परमाणु मॉडल: Difference between revisions
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परमाणु संरचना, परमाणु की संरचना को संदर्भित करती है जिसमें परमाणु के केंद्र में एक नाभिक होता है जिसमें प्रोटॉन (धनावेशित) और न्यूट्रॉन (उदासीन) उपस्थित होते हैं। ऋणावेशित कण जिन्हें इलेक्ट्रॉन कहा जाता है , नाभिक के केंद्र के चारों ओर चक्कर लगाते रहते हैं। 18वीं और 19वीं शताब्दी में कई वैज्ञानिकों ने परमाणु मॉडल द्वारा परमाणु की संरचना को समझाने के लिए अपने अपने मॉडल प्रस्तुत किये। इनमें से प्रत्येक मॉडल के अपने गुण और दोष थे और यह आधुनिक परमाणु मॉडल के विकास के लिए महत्वपूर्ण था। परमाणु मॉडल के लिए सबसे उल्लेखनीय योगदान जॉन डाल्टन, जे जे थॉमसन, अर्नेस्ट रदरफोर्ड और नील्स बोहर जैसे वैज्ञानिकों का था। | परमाणु संरचना, परमाणु की संरचना को संदर्भित करती है जिसमें परमाणु के केंद्र में एक नाभिक होता है जिसमें प्रोटॉन (धनावेशित) और न्यूट्रॉन (उदासीन) उपस्थित होते हैं। ऋणावेशित कण जिन्हें इलेक्ट्रॉन कहा जाता है , नाभिक के केंद्र के चारों ओर चक्कर लगाते रहते हैं। 18वीं और 19वीं शताब्दी में कई वैज्ञानिकों ने परमाणु मॉडल द्वारा परमाणु की संरचना को समझाने के लिए अपने अपने मॉडल प्रस्तुत किये। इनमें से प्रत्येक मॉडल के अपने गुण और दोष थे और यह आधुनिक परमाणु मॉडल के विकास के लिए महत्वपूर्ण था। परमाणु मॉडल के लिए सबसे उल्लेखनीय योगदान जॉन डाल्टन, जे जे थॉमसन, अर्नेस्ट रदरफोर्ड और नील्स बोहर जैसे वैज्ञानिकों का था। परमाणु मॉडल के विषय में सबसे उल्लेखनीय योगदान जॉन डाल्टन, जे.जे. टॉमसन जैसे वैज्ञानिकों का था। थॉमसन, अर्नेस्ट रदरफोर्ड और नील्स बोह्र ने अपने अपने मॉडल प्रस्तुत किये लेकिन इनमे कुछ दोष भी थे। | ||
परमाणु मॉडल मुख्यतः तीन मूल कणों से मिलकर बना होता है: | परमाणु मॉडल मुख्यतः तीन मूल कणों से मिलकर बना होता है: |
Revision as of 15:35, 28 June 2023
परमाणु संरचना, परमाणु की संरचना को संदर्भित करती है जिसमें परमाणु के केंद्र में एक नाभिक होता है जिसमें प्रोटॉन (धनावेशित) और न्यूट्रॉन (उदासीन) उपस्थित होते हैं। ऋणावेशित कण जिन्हें इलेक्ट्रॉन कहा जाता है , नाभिक के केंद्र के चारों ओर चक्कर लगाते रहते हैं। 18वीं और 19वीं शताब्दी में कई वैज्ञानिकों ने परमाणु मॉडल द्वारा परमाणु की संरचना को समझाने के लिए अपने अपने मॉडल प्रस्तुत किये। इनमें से प्रत्येक मॉडल के अपने गुण और दोष थे और यह आधुनिक परमाणु मॉडल के विकास के लिए महत्वपूर्ण था। परमाणु मॉडल के लिए सबसे उल्लेखनीय योगदान जॉन डाल्टन, जे जे थॉमसन, अर्नेस्ट रदरफोर्ड और नील्स बोहर जैसे वैज्ञानिकों का था। परमाणु मॉडल के विषय में सबसे उल्लेखनीय योगदान जॉन डाल्टन, जे.जे. टॉमसन जैसे वैज्ञानिकों का था। थॉमसन, अर्नेस्ट रदरफोर्ड और नील्स बोह्र ने अपने अपने मॉडल प्रस्तुत किये लेकिन इनमे कुछ दोष भी थे।
परमाणु मॉडल मुख्यतः तीन मूल कणों से मिलकर बना होता है:
- इलेक्ट्रान
- प्रोटॉन
- न्यूट्रॉन
इलेक्ट्रॉन
इलेक्ट्रान ऋणात्मक वैद्युत आवेश युक्त मूलभूत अवपरमाण्विक कण है, इन्हे e से प्रदर्शित करते हैं। इलेक्ट्रान में कण और तरंग दोनों प्रकार के गुण विधमान होते हैं इस लिए कुछ वैज्ञानिक इसे कण मानते हैं और कुछ तरंग। इलेक्ट्रॉन को प्रायः एक मूलभूत कण माना जाता है। इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान 9.110-31 होता है। इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारों तरफ चक्कर लगाता रहता है। सन 1830 में माइकेल फैराडे ने सर्वप्रथम यह दर्शाया कि यदि किसी विलयन में विधुत धारा प्रवाहित की जाती है, तो इलेक्ट्रोडों पर रसायनिक अभिक्रियाएं होती हैं, जिनके परिणाम स्वरुप इलेक्ट्रोडों पर पदार्थ का विसर्जन और निक्षेपण होता है।
प्रोटॉन
प्रोटॉन धनावेशित कण है ये बहुत ही सूक्ष्म आकार के होते हैं, इसे 1H1 से प्रदर्शित करते हैं। सबसे छोटा और हल्का धन आयन हाइड्रोजन से प्राप्त हुआ था इसे प्रोटॉन कहते हैं, इस धनावेशित कण का पृथक्करण और इसके लक्षण की पुष्टि सन 1919 में हुई थी। प्रोटॉन की खोज रदरफोर्ड ने की थी धनावेशित कण की खोज के लिए पहला प्रयोग गोल्डस्टीन द्वारा 1886 में किया गया था, रदरफोर्ड ने 1991 में कण को प्रोटॉन नाम दिया था। इसका आवेश परिमाण में समान लेकिन इलेक्ट्रॉन के चिन्ह के विपरीत पाया गया। प्रोटॉन एक धनावेशित कण है जो नाभिक में उपस्थित होता है और नाभिक के चारों ओर इलेक्ट्रॉन चक्कर लगाते रहते हैं जिससे कोई तत्व उदासीन हो जाता है। प्रोटॉन बहुत छोटा और हल्का धनायन हाइड्रोजन से प्राप्त हुआ था इसलिए इसे प्रोटॉन कहते हैं।
न्यूट्रॉन
न्यूट्रॉन एक आवेश रहित मूलभूत कण है, जो परमाणु के नाभिक में प्रोटॉन के साथ पाये जाते हैं। इसे n से दर्शाया जाता है। न्यूट्रॉन एक उपपरमाण्विक कण है जो की सभी प्रकार के पदार्थों के परमाणु के नाभिक में पाया जाता है। न्यूट्रॉन की खोज चैडविक ने की थी, चैडविक ने हीलियम के नाभिक पर अल्फा कणों की बौछार की जिससे कार्बन प्राप्त हुआ और कार्बन के साथ एक उदासीन कण प्राप्त हुआ जिसे नाभिक कहा गया। न्यूट्रॉन एक उप-परमाणु कण है जिसका द्रव्यमान 1.67510-24 ग्राम, लगभग 1amu, या लगभग प्रोटॉन या हाइड्रोजन परमाणु के द्रव्यमान के बराबर होता है और इसमें कोई विद्युत आवेश नहीं होता है।