ब्रॉन्स्टेड लोरी अम्ल एवं क्षार: Difference between revisions
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अम्ल मे प्रोटॉन देने की प्रवर्त्ति होने के कारण इन्हे '''प्रोटॉन दाता''' कहते हैं और क्षार प्रोटॉन स्वीकार करता है, इसलिए उसे '''प्रोटॉन ग्राही''' कहा जाता है। | अम्ल मे प्रोटॉन देने की प्रवर्त्ति होने के कारण इन्हे '''प्रोटॉन दाता''' कहते हैं और क्षार प्रोटॉन स्वीकार करता है, इसलिए उसे '''प्रोटॉन ग्राही''' कहा जाता है। | ||
=== अम्ल के उदाहरण === | |||
HCl, H<sub>2</sub>SO<sub>4</sub>, HNO<sub>3</sub> | |||
=== क्षार के उदाहरण === | |||
NaOH, NH<sub>4</sub>OH, KOH |
Revision as of 11:39, 28 August 2023
ब्रॉन्स्टेड लोरी द्वारा प्रस्तुत अम्ल- क्षार सिद्धांत के अनुसार अम्ल वे पदार्थ हैं जिनमे प्रोटॉन देने की प्रवर्त्ति होती हैं, तथा क्षार वे पदार्थ हैं जिनमे प्रोटॉन ग्रहण करने की प्रवर्त्ति होती हैं।
अम्ल
हाइड्रोनियम आयन
अम्ल मे प्रोटॉन देने की प्रवर्त्ति होने के कारण इन्हे प्रोटॉन दाता कहते हैं और क्षार प्रोटॉन स्वीकार करता है, इसलिए उसे प्रोटॉन ग्राही कहा जाता है।
अम्ल के उदाहरण
HCl, H2SO4, HNO3
क्षार के उदाहरण
NaOH, NH4OH, KOH