सार्थक अंक: Difference between revisions
Listen
No edit summary |
No edit summary |
||
Line 44: | Line 44: | ||
* सार्थक अंकों को जोड़ने का क्या नियम है? | * सार्थक अंकों को जोड़ने का क्या नियम है? | ||
* सार्थक अंकों को गुणा करने का क्या नियम है? | * सार्थक अंकों को गुणा करने का क्या नियम है? | ||
* 5.6 <math>\times</math>4.0 को गुणा करने पर सार्थक अंक क्या प्राप्त होता है[[Category:कक्षा-11]] | * 5.6 <math>\times</math>4.0 को गुणा करने पर सार्थक अंक क्या प्राप्त होता है[[Category:कक्षा-11]][[Category:रसायन विज्ञान]] |
Revision as of 10:34, 7 August 2023
दो अशून्य अंकों के बीच आने वाला शून्य भी एक सार्थक अंक होता है। संख्या के आरम्भ में आने वाले शून्य कभी भी सार्थक नहीं होते। शमल बिन्दु से युक्त किसी संख्या में, अन्तिम अशून्य अंक के बाद आने वाले सभी शून्य सार्थक होते हैं। सार्थक अंक वे अर्थपूर्ण अंक हैं, जो निश्चित रूप से ज्ञात हों। अनिश्चितता को व्यक्त करने के लिए पहले निश्चित अंक लिखा जाता है और अनिश्चित अंक को अंतिम अंक के रूप में लिखा जा सकता है। अर्थात यदि हम किसी परिणाम को १५.मल के रूप में लिखें, तो हम यह समझते हैं कि अनिश्चित और निश्चित है तथा अंतिम अंक में की अनिश्चितत्ता होगी।
किसी भौतिक राशि के शुद्ध मापन को व्यक्त करने के लिए जिन अंको का प्रयोग किया जाता है उन अंको को सार्थक अंक कहते है।
उदाहरण
मान लीजिये हमें 4.0035 मीटर लम्बाई की एक रस्सी लेनी है , इसमें अज़गर हम देखें तो सार्थक अंक पाँच मिलेंगे। अगर हम किसी से कहे की सार्थक अंक 4 तक लम्बाई का मापन करना है तो इसका मान 4.003 हो जायेगा , अब हम देख सकते है की दोनों राशियों में अंतर आ गया जिससे इसके मापन में त्रुटि हो सकती है । इसलिए मापन के साथ यह भी बताना आवश्यक है की इसमें कितने सार्थक अंक तक मापन किया गया है या किया जायेगा जिससे मापन ठीक प्रकार से लिखा जा सके।
- सभी अशून्य अंक सार्थक अंक माने जाते है।
- दो अशून्य अंको के मध्य आने वाले सभी शून्य सार्थक अंक माने जाते है।
- किसी भी संख्या में दशमलव बिंदु की स्थिति को बदलने पर सार्थक अंको की संख्या में कोई फर्क नहीं पड़ता है।
- किसी भी संख्या में 10 की घातों को सार्थक अंक नहीं माना जाता है।
- किसी भी दशमलव संख्या में दशमलव के बाद गैर-शून्य संख्या के दाईं ओर आने वाले सभी शून्य महत्वपूर्ण अंक माने जाते हैं।
- आखिरी अंक अपरिवर्तित रहता है। यदि उसके बाद का अंक 5 से कम हो।
- उदाहरण
- 9858.76 में 6 सार्थक अंक हैं।
- 0.009 876 में भी 4 ही सार्थक अंक हैं।
सार्थक अंक को जोड़ना और घटाना
जोड़ने या घटाने के बाद प्राप्त परिणाम में दशमलव की दाईं ओर जोड़ने या घटाने वाली किसी भी संख्या से अधिक अंक नहीं होने चाहिए।
15.12
17.0
1.01
————
33.13
ऊपर दिए हुए उदाहरण में दशमलव के बाद सिर्फ एक अंक है, अतः परिणाम भी दशमलव के बाद एक ही अंक तक होना चाहिए।
सार्थक अंक को गुणा या भाग करना
सार्थक अंकों की संख्या उतनी ही होनी चाहिए, जितने न्यूनतम सार्थक अंक वाली संख्या में होते है।
उदाहरण
क्योकी 3.5 में सिर्फ दो सार्थक अंक हैं, इसलिए परिणाम में भी दो सार्थक अंक (7.8) होने चाहिए।
3.5 2.25 = 7.875
अभ्यास प्रश्न
- सार्थक अंक से आप क्या समझते हैं ?
- सार्थक अंकों को जोड़ने का क्या नियम है?
- सार्थक अंकों को गुणा करने का क्या नियम है?
- 5.6 4.0 को गुणा करने पर सार्थक अंक क्या प्राप्त होता है