द्रव्य के गुणधर्म और उनका मापन: Difference between revisions

From Vidyalayawiki

Listen

No edit summary
Line 69: Line 69:
=== रासायनिक गुणधर्म ===
=== रासायनिक गुणधर्म ===
किसी पदार्थ की अम्लता, क्षारता, संघटन ज्वलनशीलता, तथा उससे होने वाली रासायनिक अभिक्रियाएं इत्यादि सभी रासायनिक गुणधर्म के अंतर्गत आती हैं।  संघटन ज्वलनशीलता, अम्ल, क्षार इत्यादि।   
किसी पदार्थ की अम्लता, क्षारता, संघटन ज्वलनशीलता, तथा उससे होने वाली रासायनिक अभिक्रियाएं इत्यादि सभी रासायनिक गुणधर्म के अंतर्गत आती हैं।  संघटन ज्वलनशीलता, अम्ल, क्षार इत्यादि।   
== भौतिक गुणधर्मों का मापन ==
द्रव्य के अनेक गुणधर्म, जैसे - लम्बाई, क्षेत्रफल, आयतन आदि मात्रात्मक प्रकृति के होते हैं। किसी मात्रात्मक प्रेक्षण या मापन को कोई संख्या और उसके बाद वः इकाई लिखकर दर्शाया जाता है, जिसमे उसे मापा गया है।
उदाहरण किसी कमरे की लम्बाई को 8 मीटर लिखकर यह बताया जा सकता है, जिसमे 8 एक संख्या है, जिसमे लम्बाई नापी गई है।
'''मापन की दो विभन्न पद्धतियां हैं:'''
* अंग्रेजी पद्धति
* मीट्रिक पद्धति                                                                                                                                                                                                                                                                                                                        मीट्रिक पद्धति, जो फ़्रांस में अठारहवीं शताब्दी के उत्तरार्ध में विकसित की गई वह  अधिक सुविधाजनक थी, क्योकी वह दशमलव प्रणाली पर आधारित थी।


== अभ्यास[edit | edit source] ==
== अभ्यास[edit | edit source] ==

Revision as of 13:01, 20 June 2023


अपने आस पास के पदार्थों को ध्यान से देखने पर आप पातें हैं कि आपके आस-पास तीन प्रकार के पदार्थ हैं कुछ पदार्थ ठोस के बनें हुए हैं कुछ द्रव् के और कुछ गैस के, तो क्या आप ये कह सकते हैं की पदार्थ की पांच अवस्थाएं होती हैं। पदार्थ (matter) ब्रह्मांड की “विषय वस्तु” है। प्रत्येक वह वस्तु जो स्थान घेरती है तथा जिसका द्रव्यमान होता है पदार्थ या द्रव्य कहलाती है।

पदार्थ की अवस्थाएं

पहले पदार्थ की केवल तीन अवस्थाओं के बारे में जानकारी थी लेकिन नई खोजों ने भौतिकी में दो और पदार्थ की अवस्थाएँ प्राप्त की हैं। तो आइए जानते हैं पदार्थ की 5 अवस्थाओं के नाम।

1. ठोस अवस्था

2. द्रव् अवस्था

3. गैस अवस्था

4. प्लाज्मा अवस्था

5. बोस आइंस्टीन कंडेंसेट

ठोस अवस्था

ठोस पदार्थ में परमाणु बहुत पास-पास होते हैं ये आपस में अन्तराणुक आकर्षण बल द्वारा जुडे रहते हैं ठोसों में रिक्त स्थान भी अत्यधिक काम होता है। ठोस पदार्थ की वह अवस्था है जिसमें उसका आयतन और आकार दोनों निश्चित होते हैं। ठोस कणों के बीच बल इतने मजबूत होते हैं कि उनके घटक कण (परमाणु/अणु/आयन) किसी भी प्रकार की स्थानांतरण गति नहीं कर सकते हैं (हालांकि कंपन और घूर्णी गति हो सकती है) है। और इस कारण से आकार में निश्चित होते हैं और जिस बर्तन में रखे जाते हैं उसका आकार नहीं लेते हैं।

  1. ठोस वे पदार्थ हैं जिनका एक निश्चित आकार वा निश्चित आयतन होता है।
  2. ठोस की सम्पीड्यता नगण्य होती है।
  3. बाह्य बल आरोपित करने पर भी ठोस का आकार नहीं बदलता।
  4. ठोस दृढ़ होते हैं।

उदाहरण- पेन, किताब, सुई और लकड़ी की छड़

द्रव् अवस्था

द्रव पदार्थ में परमाणु ठोस की अपेछा थोड़ा दूर दूर होते हैं द्रवों में रिक्त स्थान भी अत्यधिक काम होता है।

  1. द्रव वे पदार्थ हैं जिनका एक निश्चित आकार वा निश्चित आयतन होता है।
  2. द्रव वे पदार्थ हैं जिनका एक निश्चित आकार होता है लेकिन आयतन निश्चित नहीं होता है।
  3. द्रवों में बहाव होता है अतः इनका आकार बदलता रहता है।
  4. द्रव दृढ़ नहीं अपितु तरल होता है।
  5. द्रव में अणु ठोस की तरह बहुत पास पास नहीं होते अतः इनमे ठोसों की अपेछा रिक्त स्थान अधिक होता है।
  6. द्रव वे पदार्थ हैं जिनको जिस बर्तन में रखा जाता है ये उसका ही रूप ग्रहण कर लेते हैं।

उदाहरण- जल, दूध, जूस, शीतल पेय

गैसीय अवस्था

गैस में कण बहुत दूर दूर होते हैं अतः गैसीय अवस्था में कणों की गति अनियमित और अत्यधिक तीव्र होती है अपनी अनियमित गति के कारण कण बर्तन की दीवारों से टकराते हैं।

  1. गैसीय अवस्था में कणों की गति अनियमित और अत्यधिक तीव्र होती है।
  2. इसमें घटक कणों के मध्य  आकर्षण बल कार्य नहीं करता है जिससे यह कण स्वतंत्र रूप से  गति करने के लिए मुक्त होते हैं।
  3. गैसों की संपीड्यता उच्च होती है तथा इसी कारण दाब बढ़ाने पर इनका आयतन घटता है।
  4. गैस के अणुओं के बीच लगने वाले अंतराणुक बलों के क्षीण होने के कारण गैसों के घनत्व कम होते हैं।

उदाहरण- LPG (द्रवीकृत पेट्रोलियम गैस), CNG (संपीड़ित प्राकृतिक गैस)

प्लाज्मा

प्लाज्मा एक गर्म आयनित गैस है जिसमें धनात्मक आयनों और ऋणायनों की लगभग समान संख्या होती है। प्लाज्मा के गुण सामान्य गैसों से काफी भिन्न होते हैं, इसलिए प्लाज्मा को पदार्थ की चौथी अवस्था माना जाता है।

  1. गैस की तरह प्लाज्मा का कोई निश्चित आकार या निश्चित आयतन नहीं होता है।
  2. प्लाज्मा में धनावेश और ऋणावेश की स्वतंत्र रूप से गमन करने की क्षमता होती है यही कारण है की प्लाज्मा विद्युत चालक है।
  3. किसी चुंबकीय क्षेत्र के प्रभाव में यह एक फिलामेंट, पुंज या दोहरी परत जैसी संरचनाओं का निर्माण करता है।

बोस-आइंस्टीन कन्डनसेट

पहली भविष्यवाणी 1924-25 में सत्येंद्रनाथ बोस ने की थी, इसलिए इस पदार्थ का नाम उन्हीं के नाम पर रखा गया है। बोस-आइंस्टीन संघनित पदार्थ की एक अवस्था जिसमें बोसोन की एक तनु गैस को परम शून्य (0 K या -273.15 °C) के बहुत करीब के तापमान तक ठंडा किया जाता है।

ब्रह्मांड में प्रत्येक कण को दो श्रेणियों में से एक में रखा जा सकता है – फर्मियन (fermions) और बोसोन्स (bosons)। आपके आस-पास के अधिकांश पदार्थों के लिए फर्मियन ज़िम्मेदार हैं, क्योंकि उनमें इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन और न्यूट्रॉन सम्मिलित हैं। जब एक साथ कई फर्मियन मिलते हैं, तो वे एक बोसोन बना सकते हैं।

द्रव्य के गुणधर्म और उनका मापन

गुणधर्मों को दो वर्गों में वर्गीकृत किया जा सकता है:

  • भौतिक गुणधर्म
  • रासायनिक गुणधर्म

भौतिक गुणधर्म

भौतिक गुणधर्म से पदार्थ की पहचान की जाती है जैसे पदार्थ का रंग कैसा है, उसकी गंध, उसका गलनांक और घनत्व जैसे गुणों से पदार्थ के बारे में जानकारी प्राप्त होती है।

रासायनिक गुणधर्म

किसी पदार्थ की अम्लता, क्षारता, संघटन ज्वलनशीलता, तथा उससे होने वाली रासायनिक अभिक्रियाएं इत्यादि सभी रासायनिक गुणधर्म के अंतर्गत आती हैं।  संघटन ज्वलनशीलता, अम्ल, क्षार इत्यादि।

भौतिक गुणधर्मों का मापन

द्रव्य के अनेक गुणधर्म, जैसे - लम्बाई, क्षेत्रफल, आयतन आदि मात्रात्मक प्रकृति के होते हैं। किसी मात्रात्मक प्रेक्षण या मापन को कोई संख्या और उसके बाद वः इकाई लिखकर दर्शाया जाता है, जिसमे उसे मापा गया है।

उदाहरण किसी कमरे की लम्बाई को 8 मीटर लिखकर यह बताया जा सकता है, जिसमे 8 एक संख्या है, जिसमे लम्बाई नापी गई है।

मापन की दो विभन्न पद्धतियां हैं:

  • अंग्रेजी पद्धति
  • मीट्रिक पद्धति मीट्रिक पद्धति, जो फ़्रांस में अठारहवीं शताब्दी के उत्तरार्ध में विकसित की गई वह  अधिक सुविधाजनक थी, क्योकी वह दशमलव प्रणाली पर आधारित थी।

अभ्यास[edit | edit source]

  1. रबर बैंड क्या है क्या यह ठोस है क्या खींचकर इसका आकार बदला जा सकता है?
  2. स्पंज क्या है यह ठोस है लेकिन फिर भी इसका संपीडन संभव है क्यों?
  3. ठोस के अणु बहुत पास पास होते हैं इसका क्या कारण है?
  4. गैसीय दाब से आप क्या  समझते हैं?
  5. क्या कारण है कि गैस बर्तन की दीवारों पर दबाव डालती है?
  6. क्या कारण है कि बर्फ के टुकड़े ठोस होने के बावजूद यह जल में तैरते रहते है?
  7. कारण बताइए की शर्करा को हम जिस बर्तन में डालते हैं वो उसी का रूप ग्रहण कर लेते हैं?
  8. गैस पूरी तरह उस बर्तन को भर लेती है जिस बर्तन में रखी जाती है?