परमाणुओं का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास: Difference between revisions

From Vidyalayawiki

Listen

No edit summary
No edit summary
Line 109: Line 109:
# Al
# Al
# P  
# P  
# S[[Category:कक्षा-11]]
# S[[Category:कक्षा-11]][[Category:रसायन विज्ञान]]

Revision as of 10:35, 7 August 2023

रसायन विज्ञान में, एक परमाणु का "इलेक्ट्रॉन विन्यास" उस परमाणु में उपस्थित इलेक्ट्रॉनों की व्यवस्था पर निर्भर करते हैं। इसे सामान्यतः क्वांटम संख्याओं की एक श्रृंखला के रूप में लिखा जाता है, जो एक विशेष कक्षा में इलेक्ट्रॉनों की संख्या बताता है। क्वांटम संख्याएँ मुख्यतः s, p, d, और f जैसे अक्षरों के रूप में लिखी जाती हैं, जो कक्षकों को दर्शाती हैं। स एक कक्षा को दर्शाता है जिसमे अधिकतम 2 इलेक्ट्रॉन रह सकते हैं ठीक वैसे ही p, d, और f कक्षाएँ भी होती हैं जिनमे अधिकतम क्रमशः 6, 10, 14 इलेक्ट्रान रह सकते हैं। किसी परमाणु के कक्षकों में इलेक्ट्रानों का वितरण किस प्रकार है यह उस परमाणु का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास कहलाता है।

परमाणुओं के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास को दो प्रकार से दर्शाया जा सकता है। ये हैं -

1.) s2 p6 d10 f14

2.) कक्षक आरेख की संख्या

कक्षक कक्षक आरेख की संख्या अधिकतम इलेक्ट्रॉनों की संख्या न्यूनतम इलेक्ट्रॉनों की संख्या
s 1 2 1
p 3 6 1
d 5 10 1
f 7 14 1

उपकोश के प्रत्येक कक्षक को एक बॉक्स द्वारा दर्शाया जाता है और इलेक्ट्रान के धनचक्रण को ↑ जैसे तीर और ऋण चक्रण को ↓ जैसे तीर से दर्शाया जा सकता है।

परमाणुओं का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास हुण्ड के नियम का पालन करता है।

इस नियम के अनुसार इलेक्ट्रॉनों को एक उपकोश के कक्षकों के बीच इस तरह से वितरित किया जाता है कि समानांतर स्पिन के साथ अयुग्मित इलेक्ट्रॉनों की संख्या अधिकतम होती है। हुण्ड के अधिकतम बहुलता के नियम के अनुसार "एक ही उपकोश के कक्षकों में इलेक्ट्रॉनों का युग्मन तब तक नहीं होता है, जब तक उस उपकोश के सभी कक्षकों में एक- एक इलेक्ट्रान न आ जाये।" इस प्रकार, उपकोश में उपलब्ध कक्षकों को युग्मित करने से पहले पहले एकल इलेक्ट्रॉन भरा जाता है। इसका मतलब यह है कि इलेक्ट्रॉनों की जोड़ी s कक्षीय में दूसरे इलेक्ट्रॉन, p कक्षकों में चौथा इलेक्ट्रॉन, d कक्षकों में छठे इलेक्ट्रॉनों और f कक्षकों में आठवें इलेक्ट्रॉनों की शुरूआत के साथ होती है। उप-ऊर्जा कोश में कक्षकों में कोई इलेक्ट्रॉन युग्मन तब तक नहीं होता है जब तक कि प्रत्येक कक्षक पर समांतर चक्रण वाले एक इलेक्ट्रॉन उपस्थित न हो जाए। आधे भरे हुए और पूर्ण भरे हुए कक्षक परमाणुओं को अधिक स्थायी बनाते हैं। अतः p3, p6, d3, d5, d10, f7, f14 अधिक स्थायी होते हैं।

उदाहरण;

हाइड्रोजन 1H1 = 1S1

हीलियम 2He4 = 1S2 ↑↓

लिथियम 3Li7 = 1S2 2s1 ↑↓ ↑

हाइड्रोजन परमाणु में केवल एक ही इलेक्ट्रान होता है, जो सबसे कम ऊर्जा वाले कक्षक में जाता है जिसे 1s कक्षक कहते हैं अतः हाइड्रोजन परमाणु का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 1s होता है इसका अर्थ है कि इसके कक्षक में एक इलेक्ट्रान होता है हीलियम का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 1s2 होता है जैसा ऊपर बताया गया है दो इलेक्ट्रान एक दुसरे के विपरीत चक्रण में होते हैं उसे कक्षक आरेख से देखा जा सकता है।

p1 से p6 तक कक्षकों के भरने की प्रक्रिया को निम्न कक्षा चित्र द्वारा दर्शाया गया है:                            
p1
p2
p3
p4 ↑↓
p5 ↑↓ ↑↓
p6 ↑↓ ↑↓ ↑↓

हाइड्रोजन परमाणु में केवल एक ही इलेक्ट्रॉन होता है जो सबसे कम ऊर्जा वाले कक्षक में जाता है, जिसे 1s कक्षक कहते हैं। अतः हाइड्रोजन परमाणु का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 1s1 होता है।

1H = 1s1

2He = 1s2

3Li = 1s2 2s1

4Be = 1s2 2s2

5B = 1s2 2s2 2p1

6C = 1s2 2s2 2p2

7N = 1s2 2s2 2p3

हीलियम का दूसरा इलेक्ट्रॉन भी 1s कक्षक में जा सकता है लेकिन अब वह विपरीत चक्रण में जायेगा और जैसा कि आप जानते हैं कि s कक्षक में अधिकतम दो इलेक्ट्रॉन रह सकते हैं अतः Li में तीन इलेक्ट्रॉन की उपस्थित के कारण एक इलेक्ट्रान अब 2s में जायेगा अतः उसका इलेट्रॉनिक विन्यास1s2 2s1होगा।   

अभ्यास प्रश्न

निम्नलिखित तत्वों का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास ज्ञात कीजिए:

  1. Ca
  2. Na
  3. Mg
  4. Al
  5. P
  6. S