि दोनों बिदु एक समान आवेश के धारक हैं तब दोनों बिंदुओं पर प्रतिकर्षण बल कार्य करता होता है।

 किसी मुक्ताकाश में , इन आवेशों की स्थिति के कारण उनकी "विभव ऊर्जा" में आए बदलाव का वर्णन करने के लीए, स्थिर्वैद्युत विभव को "संग्रहीत ऊर्जा-स्त्रोत" के रूप में चित्रित कीया जा सकता है। इसस चित्रण में दोनों प्रकार के आवेशों के परस्पर प्रतिबलीय कारक,ऊर्जा स्थानांतरण में भाग लेते से प्रतीत होते हैं।

   किसी आवेश (चार्ज) के चारों ओर एक विशिष्ट बिंदु पर स्थिर्वैद्युत विभव यह इंगित करता है की यदि उस बिंदु पर एक सकारात्मक परीक्षण आवेश रखा जाए तो उसका "ऊर्जा-विभव " कितना होगा । यह ये जानने जैसा है कि अगर किसी गेंद को गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र में अलग-अलग ऊंचाई पर रखा जाता है तो उसमें कितनी ऊर्जा होगी।

   यदि दो धनात्मक आवेश या दो ऋणात्मक आवेश एक-दूसरे के निकट हों, तो उनकी स्थिरवैद्युत क्षमता अधिक होगी क्योंकि वे एक-दूसरे को प्रतिकर्षित करते हैं। यदि विपरीत आवेश निकट हों तो उनकी क्षमता कम होगी क्योंकि वे एक-दूसरे को आकर्षित करते हैं।

धारिता

   धारिता (धारिता) एक उपकरण का गुण है जिसे संधारित्र (संधारित्र) कहा जाता है, जिसे विद्युत आवेशों को संग्रहीत करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

   एक संधारित्र को एक विद्युत परिपथ में "आवेश स्टोरेज टैंक" के रूप में सोचें। यह आवश्यकतानुसार विद्युत आवेशों को पकड़ और छोड़ सकता है।

   एक संधारित्र दो प्रवाहकीय प्लेटों से बना होता है जो ढांकता हुआ नामक एक इन्सुलेट सामग्री से अलग होते हैं।

   जब आप किसी संधारित्र को किसी शक्ति स्रोत (बैटरी की तरह) से जोड़ते हैं, तो यह एक प्लेट पर सकारात्मक आवेश और दूसरी प्लेट पर नकारात्मक आवेश जमा करके आवेश हो जाता है। प्लेटें विपरीत आवेशों की तरह बन जाती हैं, जो एक दूसरे को आकर्षित करने के लिए तैयार होती हैं।

   धारिता इस बात का माप है कि एक संधारित्र अपनी प्लेटों के बीच दिए गए संभावित अंतर (वोल्टेज) के लिए कितना आवेश जमा कर सकता है। यह हमें आवेश संग्रहीत करने के लिए संधारित्र की "क्षमता" बताता है।

धारिता जितनी अधिक होगी , संधारित्र किसी दिए गए वोल्टेज के लिए उतना अधिक आवेश रख सकेगा , जैसे एक बड़ा टैंक अधिक पानी रख सकता है।

   संधारित्र के विभिन्न अनुप्रयोग होते हैं, जिनमें इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में विद्युत संकेतों को सुचारू करने से लेकर कैमरा फ्लैश, पावर फैक्टर सुधार और कई अन्य विद्युत प्रणालियों में उपयोग किया जाता है।

संक्षेप में

स्थिर्वैद्युत विभव उनकी स्थिति के कारण आवेशों की "संभावित ऊर्जा" से संबंधित है, जबकि धारिता संधारित्र की एक संपत्ति है, जो विद्युत आवेशों को संग्रहीत करने के लिए डिज़ाइन किए गए उपकरण हैं। इन अवधारणाओं को समझने से हमें विद्युत आवेशों के व्यवहार और विद्युत प्रणालियों और सर्किटों में उनकी अंतःक्रियाओं को समझाने और विश्लेषण करने में मदद मिलती है।