साबुन के बुलबुले: Difference between revisions
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साबुन का बुलबुला साबुन के पानी की एक पतली फिल्म होती है जो एक गोला बनाती है। साबुन के पानी में सतह तनाव नामक एक गुण होता है, जो पानी के अणुओं के आपस में चिपकने की प्रवृत्ति है। यह सतह तनाव ही साबुन के बुलबुले को एक साथ बांधे रखता है। | |||
तरल पदार्थों के यांत्रिक गुण जो साबुन के बुलबुले के लिए महत्वपूर्ण हैं वे हैं: | |||
सतही तनाव: जैसा कि ऊपर बताया गया है, सतही तनाव पानी के अणुओं के आपस में चिपकने की प्रवृत्ति है। यही कारण है कि साबुन का बुलबुला एक गोला बनाता है। पानी का सतही तनाव लगभग 72 डायन/सेमी है। | |||
श्यानता: श्यानता किसी द्रव के प्रवाहित होने का प्रतिरोध है। साबुन के पानी की चिपचिपाहट शुद्ध पानी की चिपचिपाहट से कम होती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि साबुन के अणु पानी के अणुओं के बीच हाइड्रोजन बंधन को बाधित करते हैं, जिससे पानी अधिक फिसलन भरा हो जाता है। साबुन के पानी की कम चिपचिपाहट इसे पतली फिल्म बनाने की अनुमति देती है, जिससे साबुन का बुलबुला अधिक स्थिर हो जाता है। | |||
केशिका क्रिया: केशिका क्रिया एक संकीर्ण ट्यूब में तरल पदार्थ के बढ़ने या गिरने की क्षमता है। साबुन के पानी की केशिका क्रिया प्रबल होती है, यही कारण है कि तार या पुआल पर साबुन के बुलबुले बन सकते हैं। | |||
साबुन के बुलबुले की भौतिकी एक जटिल विषय है, लेकिन मुझे आशा है कि इस स्पष्टीकरण से आपको इसमें शामिल मुख्य अवधारणाओं की बुनियादी समझ मिल गई होगी। | |||
यहां साबुन के बुलबुले के बारे में कुछ अतिरिक्त तथ्य दिए गए हैं: | |||
* इनका रंग साबुन की फिल्म की आगे और पीछे की सतहों से परावर्तित प्रकाश तरंगों के हस्तक्षेप के कारण होता है। | |||
* इनका आकार साबुन के पानी की सतह के तनाव और बुलबुले के अंदर के दबाव से निर्धारित होता है। | |||
* साबुन के पानी में थोड़ी मात्रा में ग्लिसरॉल मिलाकर इनको को लंबे समय तक बनाए रखा जा सकता है। | |||
* इनको उपयोग सुंदर और जटिल पैटर्न बनाने के लिए किया जा सकता है। | |||
[[Category:तरलों के यंत्रिकी गुण]] | [[Category:तरलों के यंत्रिकी गुण]] |
Revision as of 14:36, 28 June 2023
Soap Bubbles
साबुन का बुलबुला साबुन के पानी की एक पतली फिल्म होती है जो एक गोला बनाती है। साबुन के पानी में सतह तनाव नामक एक गुण होता है, जो पानी के अणुओं के आपस में चिपकने की प्रवृत्ति है। यह सतह तनाव ही साबुन के बुलबुले को एक साथ बांधे रखता है।
तरल पदार्थों के यांत्रिक गुण जो साबुन के बुलबुले के लिए महत्वपूर्ण हैं वे हैं:
सतही तनाव: जैसा कि ऊपर बताया गया है, सतही तनाव पानी के अणुओं के आपस में चिपकने की प्रवृत्ति है। यही कारण है कि साबुन का बुलबुला एक गोला बनाता है। पानी का सतही तनाव लगभग 72 डायन/सेमी है।
श्यानता: श्यानता किसी द्रव के प्रवाहित होने का प्रतिरोध है। साबुन के पानी की चिपचिपाहट शुद्ध पानी की चिपचिपाहट से कम होती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि साबुन के अणु पानी के अणुओं के बीच हाइड्रोजन बंधन को बाधित करते हैं, जिससे पानी अधिक फिसलन भरा हो जाता है। साबुन के पानी की कम चिपचिपाहट इसे पतली फिल्म बनाने की अनुमति देती है, जिससे साबुन का बुलबुला अधिक स्थिर हो जाता है।
केशिका क्रिया: केशिका क्रिया एक संकीर्ण ट्यूब में तरल पदार्थ के बढ़ने या गिरने की क्षमता है। साबुन के पानी की केशिका क्रिया प्रबल होती है, यही कारण है कि तार या पुआल पर साबुन के बुलबुले बन सकते हैं।
साबुन के बुलबुले की भौतिकी एक जटिल विषय है, लेकिन मुझे आशा है कि इस स्पष्टीकरण से आपको इसमें शामिल मुख्य अवधारणाओं की बुनियादी समझ मिल गई होगी।
यहां साबुन के बुलबुले के बारे में कुछ अतिरिक्त तथ्य दिए गए हैं:
- इनका रंग साबुन की फिल्म की आगे और पीछे की सतहों से परावर्तित प्रकाश तरंगों के हस्तक्षेप के कारण होता है।
- इनका आकार साबुन के पानी की सतह के तनाव और बुलबुले के अंदर के दबाव से निर्धारित होता है।
- साबुन के पानी में थोड़ी मात्रा में ग्लिसरॉल मिलाकर इनको को लंबे समय तक बनाए रखा जा सकता है।
- इनको उपयोग सुंदर और जटिल पैटर्न बनाने के लिए किया जा सकता है।