प्रावस्था: Difference between revisions

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=== ठोस प्रावस्था ===
=== ठोस प्रावस्था ===
ठोस पदार्थ में परमाणु बहुत पास-पास होते हैं ये आपस में अन्तराणुक आकर्षण बल द्वारा जुडे रहते हैं ठोसों में रिक्त स्थान भी अत्यधिक काम होता है। ठोस पदार्थ की वह अवस्था है जिसमें उसका आयतन और आकार दोनों निश्चित होते हैं। ठोस कणों के बीच बल इतने मजबूत होते हैं कि उनके घटक कण (परमाणु/अणु/आयन) किसी भी प्रकार की स्थानांतरण गति नहीं कर सकते हैं (हालांकि कंपन और घूर्णी गति हो सकती है) है। और इस कारण से आकार में निश्चित होते हैं और जिस बर्तन में रखे जाते हैं उसका आकार नहीं लेते हैं।
# ठोस वे पदार्थ हैं जिनका एक निश्चित आकार वा निश्चित आयतन होता है।
# ठोस की सम्पीड्यता नगण्य होती है।
# बाह्य बल आरोपित करने पर भी ठोस का आकार नहीं बदलता।
# ठोस दृढ़ होते हैं।
उदाहरण- पेन, किताब, सुई और लकड़ी की छड़


==== क्रिस्टलीय ठोस ====
==== क्रिस्टलीय ठोस ====

Revision as of 12:20, 30 May 2023

प्रावस्था, ऊष्मप्रवैगिकी में, रासायनिक और भौतिक रूप से समान या समांगीय पदार्थ की मात्रा जिसे यांत्रिक रूप से एक विषमांगीय मिश्रण से अलग किया जा सकता है और इसमें एक पदार्थ या पदार्थों का मिश्रण हो सकता है। पदार्थ के तीन मूलभूत प्रावस्था ठोस, तरल और गैस (वाष्प) हैं, लेकिन अन्य को अस्तित्व में माना जाता है, जिनमें क्रिस्टलीय, कोलाइड, ग्लासी, अनाकार और प्लाज्मा प्रावस्था शामिल हैं। जब प्रावस्था एक रूप से दूसरे रूप में बदल जाता है, तो कहा जाता है कि एक प्रावस्था परिवर्तन हुआ है।

प्रावस्था के प्रकार

तीन प्रकार की प्रावस्था होती हैं:

  • ठोस प्रावस्था
  • द्रव प्रावस्था
  • गैस प्रावस्था

ठोस प्रावस्था

ठोस पदार्थ में परमाणु बहुत पास-पास होते हैं ये आपस में अन्तराणुक आकर्षण बल द्वारा जुडे रहते हैं ठोसों में रिक्त स्थान भी अत्यधिक काम होता है। ठोस पदार्थ की वह अवस्था है जिसमें उसका आयतन और आकार दोनों निश्चित होते हैं। ठोस कणों के बीच बल इतने मजबूत होते हैं कि उनके घटक कण (परमाणु/अणु/आयन) किसी भी प्रकार की स्थानांतरण गति नहीं कर सकते हैं (हालांकि कंपन और घूर्णी गति हो सकती है) है। और इस कारण से आकार में निश्चित होते हैं और जिस बर्तन में रखे जाते हैं उसका आकार नहीं लेते हैं।

  1. ठोस वे पदार्थ हैं जिनका एक निश्चित आकार वा निश्चित आयतन होता है।
  2. ठोस की सम्पीड्यता नगण्य होती है।
  3. बाह्य बल आरोपित करने पर भी ठोस का आकार नहीं बदलता।
  4. ठोस दृढ़ होते हैं।

उदाहरण- पेन, किताब, सुई और लकड़ी की छड़

क्रिस्टलीय ठोस

अधिकांश ठोस क्रिस्टलीय होते हैं, क्योंकि उनके पास त्रि-आयामी आवधिक परमाणु व्यवस्था होती है।

अक्रिस्टलीय ठोस

कुछ ठोस में इस आवधिक व्यवस्था की कमी होती है और वे अक्रिस्टलीय या अनाकार होते हैं। 

जैसे - कांच