सहसंयोजक बंध: Difference between revisions
Listen
No edit summary |
No edit summary |
||
Line 9: | Line 9: | ||
CH<sub>4</sub>, H<sub>2</sub>O, NH<sub>3</sub> आदि का निर्माण। | CH<sub>4</sub>, H<sub>2</sub>O, NH<sub>3</sub> आदि का निर्माण। | ||
== सहसंयोजक आबंध के गुण == | |||
सहसंयोजक बंध के परिणामस्वरूप नए इलेक्ट्रॉनों का निर्माण नहीं होता है, सिर्फ इलेक्ट्रॉनों की साझेदारी होती है। अन्य अणुओं के लिए भी लूइस बिंदु संरचनाएं लिखी जा सकती है, जिनमे संयुक्त होने वाले परमाणु समान एवं भिन्न हो सकते हैं। इसके लिए मुख्य नियम निम्नलिखित है - | |||
* प्रत्येक आबंध का निर्माण परमाणुओं के मध्य साझेदारी से बनता है। | |||
* साझे करने वाले परमाणु एक एक इलेक्ट्रान का योगदान होता है। | |||
* इलेक्ट्रॉनों की साझेदारी से सयुंक्त होने वाले परमाणु अपने वाह्य कोश में उत्कृष्ट गैस विन्यास प्राप्त कर लेते हैं। |
Revision as of 12:29, 18 July 2023
सहसंयोजक बंध बनाने के लिए दो परमाणुओं में इलेक्ट्रॉनों की साझेदारी होती है, इस प्रकार के आबंध में भाग लेने वाले इलेक्ट्रॉनों के युग्म को साझा युग्म या आबंध युग्म कहा जाता है। सहसंयोजक बंधों को आणविक बंध भी कहा जाता है। परमाणु सहसंयोजक बंध बनाने के लिए इलेक्ट्रॉनों की बराबर साझेदारी करता है। सन 1916 में लौगम्यूर ने लुईस अभिगृहतिओं में संशोधन किया, और सहसंयोजक आबंध का प्रयोग किया।
सहसंयोजक बंध दो तरीकों से प्राप्त किया जा सकता है:
एक ही प्रकार के परमाणुओं के बीच इलेक्ट्रॉनों की साझेदारी।
उदाहरण
H2, Cl2, O2, आदि का निर्माण।
CH4, H2O, NH3 आदि का निर्माण।
सहसंयोजक आबंध के गुण
सहसंयोजक बंध के परिणामस्वरूप नए इलेक्ट्रॉनों का निर्माण नहीं होता है, सिर्फ इलेक्ट्रॉनों की साझेदारी होती है। अन्य अणुओं के लिए भी लूइस बिंदु संरचनाएं लिखी जा सकती है, जिनमे संयुक्त होने वाले परमाणु समान एवं भिन्न हो सकते हैं। इसके लिए मुख्य नियम निम्नलिखित है -
- प्रत्येक आबंध का निर्माण परमाणुओं के मध्य साझेदारी से बनता है।
- साझे करने वाले परमाणु एक एक इलेक्ट्रान का योगदान होता है।
- इलेक्ट्रॉनों की साझेदारी से सयुंक्त होने वाले परमाणु अपने वाह्य कोश में उत्कृष्ट गैस विन्यास प्राप्त कर लेते हैं।