वैद्युत द्विध्रुव के कारण विभव: Difference between revisions

From Vidyalayawiki

Listen

No edit summary
No edit summary
Line 18: Line 18:


संक्षेप में, एक विद्युत द्विध्रुव अपने चारों ओर विद्युत क्षमता का एक विशिष्ट पैटर्न बनाता है। द्विध्रुव से बहुत दूर एक तटस्थ क्षेत्र है, और जैसे-जैसे आप करीब आते हैं, आप अलग-अलग आवेशों के प्रभाव को महसूस करना शुरू कर देंगे, जिसके परिणामस्वरूप प्रत्येक पक्ष पर अलग-अलग क्षमताएँ होंगी।
संक्षेप में, एक विद्युत द्विध्रुव अपने चारों ओर विद्युत क्षमता का एक विशिष्ट पैटर्न बनाता है। द्विध्रुव से बहुत दूर एक तटस्थ क्षेत्र है, और जैसे-जैसे आप करीब आते हैं, आप अलग-अलग आवेशों के प्रभाव को महसूस करना शुरू कर देंगे, जिसके परिणामस्वरूप प्रत्येक पक्ष पर अलग-अलग क्षमताएँ होंगी।
[[Category:स्थिर्वैद्युत विभव तथा धारिता  तथा धारिता]][[Category:भौतिक विज्ञान]][[Category:कक्षा-12]]
[[Category:स्थिर्वैद्युत विभव तथा धारिता ]][[Category:भौतिक विज्ञान]][[Category:कक्षा-12]]

Revision as of 12:34, 4 August 2023

Potential due to electric dipole

विद्युत द्विध्रुव के कारण विद्युत विभव:

समान परिमाण लेकिन विपरीत संकेतों वाले दो विद्युत आवेशों की कल्पना करें, जो थोड़ी दूरी पर अलग हैं। दो आवेशों के इस संयोजन को "विद्युत द्विध्रुव" कहा जाता है। एक चार्ज सकारात्मक है, और दूसरा नकारात्मक है।

अब, आइए समझें कि यह विद्युत द्विध्रुव अपने चारों ओर की विद्युत क्षमता को कैसे प्रभावित करता है:

   तटस्थ क्षेत्र: जब आप विद्युत द्विध्रुव से बहुत दूर होते हैं (द्विध्रुव में आवेशों के बीच की दूरी की तुलना में), तो धनात्मक और ऋणात्मक आवेश एक दूसरे को लगभग रद्द कर देते हैं। यह एक तटस्थ क्षेत्र बनाता है, और इस क्षेत्र में विद्युत क्षमता अपेक्षाकृत स्थिर होती है।

   सकारात्मक और नकारात्मक अंत: जैसे-जैसे आप विद्युत द्विध्रुव के करीब जाते हैं, आप सकारात्मक और नकारात्मक आवेशों के प्रभाव को व्यक्तिगत रूप से महसूस करना शुरू कर देंगे। सकारात्मक चार्ज वाला पक्ष "सकारात्मक अंत" बन जाता है और नकारात्मक चार्ज वाला पक्ष "नकारात्मक अंत" बन जाता है।

   विद्युत विभव रेखाएँ: विद्युत द्विध्रुव के चारों ओर विद्युत विभव रेखाएँ क्षैतिज रूप से फैली हुई अक्षर "S" जैसी दिखती हैं। ये रेखाएं सकारात्मक सिरे से शुरू होती हैं और नकारात्मक सिरे पर ख़त्म होती हैं।

   शून्य विभव: धनात्मक और ऋणात्मक आवेशों के ठीक बीच में, विभव शून्य होता है। इस बिंदु को द्विध्रुव का "भूमध्यरेखीय बिंदु" कहा जाता है।

   संभावित अंतर: यदि आप धनात्मक और ऋणात्मक आवेशों (द्विध्रुव की धुरी) को जोड़ने वाली रेखा के साथ चलते हैं, तो क्षमता बदल जाएगी। यह एक छोर पर उच्च (सकारात्मक या नकारात्मक) और दूसरे छोर पर निम्न होगा।

संक्षेप में, एक विद्युत द्विध्रुव अपने चारों ओर विद्युत क्षमता का एक विशिष्ट पैटर्न बनाता है। द्विध्रुव से बहुत दूर एक तटस्थ क्षेत्र है, और जैसे-जैसे आप करीब आते हैं, आप अलग-अलग आवेशों के प्रभाव को महसूस करना शुरू कर देंगे, जिसके परिणामस्वरूप प्रत्येक पक्ष पर अलग-अलग क्षमताएँ होंगी।