प्रभाजी आसवन: Difference between revisions

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== प्रभाजी आसवन ==
== प्रभाजी आसवन ==
भिन्नात्मक आसवन विधि का उपयोग उन मिश्रित तरल पदार्थों को अलग करने के लिए किया जाता है जिनके क्वथनांक में बहुत कम अंतर होता है। दूसरे शब्दों में, तरल पदार्थों के क्वथनांक एक दूसरे के करीब होते हैं। इस विधि से शुद्ध पेट्रोल, डीजल, मिट्टी के तेल आदि को जमीन से निकाले गए खनिज तेल से अलग किया जाता है। इस विधि द्वारा विभिन्न गैसों को भी जलीय वायु से पृथक किया जाता है। आंशिक आसवन एक औद्योगिक प्रक्रिया है जिसके द्वारा मिश्रण के घटकों को अलग किया जाता है। यह आसवन की एक विशिष्ट विधि है। आंशिक आसवन एक मिश्रण को उसके घटक भागों, या अंशों में अलग करना है। रासायनिक यौगिकों को एक ऐसे तापमान पर गर्म करके अलग किया जाता है जिस पर मिश्रण के एक या अधिक अंश वाष्पीकृत हो जाते हैं। यह भिन्न करने के लिए आसवन का उपयोग करता है। आम तौर पर घटक भागों में क्वथनांक होते हैं जो एक वातावरण के दबाव में एक दूसरे से 25 °C (45 °F) से कम भिन्न होते हैं। यदि क्वथनांकों में अंतर 25 डिग्री सेल्सियस से अधिक है, तो आमतौर पर एक साधारण आसवन का उपयोग किया जाता है। इसका उपयोग कच्चे तेल को रिफाइन करने के लिए किया जाता है।
भिन्नात्मक आसवन(प्रभाजी आसवन) विधि का उपयोग उन मिश्रित तरल पदार्थों को अलग करने के लिए किया जाता है जिनके क्वथनांक में बहुत कम अंतर होता है। दूसरे शब्दों में, तरल पदार्थों के क्वथनांक एक दूसरे के करीब होते हैं। इस विधि से शुद्ध पेट्रोल, डीजल, मिट्टी के तेल आदि को जमीन से निकाले गए खनिज तेल से अलग किया जाता है। इस विधि द्वारा विभिन्न गैसों को भी जलीय वायु से पृथक किया जाता है। दो या दो से अधिक घुलनशील द्रवों जिनके कथ्नांकों का अंतर् 25K से कम होता है, के मिश्रण को पृथक करने के लिए प्रभाजी आसवन विधि का प्रयोग किया जाता है। उदाहरण वायु से विभन्न गैसों का पृथककरण तथा पेट्रोलियम उत्पादों से उनके विभन्न घटकों का पृथककरण।
 
== आसवन ==
आंशिक आसवन एक औद्योगिक प्रक्रिया है जिसके द्वारा मिश्रण के घटकों को अलग किया जाता है। यह आसवन की एक विशिष्ट विधि है। आंशिक आसवन एक मिश्रण को उसके घटक भागों, या अंशों में अलग करना है। रासायनिक यौगिकों को एक ऐसे तापमान पर गर्म करके अलग किया जाता है जिस पर मिश्रण के एक या अधिक अंश वाष्पीकृत हो जाते हैं। यह भिन्न करने के लिए आसवन का उपयोग करता है। आम तौर पर घटक भागों में क्वथनांक होते हैं जो एक वातावरण के दबाव में एक दूसरे से 25 °C (45 °F) से कम भिन्न होते हैं। यदि क्वथनांकों में अंतर 25 डिग्री सेल्सियस से अधिक है, तो आमतौर पर एक साधारण आसवन का उपयोग किया जाता है। इसका उपयोग कच्चे तेल को रिफाइन करने के लिए किया जाता है।


इस विधि को आसवन कहा जाता है।  इसका उपयोग वैसे मिश्रण को पृथक करने में किया जाता है जो विघटित हुए बिना उबलते हैं तथा जिनके घटकों के कथ्नांकों के मध्य अधिक अंतराल होता है।  
इस विधि को आसवन कहा जाता है।  इसका उपयोग वैसे मिश्रण को पृथक करने में किया जाता है जो विघटित हुए बिना उबलते हैं तथा जिनके घटकों के कथ्नांकों के मध्य अधिक अंतराल होता है।  
दो या दो से अधिक घुलनशील द्रवों जिनके कथ्नांकों का अंतर् २५क से कम होता है, के मिश्रण को पृथक करने के लिए प्रभाजी आसवन विधि का प्रयोग किया जाता है। उदाहरण वायु से विभन्न गैसों का पृथककरण तथा पेट्रोलियम उत्पादों से उनके विभन्न घटकों का पृथककरण।


=== उदाहरण ===
=== उदाहरण ===

Revision as of 12:36, 24 May 2023

जब कोई मिश्रण ऐसे पदार्थों से मिलकर बना होता है जिनके कथ्नांकों में अधिक अंतर् होता है तो ऐसे पदार्थों को पृथक करने के लिए साधारण आसवन विधि को प्रयोग में लाया जाता है। लेकिन मान लीजिये कोई अन्य मिश्रण ऐसे पदार्थों बना है जिनके पदार्थों के कथ्नांक में अधिक अंतर् नहीं पाया जाता है ऐसी स्थित में पदार्थों को साधारण आसवन विधि द्वारा पृथक नही किया जा सकता है, ऐसे पदार्थों को अलग अलग करने के लिए प्रभाजी आसवन विधि को काम में लाया जटगा है।

प्रभाजी आसवन

भिन्नात्मक आसवन(प्रभाजी आसवन) विधि का उपयोग उन मिश्रित तरल पदार्थों को अलग करने के लिए किया जाता है जिनके क्वथनांक में बहुत कम अंतर होता है। दूसरे शब्दों में, तरल पदार्थों के क्वथनांक एक दूसरे के करीब होते हैं। इस विधि से शुद्ध पेट्रोल, डीजल, मिट्टी के तेल आदि को जमीन से निकाले गए खनिज तेल से अलग किया जाता है। इस विधि द्वारा विभिन्न गैसों को भी जलीय वायु से पृथक किया जाता है। दो या दो से अधिक घुलनशील द्रवों जिनके कथ्नांकों का अंतर् 25K से कम होता है, के मिश्रण को पृथक करने के लिए प्रभाजी आसवन विधि का प्रयोग किया जाता है। उदाहरण वायु से विभन्न गैसों का पृथककरण तथा पेट्रोलियम उत्पादों से उनके विभन्न घटकों का पृथककरण।

आसवन

आंशिक आसवन एक औद्योगिक प्रक्रिया है जिसके द्वारा मिश्रण के घटकों को अलग किया जाता है। यह आसवन की एक विशिष्ट विधि है। आंशिक आसवन एक मिश्रण को उसके घटक भागों, या अंशों में अलग करना है। रासायनिक यौगिकों को एक ऐसे तापमान पर गर्म करके अलग किया जाता है जिस पर मिश्रण के एक या अधिक अंश वाष्पीकृत हो जाते हैं। यह भिन्न करने के लिए आसवन का उपयोग करता है। आम तौर पर घटक भागों में क्वथनांक होते हैं जो एक वातावरण के दबाव में एक दूसरे से 25 °C (45 °F) से कम भिन्न होते हैं। यदि क्वथनांकों में अंतर 25 डिग्री सेल्सियस से अधिक है, तो आमतौर पर एक साधारण आसवन का उपयोग किया जाता है। इसका उपयोग कच्चे तेल को रिफाइन करने के लिए किया जाता है।

इस विधि को आसवन कहा जाता है।  इसका उपयोग वैसे मिश्रण को पृथक करने में किया जाता है जो विघटित हुए बिना उबलते हैं तथा जिनके घटकों के कथ्नांकों के मध्य अधिक अंतराल होता है।  

उदाहरण

शुद्ध पेट्रोल, डीजल, मिट्टी के तेल आदि को जमीन से निकाले गए खनिज तेल से अलग किया जाता है।

क्रियाकलाप

  1. एसीटोन और जल को उनके मिश्रण से पृथक करते हैं
  2. मिश्रण को आसवन फ्लास्क में लें।
  3. इसमें एक थर्ममीटर लगाइये।
  4. मिश्रण को धीरे धीरे गर्म करके थर्ममीटर का अवलोकन करें।
  5. एसीटोन वाष्पीकृत होता है तथा संघनित होकर संघनक द्वारा बाहर निकलने पर इसे पात्र में एकत्रित क्र लिया जाता है।
  6. जल आसवन फ्लास्क में शेष रह जाता है।

अभ्यास प्रश्न

  • दो घुलनशील द्रवों के मिश्रण को कैसे पृथक कर सकते हैं ?
  • आसवन विधि और प्रभाजी आसवन विधि में क्या अंतर् है ?